बहुत याद आएंगी इंजीनियर सुदर्शन भाटिया की धर्मपत्नी स्व. जगदीश कौर भाटिया
11 सितम्बर रविवार को रस्म पगड़ी, दोपहर 1 बजे, राजपूत भवन में।
सैंकड़ों लोगो ने श्रद्धांजली देकर पवित्र अग्नि को सुपुर्द किया श्रीमती जगदीश कौर भाटिया को
“कबीरा जब हम पैदा भये,
जग हंसा, हम रोये,
ऐसी करनी कर चलो,
हम हंसे जग रोए।”
चालीस वर्षो से पालमपुर में रहने वाली सेवानिवृत श्रीमती जगदीश कौर भाटिया अब हमारे बीच नहीं हैं। वह पिछले कुछ समय से बीमार थीं।
उनका लम्बा उपचार मैक्स तथा पारस अस्पताल चण्डीगढ़ में चला।
जाने-माने साहित्यकार सुदर्शन भाटिया की धर्मपत्नी ने शिक्षा विभाग में लम्बी सेवाएं दी थीं तथा बतौर डिप्टी डीईओ रिययर हुईं।
उनके पति तथा पूरे परिवार ने उनकी देखभाल में कोई कसर न उठा रखी थी। अनेक रोगो ने उन्हें घेर रखा था। काफी ठीक हो जाने पर अचानक वह बिस्तर से लुढ़क गईं और कुछ चोट भी आई। यदि ऐसा न हुआ होता तो आज भी वह हमारे बीच ही होतीं।
उन्होंने 1 सितम्बर 2022 को अंतिम सांस ली। जब वह पारस हॉस्पिटल के पास एक किराए के घर में पंचकूला के पास प्लेटिनम टॉवर में थीं।
उस समय उनके पति, बेटियां अर्पना आदि मौजूद थीं। 12 बजे के करीब उन्होंने दलिया खाया जबकि पिछले 5-6 दिनों से उनका खाना-पीना बंद था। कभी-कभी मांग कर चाय पी ली। बहुत सुस्त होती गईं वह।
एक बजे दोपहर वह अचानक शांत हो गईं। मात्र डेढ़ मिनट में उन्होंने अंतिम सांस ली। लगभग एक घंटे तक वह पूरी तरह शांत रहीं। उन्हें अर्पना बेटी ने गंगा जल पिलाया। आंखें खोल कर उन्होंने सबको धीरे से देखा और आंखें बंद कर लीं। चली गईं ईश्वर के धाम को।
इस सब के समय श्रीमती जगदीश कौर ने किसी प्रकार की बेचैनी, तड़पन तथा छटपटाहट महसूस नहीं की । चेहरे पर रौनक आ गई तथा बेहद शांत भाव से चल बसीं।
सम्भवतः वह जान चुकी थीं कि अब उनका अंतिम समय आ गया है और चेहरे पर संतुष्टि के भाव लेकर प्रभु ध्यान में लीन हो गईं। लेटे-लेटे अचानक चल बसीं। वहां मौजूद जगदीप (विक्की) ने उनके नाक- कान में रुई रख कर दिवंगत हो रही आत्मा को अलविदा किया।
शिक्षा तथा सामाजिक कार्यों में रुचि
श्रीमती जगदीश कौर टीजीटी के पद पर काम करते हुए तथा पोस्ट ग्रेजुएशन करते हुए अपने एक पुत्र अतुल भाटिया तथा दो पुत्रियां अर्चना तथा अर्पना के साथ मंडी, चौन्तडा, राजपुर, सलियाना, लाहला, बंदला आदि में सेवाएं देते हुए प्रिंसीपल तया डिप्टी डीईओ के पद से सेवानिवृत हुई।
उन्होंने नवंबर 2000 में पालमपुर से ही विभाग से विदाई ली। इसके बाद, पिछले 22 वर्षों से वह परिवार की देखभाल करते हुए कई तरह के सामाजिक कायों में समय देती रहीं।
श्रीमती जगदीश कौर के पति सेवानिवृत शख्सियत साहित्यकार को उनकी पत्नी उन्हें इस कार्य में अपने कीमती सुझाव दिया करती थीं।
