तमाम रात जलता रहा चुल्लाह झोंपड़ी में, गरीब पास आटा नहीं था रोटी पकाने को।
कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
कलोल बिलासपुर हिमाचल
Mob..94184 25568
तमाम रात जलता रहा चुल्लाह झोंपड़ी में, गरीब पास आटा नहीं था रोटी पकाने को।
खामोशी छाई रही तमाम रात झोंपड़ी में।
हवेली से आती रही आवाज चिल्लाने की।
कम सहुलियतें होती है और भूख झोंपड़ी में,
मगर प्यार मुहब्बत की कसर नहीं दिखाने में।
क्या हो गया रात खाना नहीं था झोंपड़ी में,
मेहनतकश बाप ने न छोड़ी कसर खिलाने में
हो जाता है ऐसा हादशा कभी इस झोंपड़ी में,
मगर अब्बल जगह है इंसानियत सिखाने में।
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कृपया ध्यान दीजिए! ।