कलम तू हारना मत, चुप मत बैठना कभी, सच ही लिखना, अच्छों को अच्छा, बुरों को बुरा ही लिखना, कलम ने झुका दी तख्तोताज तक दुनिया में, कलम ने दिला दिए महल-ओ-आराम दुनिया में

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श्रीमती कमलेश सूद,

पालमपुर, हिमाचल प्रदेश।

Mob..94188 35456

मेरी हिम्मत, मेरा कुल संसार,कलम तू है,
लिखती, मुझे बताती सब हाल, कलम तू है

यह चले तो हर कोई झुकता, डरता है इससे, तलवार से भी अधिक करती वार, कलम तू है ।

कलम ने झुका दी तख्तोताज तक दुनिया में,
कलम ने दिला दिए महल-ओ-आराम दुनिया में ।

रुक्के भेज कर लिखकर कलम ने कमाल कर दिया,
किस्से कई बना दिए जनाब इसने धरती पे |

कलम तू लिखती रह, चुप मत रह,
कुछ न कुछ बोल, रखना हिम्मत,
झूठ को झूठ और सच को सच बोल। </लोहा तेरा मानता है,
हर कोई तुझे जानता है,
इसीलिए कहती हूँ कलम, रूक मत, बोल देश को मेरे, देना तू कबीर, तुलसी, जायसी नये,

तू सच बोल । मुंशी प्रेमचंद हों, जयशंकर हों, कालिदास हों नये ।

कलम तू करना शंखनाद,
उनकी ही जय बोलना, जो डिगें नहीं प्रण से, देशहित रहें जो खड़े।

कलम तू प्रेम गीत लिखना, प्यार लिखना, प्रीत लिखना, बिछड़े दिलों को मिलाने हेतु सुंदर संदेश भी लिखना ।

लिखवाना पाती माँ को, सीमा पर खड़े जवान से, देना दिलासा, करना सदा सम्मान उसका।
कलम विरह गीत भी लिखना, कालिदास के भावों को सजीव करना,

मेघदूत के पास लिख पाती भिजवा देना प्रियतम को।
दिखाना उसे आँसू, जुदाई और मिलन संदेश भी लिखना,

कलम तू हारना मत, चुप मत बैठना कभी,
सच ही लिखना, अच्छों को अच्छा, बुरों को बुरा ही लिखना ।

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