समाजसेवी स्व. डॉ. वी.के. सूद की धर्मपत्नी कमलेश सूद का लेखन है प्रशंसनीय

कहाँ हो तुम और मेरी अधूरी कहानी की रचयिता कमलेश सूद को बधाई तथा शुभकामनाएं!

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समाजसेवी स्व. डॉ. वी.के. सूद की धर्मपत्नी कमलेश सूद का लेखन है प्रशंसनीय

ई. सुदर्शन भाटिया

रोटरी से बड़ी गहनता से जुड़े रहे, लंबे समय तक अपनी सेवाएं देने वाले वी.के. सूद भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं किंतु उनके आदर्श जीवन से खूब प्रभावित रहीं उनकी धर्मपत्नी कमलेश सूद उनके नाम को जीवित रख रही हैं अपनी सशक्त लेखनी के सहारे। बताने की आवश्यकता नहीं कि कमलेश सूट 32 वर्ष तक अध्यापन कार्य करती रहीं तथा केंद्रीय विद्यालय संगठन से बतौर मुख्य अध्यापिका सेवानिवृत्त हुईं। उनके भाई ई. कुलदीप सूद ने पालमपुर रिपोर्टर की स्थापना कर इसे बड़ी अच्छी तरह जारी रखा और अपनी कलम से एक अच्छे जर्नलिस्ट की पहचान बनाई। संभवत कमलेश सूट में भी लेखन के प्रति जो रुझान पैदा हुआ वह अपने भाई से मिला होगा ।
आज पालमपुर रिपोर्टर को राजेश सूर्यवंशी बतौर हिमाचल रिपोर्टर बड़ी दक्षता व दूरदर्शिता के साथ चला रहे हैं जिस की महक असीमित बन पड़ी है तथा पाठकों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।


कमलेश सूद जब समाज के सामने अपनी बुद्धिमता का परिचय देने हेतु कमर कस चुकी थीं उन्होंने इसका आगाज कविता लेखन से किया।
बहुत जल्दी ही इस बुद्धिजीवी महिला ने दो काव्य संग्रह प्रकाशित करवाए, नाम हैं : ‘आखिर कब तक’ और ‘बसंत सा खिलखिलाते रहना’।


कलम रुकी नहीं, एक के बाद एक जो उनके ‘क्षणिका-संग्रह’ हमें पढ़ने को मिलते गए वे थे ‘छू लेने दो आकाश को’, ‘रिश्तो की डोरी’, ‘उगता सूरज अर्श की ओर’।
उनको एक अच्छी कवयित्री मानने वालों की संख्या निरंतर बढ़ती रही, मतलब 5 कविता संग्रह है ये।
उन्होंने बतौर कहानी लेखिका की पहचान बनानी शुरू कर दी। पहली पुस्तक थी ‘मेरी अधूरी कहानी’ जिसमें 19 कहानियां हैं जो कि ‘नया प्रयोग मानेंगे कहानीकार तथा पाठक।


इसके विषय आम कहानियों से भिन्न तो हैं, आकार में ठीक-ठीक होने व अच्छी शब्दावली से जुड़ी कहानियां पढ़कर हर्ष की अनुभूति होती है तथा मन कह देता है- ‘बढ़ती रहो, पीछे मत देखना’। इसके शीघ्र बाद कमलेश सूद का लघुकथा संग्रह आ गया जिसमें उन्होंने 100 लघु कथाओं को सम्मिलित कर यह सिद्ध कर दिया कि उनकी लेखनी सही दिशा में चल चुकी है तथा समाज को अवश्य ही ‘अच्छा-साहित्य’ देती रहेंगी।
इस ग्रंथ की 100वीं लघुकथा उन्होंने अपने स्वर्गीय पति को तलाशते-तलाशते लिख दी और इसे ही पुस्तक का नाम दिया ।
यह कहना जरूरी है कि कांगड़ा जिला की यह पहली लेखिका हैं जिनका 100 लघु कथाओं का संग्रह आकर उनकी पीठ थपथपाने में जुटा है ।
नाहन की शबनम शर्मा के बाद यह दूसरी महिला है जिन्होने लघुकथा संग्रह देकर हमारे साहित्य को चार चांद लगाने का अच्छा प्रयास किया है ।
उन्हें हिमाचल रिपोर्टर की बधाई तथा शुभकामनाएं ।
यहां यह बताना भी नितांत जरूरी है कि उनकी इन दो पुस्तकों का विमोचन माननीय शांता कुमार जी ने 5 सितंबर को अध्यापक दिवस पर रोटरी भवन के एक शानदार कार्यक्रम में किया ।
इस कार्यक्रम को हिमाचल अकादमी तथा रचना मंच ने डॉ. सुशील कुमार फुल्ल की देखरेख में आयोजित किया था।
अनेक लेखक यहां उपस्थित थे।

 

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