क्या चार साल बाद सेना से रिटायर लोगों को घोषणा अनुसार सिविल नौकरी मिल पाएगी? नेताओं का फर्ज नही बनता कि वे भी कुछ सुविधाएं देश के लिए छोड़ें?
अग्निवीरों के लिए हिमाचल सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में घोषणा कर दी कि चार साल बाद घर आने वाले अग्निवीरों को पुलिस विभाग ,जल विद्युत परियोजनाओं व वन विभाग में प्राथमिकता के आधार पर नौकरियां दी जाएंगी और साथ ही पैरा स्टाफ के रूप में हजारों नौकरियां आबंटित की जाएंगी ।
इस घोषणा से जहां सेना में भर्ती होने जा रहे अग्निपथ के अग्निवीरों को जहां अग्निवीर बनने की प्रेरणा मिली है वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारों का कहना है कि पांच साल में हिमाचल में बेरोजगारी की दर बड़ी है । तो क्या चार साल बाद सेना से रिटायर लोगों को कल की घोषणा अनुसार सिविल नौकरी मिल पाएगी । आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार क्या सेना के लिए इस प्रकार की नीति बनाकर आर्थिक संकट दूर कर पाएगी ।
जनता का कहना है कि आए दिन जनता के अहम अधिकारों को छीनने की कवायद हो रही है जिस कारण वोट बैंक रूपी जनता अविश्वास भरी नजरों से देख रही है । अगर निजीकरण करने के बाद भी आर्थिक घाटा दूर नही हुआ तो सरकार के पास क्या जबाब रहेगा क्योंकि आर्थिक घाटा जनता नही करवाती ब्लकि सरकार की गलत नीतियां इसकी जिम्मेदार होती हैं ।
बेरोजगारी एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज दूरगामी व ठोस नीतियां हैं न कि जनता के अधिकार छीनने से यह बीमारी खत्म होगी ।
जनता पर गलत नीतियां लादने वाले जरा सोचें क्या आर्थिक मंदी के दौर में नेताओं का फर्ज नही बनता कि वे भी कुछ सुविधाएं देश के लिए छोड़ें ।
हर बार जनता से कुर्बानी मांगना लीडर लोगों को शोभा नही देता जबकि अगर वे भी बिना मतलव की सुविधाएं छोड़ दें तो जनता भी जरूर त्याग करेगी ।
पालमपुर में ही कुछ रिटायर नेता तीन तीन पेंशन ले रहे हैं जबकि उनका गुजारा एक पेंशन से हो सकता है तो अगर वे दो पेंशन छोड़ दें तो कुछ हद तक आर्थिक घाटा खत्म होगा।
प्रवीण शर्मा ,अध्यक्ष न्यू मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन संघ हिमाचल प्रदेश