बच्चों की देखपाल
श्रीमती जगदीश जी ने बच्चों की देखभाल करते हुए उन को अच्छी शिक्षा देने, अच्छे संस्कार देने तथा अच्छे समाज के प्रति कर्तव्यों से अवगत कराने में कभी कोई कमी नही रखी। अच्छा नागरिक बन कर समाज, प्रशासन, सरकार के प्रति वफादार होने के जो पाठ पढाए वे उन पर चल कर अपनी जीवन यात्रा पूरी कर रहे हैं।
तीन संतानें हैं इस दम्पति की। सबसे बड़ा बेटा अतुल आज बतौर सुपेरिंटेंडिंग इंजीनियर सुन्दर नगर में तैनात है।
फिर है अर्चना बेटी जो ग्रेजुएट हैं तथा अनेक कॉलेजेज़ के छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए रोटरी कलब के प्रकल्पों से अपना योगदान देती हैं।
तीसरी संतान अर्पना पोस्ट ग्रेजुएट है तथा समाजिक कार्यो से भली प्रकार जुड़ी रहती है। अतुल की पत्नी रंजना पोस्ट ग्रेजुएट है तथा बतौर टीजीटी कार्यरत है।
अर्चना के पति डॉ. राजेश सूद मशोबरा में बतौर डायरेक्टर तैनात हैं।
अर्पना के पति इंजीनियर है तथा आर्मी में बतौर कांट्रेक्टर काम कर रहे हैं।
तीनों बच्चों के बच्चे भी अच्छी शिक्षा पाकर अगली पढ़ाई के साथ विभिन्न स्थानों / कम्पनियों में जॉब कर रहे हैं।
श्रीमती जगदीश कौर आज से 22 वर्ष पहले बतौर डिप्टी डीईओ सेवानिवृत्त हुईं और यथासंभव सामाजिक कार्यों में अपना सहयोग देती रही हैं।
उनके पति बतौर वरिष्ठ अधिशाषी अभियंता 24 वर्ष पूर्व सेवानिवृत हुए|
716 पुस्तकों के रचनाकार श्री भाटिया ने लम्बे समय तक पत्रकारिता भी की तथा कुुुछ संस्थाओं से जुड़कर प्रेेेजिडेंट, सीनियर वाईस प्रेज़िडेंट, सचिव आदि की जिम्मेदारियां संभाले हुए हैं।
कुछ हस्तियों ने अफ़सोस जताया
श्रीमती जगदीश कौर जी के निधन पर केवल पालमपुर ही नहीं, दूर-दूर स्थित शिक्षक तथा अधिकारी वर्ग के अतिरिक्त समाज में अच्छा रुतबा रखने वाले बहुत से लोग पालमपुर उनके निवास 27, फ़्रेंडज़ कॉलोनी होल्टा में पहुंच कर या दूरभाष से संवेदनाएं प्रकट करते रहे हैं तथा उन्हें अब उनके जीवन साथी के चले जाने के बाद अपना विशेष ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं।
उन्हें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए 82 वर्ष की इस आयु में अपने लेखन कार्यों तथा कुछ संस्थाओं के साथ पहले की तरह जुड़े रहने की सलाह दिया करते हैं।
श्री शान्ता कुमार तथा आशीष बुटेल, विधायक भी हुए आहत
जैसे ही इस शिक्षिका तथा शिक्षा विभाग की एक अधिकारी के निधन की सूचना समाज में बड़ा रुतबा रखने वाले लोगों तक पहुंची तो उन्होंने स्वयं आकर अथवा दूरभाष से दिवंगत आत्मा की शांति तथा प्रभु चरणों से जुड़े रहने की शुभाशीष दी।
