आई हॉस्पिटल के चेयरमैन की महिला के साथ बदतमीज़ी की चीख गूंजी राष्टीय महिला आयोग में, चेयरमैन की अमानवीय हरकतों की हो रही चौतरफ़ा निन्दा, हॉस्पिटल की प्रतिष्ठा दांव पर

Palanpur के पास की इस घटना में चेयरमैन केसी अपने निजी स्वार्थों व निजी रंजिश का इंतकाम लेने हेतु न जाने इस प्रसिद्ध हॉस्पिटल को और कब तक निशाना बना कर अपनी रोटियां सेंकते रहेंगे?

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SHIMLA

IRT BUREAU

उत्तरी भारत का एक अग्रणी आई हॉस्पिटल जिसका निर्माण डॉ. शिव कुमार ने अपने खून-पसीने से किया था, नए चेयरमैन केसी (वैकल्पिक) के अड़ियल रवैये के कारण आज एक गंभीर संकट का सामना करते हुए अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है।

हॉस्पिटल की फाउंडेशन को मजबूत करने और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में स्व. डॉक्टर शिव, तमाम सुयोग्य डॉक्टरों और स्टाफ के  कंधे तक घिस गए उसे आज नए चेयरमैन अपनी झूठी ज़िद्द और छोटी-छोटी बातों में किये जाने वाले बालहठ की वजह से नेस्तानाबूद कर देना चाहते हैं, उसे मिट्टी में मिला देना चाहते है लेकिन फाउंडेशन की योग्य टीम अधिक देर तक इस ज़िद्दीपन और तानाशाही को सहन नहीं करेगी और हॉस्पिटल की फाउंडेशन को हिलाने का चेयरमैन का सपना कभी पूरा नहीं होगा, ऐसा जनता का और दानी सज्जनो का विश्वास है।उनगें आशा है कि जल्द ही फाउंडेशन इस समस्या का कोई न कोई कारगर हल निकालने में अवश्य कामयाब होगी। कभी तो उनकी अंतरात्मा जागेगी ज़रूर और फिर वही पुराना हौंसला रंग लाएगा जिसके बल पर उन्होंने डॉक्टर शिव जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आई हॉस्पिटल की तरक्की का सुनहरा सपना देखा था।

उन्हें हॉस्पिटल की नींव बचानी होगी वरन डॉक्टर साहिब से आंख मिला पाना आसान नहीं होगा। वे स्वर्ग से चुपचाप सबकी हरकतों को देख रहे हैं।

डॉ. शिव का सपना था कि यह अस्पताल उत्तरी भारत का एक प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र बने, और उन्होंने इसे उच्चतम शिखर पर पहुंचाया। उनके निधन के बाद, नए अध्यक्ष  का ज़िद्दी, तानाशाहीपूर्ण, नकारात्मक रवैया और विवादास्पद व्यवहार अस्पताल के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। जिससे उन बेचारे सैंकड़ों  कर्मचारियों के माथे पर शिकन साफ देखी जा सकती है जो कालांतर में अस्प्ताल के पत्तन की वजह से अपनी नॉकरियों से भी हाथ धो सकते हैं।

बुटेल की स्वाभाविक आक्रामकता और महिला के प्रति असम्मानजनक रवैया न केवल अस्पताल के स्टाफ में असंतोष पैदा कर रहा है, बल्कि समाज में भी एक नकारात्मक संदेश भेज रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जो व्यक्ति महिला की इज़्ज़त करना भी नहीं जानता, जो अत्यंत आक्रामक, गुस्सेल और अहंकारी प्रवृत्ति का हो, उसे समाजहित से जुड़े जनहित में कार्यरत किसी बड़े महत्वाकांक्षी संस्थान के चेयरमैन का महत्वपूर्ण पद सौंपा जाना चाहिए? क्या ऐसे व्यक्ति को अस्पताल जैसी संवेदनशील संस्था का संचालन करने का अधिकार होना चाहिए, जो अपने पद की गरिमा को बरकरार न रख सके और अस्पताल को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे धकेले?

उनके व्यवहार ने अस्पताल के कई कर्मचारियों में आक्रोश उत्पन्न किया है। अस्पताल के कई महत्वपूर्ण रेनोवेशन अथवा अन्य कई चीजों में, उनके चहेतों को वरीयता दी जाती है जिससे यहां  एकाधिकार की भावना बढ़ी है। इसके परिणामस्वरूप, स्टाफ में न केवल निराशा बढ़ी है, बल्कि स्थानीय समुदाय में भी इस अस्पताल की विश्वसनीयता को खतरा पैदा हो गया है।

26 जुलाई को केसी द्वारा एक इज़्ज़तदार महिला के साथ किए गए अभद्र व्यवहार ने उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग की चौखट पर ला कर खड़ा कर दिया है। इस व्यक्ति को अपनी उम्र का भी लिहाज़ नहीं रहा है। इनका अपना आलोचनात्मक व्यवहार ही इनका शत्रु बन चुका है जिसकी लपटें आई हॉस्पिटल को भी जला रही हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग में चेयरमैन के खिलाफ क्रमांक 2014111502140 के तहत शिकायत पर कार्यवाही चल रही है।

इन महाशय की हिम्मत तो देखिए, महिला को आलोचनात्मक और आपत्तिजनक धमकी भरा पत्र लिख रहे हैं और वह भी आई फाउंडेशन के ऑफिशियल लेटर हेड पर, बिना किसी गवर्निंग बॉडी के सदस्य की राय लिए जबकि डॉ शिव के साथ आरम्भ से कदम से कदम मिला कर चले थे और आज सीनियर मोस्ट होने के बावजूद खुद को असहाय और Ignored महसूस कर रहे हैं, केवल और केवल चेयरमैन की कथित तानाशाही के कारण।

