मौत को ललकार रहा सौरभ वन विहार के पास न्यूगल खड्ड पर लटक रहा झूले वाला पुल
पालमपुर से कंडी, नगरी, रख, धर्मशाला और अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों को जोड़ने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से तीन दशक पहले जिस झूले वाले पुल का निर्माण और उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने बड़ी उम्मीदो के साथ किया था, आज दम तोड़ता नज़र आ रहा है।
शुक्रिया लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों, स्थानीय राजनीतिज्ञों और प्रदेश सरकार का जो पालमपुर की एकमात्र पर्यटन की पहचान बनी इस कीमती विरासत की देखभाल करने में पूरी तरह नकारा साबित हुई है।
रखरखाव के नाम पर इस पुल को सरकारों ने मात्र झुनझुना ही पकड़ाया है और कुछ नहीं।
सर्वविदित है कि सौरभ वन विहार जिसके निर्माण और बारम्बार किये जा रहे जीर्णोद्धार पर सरकार करोड़ों रुपए बर्बाद कर चुकी है उसकी पहचान और सुंदरता को यही पुल चार चांद लगाता है वरना क्या खास रखा है इस वन विहार में। बर्बादी के बाद तो इसके जीर्णोद्धार की मात्र खानापूर्ति ही कि गई है।
सरकार नई पर्यटन योजनाओं को तो अमलीजामा पहना नहीं रही और पुरानी वेशकीमती जायदादों की परवाह नहीं कर रही, जो देखभाल के अभाव में दम तोड़ती जा रही हैं।
ज़रा आप इस पुल का दौरा करके देखिए, आप के प्राण-पखेरू उड़ जाएंगे इस पुल की दम तोड़ती हालात को देख कर।
जिन लोगों को मालूम है वे तो इस पुल का प्रयोग करने से बचते हैं लेकिन जिस तादाद में अनभिज्ञ मासूम पर्यटक इस पर चढ़ कर मौजमस्ती कर रहे हैं ऐसी स्थिति में यह पुल मौत के कुएं के सिवाय और कुछ नहीं।
इस पुल की देखभाल के लिए उत्तरदायी अधिकारियों से जवाबतलबी की जाए और उन्हें उनकी जिम्मेदारी का अहसास करवाया जाए वरना कभी भी कोई भयानक दुर्घटना घटी सकती है और पालमपुर का पर्यटन बदनाम हो सकता है।