शोक समाचार : ज्योति प्रकाश शर्मा अब हमारे बीच नंही रहे

हमीरपुर और पालमपुर से आजीवन जुड़े रहे

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कैंसर दिवस को लेकर श्लोगन डालने वाला भाई ज्योती शर्मा अब हमारे बीच नंही

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief
HR MEDIA GROUP

इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि कैंसर दिवस को लेकर इस सप्ताह जहां पूरा विश्व जागरूक था , वही हमारा भाई ज्योति प्रकाश शर्मा के लिए यह दिवस काल बनकर सामने आया। एक सच्चे और विराट हृदय मालिक ज्योती शर्मा आज हमारे बीच नहीं रहा।


इससे दुख की और क्या बात होगी कि ज्योति अपनी इस बीमारी के दर्द को अकेला ही झेलता रहा ,और अपने किसी भी मित्र से बात तक नहीं करनी चाही।
ज्योति प्रकाश शर्मा वैसे तो हमीरपुर से संबंध रखते थे, लेकिन अपने परिवार के साथ कई वर्षों तक पालमपुर में ही रहे। पेशा कंपनी में बतौर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव निभाया, लेकिन पत्रकारिता का सपना देखने वाले ज्योति प्रकाश शर्मा ने करीब 15 वर्ष पहले पालमपुर से ही एक सप्ताहिक समाचार निकाला और पत्रकारिता में नए आयाम स्थापित किए। यही कारण रहा कि ज्योती शर्मा पूर्व मंत्री स्वर्गीय जी.एस .बाली के खास लोगों में शामिल हुए। ज्योति नगरोटा प्रेस क्लब के सदस्य के रूप में भी कई वर्ष तक रहे। आज समस्त नगरोटा प्रेस उनको याद कर रहा है। पिछले करीब तीन चार वर्ष पहले ज्योति प्रकाश शर्मा अपने मां-बाप के पास जाकर हमीरपुर रहने लगे थे। जबकि उनकी धर्मपत्नी जो कि अधिवक्ता हैं व उनका सुपुत्र पालमपुर में थे। वैसे तो अनेकों लोगों से ज्योति प्रकाश शर्मा संपर्क में रहे ,और हर व्यक्ति के दिल पर राज करना जानते थे, लेकिन मेरे साथ उनका कुछ अलग ही रिश्ता रहा और अपने घरेलू मामलों को लेकर भी कयी बार हमारी आपस में बातचीत चली रहती थी। हमीरपुर में चले जाने उपरांत भी ज्योति प्रकाश शर्मा ने पालमपुर के अपने कई करीबियों से संपर्क नहीं तोड़ा जिनमें मैं भी एक रहा। मैं अपने आप को खुशनसीब इस प्रकार भी समझ रहा हूं कि ज्योति प्रकाश जब कभी पालमपुर आते थे तो उन्हें मेरा होमस्टे ही पसंद आता था। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पिछले करीब 1 वर्ष तक हमारा संपर्क टूट गया और हम मात्र फेसबुक तक ही सीमित रहे। और देर रात उनकी यह अभागी खबर सुनने को मिली। ज्योति प्रकाश की फेसबुक पर अंत तक अपनी भागीदारी जताते रहे, और मौत करीब होने उपरांत भी सक्रिय रहे। जिंदगी का दर्द उन्होंने पंक्तियों के माध्यम से उजागर किया, जिन्हें कोई उनका करीबी ही समझ सकता है। सारी उम्र तो कोई जीने की बजह नंही पूछता’ मौत वाले दिन सब पूछते हैं, कैसे मरा। उनकी शब्दों में पिरोई यह पंक्तियां आज पढ़ कर अत्यंत दुख हो रहा है| ये हसरत ही रहेगी कि काश मौत से पहले मोबाईल पर प्रिय मित्र से दो मिनट ही बात कर लेता। मौत के आगोश में समाने से पहले शर्मा केंसर जैसी बिमारी को लेकर फेसबुक पर पोस्ट डालते भी दिखे। शायद यही हमारे मित्र की अंतिम पोस्ट रही होगी।
अलविदा मित्र!

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