क्या जवाहर लाल नेहरू का वो भाषण सही था !

कश्मीर की कहानी क्या है? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में उठता है

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क्या जवाहर लाल नेहरू का वो भाषण सही था !

INDIA REPORTER NEWS
CHANDIGARH : AKSHAT SAROTRI

कश्मीर की कहानी क्या है? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में उठता है। आखिर कश्मीर में क्या कारण है की वहां पर धारा-370 और अलग संविधान है। इस प्रश्न का उतर जानने के लिए हमें इतिहास के पन्नों को पीछे की तरफ पलटना होगा।

यह कहानी तब से शुरू होती है जब भारत ओर पाकिस्तान का विभाजन हुआ था। तब न कोई भारत अधिकृत कश्मीर था ओर न ही पाक अधिकृत कश्मीर। तब केवल कश्मीर ही था। कश्मीर में अधिकांश जनसंख्या मुसलमानों की थी। और इस रियासत का राजा हरी सिंह था। उस समय घटी ऐसी कहानी जिससे शरूआत हुई कश्मीर के विवाद की कहानी। सन 1947 में कश्मीर पर कबालियों ने हमला कर दिया। कबालियों को रोकने के लिए महाराजा हरि सिंह की सेना ने कबालियों को रोकने के लिए वारामुला के नजदीक घेराबंदी की।

अपने दोनों सेनापतियों को इसकी कमान सौंपी गई। कबालियों की ओर से किए गए हमले के पिछे साजिश थी पाकिस्तान की कश्मीर पर कब्जा करना। क्योंकी पाकिस्तान की चाहत थी कि किसी तरह भी पुरे के पुरे कश्मीर को अपने कब्जे में लिया जाए। उस समय भी ऐसा ही हुआ। कहने को तो हमला कबालियों ने किया था लेकीन उन्हें संरक्षण पाक सेना का था। पहले तो जितना हो सकता था उतना कबालियों को रोकने की कोशिश हरि ङ्क्षसह की सेना ने की लेकीन उन्हें रोका नहीं जा सका। कबालि लुटपाट मारकाट करते हुए श्रीनगर की ओर बढ़ रहे थे।

कबालियों के श्रीनगर पहुंचने से पहले ही हरि सिंह जम्मू के लिए निकल पड़े। जैसे ही हमला श्रीनगर पर हुआ। सबसे पहले श्रीनगर की बिजली बंद कर दी गई। पुरा श्रीनगर अंधेरे में डुब गया। हरि सिंह भारत की सेना के संपर्क में थे। लेकीन उस समय भरत की सेना की कमान अंग्रेज कमांडर के पास थी। उन्होंने कहा कि पहले हरि सिंह उस मोमरैंडम पर हस्ताक्षर करें जिसके तहत कश्मीर को भारत गणराज्य में शामिल किया जाए। जिसके बाद हरि सिंह ने कश्मीर को बचाने के लिए कश्मीर को भारतीय गणराज्य में शामिल करने की घोषणा कर दी।

उसके बाद भारतीय सेना ने कबालियों के उपर हमला कर दिया। ओर उन्हें दो दिन के अंदर वारामुला के उडी तक खदेड़ दिया गया। लेकिन उस से आगे के कश्मीर को भारतीय सेना बचा नहीं सकी। जिसे आज के समय में पी.ओ.के. के नाम से जाना जाता है। उसके बाद कश्मीर के पुनरवास का कार्य शुरू किया गया। कोशिस थी कि घाटी में पहले जैसी शांति बहाल हो जाए।

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