श्री बुटेल, विद्यायक ने उनके दाह संस्कार में भाग लिया। जबकि श्री शांता कुमार ने सुदर्शन भाटिया को अपना खास ख्याल रख कुछ समाज के प्रति तथा लेखन से जुड़े रहने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि मैं उस दुखद स्थिति का स्वयं भुक्तभोगी हूँ। इसलिए आपको अपना विशेष ध्यान रखने को कह रहा हूँ। अधिक से अधिक समय समाज को देते हुए अपनी लेखनी को रुकने न दें।
दिवंगत आत्मा के साथ उनका पूरी तरह से सम्बंध रहा है तथा उनकी आत्मा की शांति हेतु वह प्रभु से प्रार्थना करते हैं।
इन दिनों भाटिया जी के घर पर पहुंच कर उन्हें सहारा देने वालों में डॉ. सुशील कुमार फुल्ल की संस्था रचना मंच के सभी सदस्यों ने बहुत दुःख मनाया।
विद्युत विभाग तथा शिक्षा जगत के सेवारत तथा सेवानिवृत्त कर्मचारी व अधिकारी, स्वामी सत्य साईं जी के सत्याक्षेत्र (थुरल) के सभी सदस्यों, दी पालमपुर वेलफेयर एंड एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन फ़ोरम के सभी सदस्यों और मंडी, शिमला, दिल्ली, रोहतक, गोहाना के प्रबुद्ध सज्जनों ने भी बहुत संवेदना प्रकट कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हृदय से कामना करते हुए पति सुदर्शन भाटिया को स्वयं को अकेला न समझने की पुरज़ोर वकालत कर उनके लिए सदैव उपस्थित रहने का आश्वासन दिया।
फ़्रेंडज़ कॉलोनी होलटा में रहने वाले सभी वरिष्ठ, शिक्षित तथा सेवानिवृत्त अधिकारियों ने भी अपने-अपने ढंग से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थनाएं कीं।
हिमाचल रिपोर्टर के एडिटर-इन-चीफ़ तथा इस रिपोर्ट के रिपोर्टर का कहना है कि वह भाटिया परिवार के साथ पिछले 27-28 वर्षों से घनिष्ठता के साथ जुड़े हुए हैं तथा उन्होंने याद किया कि श्रीमती जगदीश कौर जी जहां-जहां भी अपनी अमूल्य सेवा देती रहीं उनकी कर्तव्यपरायणता को उनके सहकर्मी तथा अधिकारी उनकी सराहना करते नहीं थकते।
(सूर्यवंशी को) मैंने एक दिन बताया कि उनके लेखन कार्य में उनकी पत्नी अपने ढंग से सहयोग करती रही हैं।
याददाश्त तेज़ होने, संस्कृत तथा इंग्लिश की अच्छी ज्ञाता होने के कारण वह सुदर्शन भाटिया जी द्वारा पूछे गए हर प्रश्न का तुरंत उत्तर देती रही हैं। इससे उनके हाथ से किया गया लेखन अग्रसर हो जाता है। कुछ बिंदुओं को स्पष्ट कर देतीं हैं उनकी पत्नी।
716 पुस्तकों के लेखक सुदर्शन भाटिया जी पर उनकी पत्नी को गर्व रहा है तथा उनके कार्य में कभी व्यवधान नहीं आने देतीं थीं।
इंजीनियर सुदर्शन भाटिया के परिवार ने हमें बताया कि 11 सितंबर 2022 को दोपहर एक बजे से वे महाराणा प्रताप भवन राजपूत सभा पालमपुर में एकत्रित होकर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रभु के चरणों से जुड़े रहने हेतु कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। जो भी सज्जन दिवंगत आत्मा को आशीर्वाद देने आना चाहें, उनका स्वागत है।