चेयरमैन की आड़ में अपनी निजी रंजिशें और निजी स्वार्थ साधने में  केसी (वैकल्पिक) ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं जिसका सीधा असर अस्पताल की प्रगति और प्रतिष्ठा पर पड़ रहा है जिसका अनुचित लाभ अस्प्ताल के प्रतिद्वंदी उठाने में कामयाब हो रहे हैं। सीधा-सीधा नुकसान हॉस्पिटल को हो रहा है।

होना तो यह चाहिए था कि केसी अपनी निजी रंजिशें भुला कर अपना ध्यान नकारात्मक बातों से हटा कर अस्पताल की उन्नति में लगाते डॉ शिव की तरह। उन्हें तो सब कुछ पका-पकाया थाली में परोस कर मिला है, बस इसे आगे बढ़ाना है लेकिन केसी का आलोचनात्मक रवैया अस्प्ताल के उत्थान में आड़े रहा है जोकि हॉस्पिटल की सेहत के लिए अच्छा नहीं। पका-पकाया पचाना उन को रास नहीं आ रहा है।

उल्लेखनीय है कि हॉस्पिटल में आज से लगभग दो साल पहले एक प्रेस मीट में पत्रकारों के सवालों के जवाब में केसी ने वादा किया था कि अगले महीने ही डॉक्टर शिव की 6 आदमकद प्रतिमाएं उनके संस्थानों के प्रांगण में स्थापित की जाएंगी। लेकिन अफसोस इस बात का है कि आई हॉस्पिटल की इमारत की एक-एक ईंट जो डॉ शिव ने दान मांग-मांग कर लगाईं थीं, वे आज चीख-चीख कर पूछ रही हैं कि कहां हैं मेरे जन्मदाता, मेरे आका की मूर्तियां? क्यों नए चेयरमैन ने उन्हें इतनी बेदर्दी से भुला दिया? क्यों इस इतिहास पुरुष की अनदेखी की जा रही है। कुर्सी संभालते ही तानाशाह ने डॉक्टर शिव के सभी निर्णयों को quash कर दिया था तथा उन्हें डिक्टेटर कह कर संबोधित किया था। उनके इस रवैये की लोग जम कर निंदा कर रहे हैं।

चम्बा के एक चैनल मालिक ने उक्त सवालों के संदर्भ में केसी महाशय को कई फोन किये, व्हाट्सएप के माध्यम से सवाल किए, जवाब के लिए दो माह का समय भी दिया कि आखिर डॉ शिव की प्रतिमाएं क्यों नहीं लगाईं वादे के अनुसार (प्रेस मीट में वह पत्रकार भी मौजूद थे) लेकिन केसी ने आज दिन तक उनके सवालों का कोई उत्तर देना ज़रूरी नही समझा।

डॉक्टर शिव की प्रतिमाओं पर कुंडली मार कर बैठ गए हैं नए चेयरमैन।

ऐसा प्रतीत होता है मानो वह डॉक्टर शिव से कोई पुरानी गहरी रंजिश उनके चले जाने के बाद निकाल रहे हैं क्योंकि उनके जीतेजी तो केसी की यह दिली तमन्ना पूरी हो नहीं पाई थी क्योंकि सारी जनता ने उन्हें अत्यधिक स्नेह देकर उन्हें शक्तिशाली जो बना दिया था। उनका मुकाबला वही कर सकता था जो उन्हीं के बराबर का शक्तिमान, चरित्रवान, कुशल प्रशासक और उच्च कोटि का समाजसेवक होता।

पिछले लगभग पौने तीन साल में नए चेयरमैन ने डॉक्टर शिव की हर पहचान को मिटाने का कुप्रयास किया है। उन के ज़िद्दीपन और बदले की आग ने हॉस्पिटल की प्रतिष्ठा को सरेआम कलंकित करने के प्रयास किये हैं।

उनका यह अहंकारी व्यवहार अस्पताल की प्रतिष्ठा को आरम्भ से ही लगातार कलंकित कर रहा है और समाज में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ाने का कारण बन रहा है।

अभी यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे व्यक्तियों को चैरिटेबल अस्पताल के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए? केसी ने अस्पताल की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, और लोग मानते हैं कि उन्हें तुरंत कुर्सी से हटा देना चाहिए। या उन्हें स्वयं अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उनकी वजह से आज अस्प्ताल नकारात्मक गतिविधियों का अड्डा बन कर रह गया है जो उनकी एक कुशल प्रशासक होने की काबिलियत को कटघरे में खड़ा करता है। उनका हिटलर वादी रवैया अस्प्ताल को आगे बढ़ने से रोक रहा है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है।

लोगों का मानना है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो जल्द ही लोगों का इस अस्पताल से विश्वास उठ जाएगा, खासकर महिलाओं का, जो स्वास्थ्य सेवाएं लेने के लिए यहां आने में संकोच करेंगी।

अंततः, रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा को एक नए नेतृत्व की आवश्यकता है, जो डॉ. शिव कुमार की दृष्टि और कार्यों को आगे बढ़ा सके।

अस्पताल की भविष्य की दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि क्या इसे एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में सौंपा जाएगा, जो न केवल कुशल प्रशासक हो, बल्कि समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को भी समझता हो। वक्त है अतिशीघ्र उचित निर्णय लेकर हॉस्पिटल को नकारात्मकता से निकालकर उन्नति की ओर ले जाने का ताकि कोई भी डॉक्टर शिव की इस अनमोल विरासत को नुकसान न पहुँचा पाए, इसकी प्रतिष्ठा पर उंगली न उठा सके, उसे ठेस न पहुंचा सके।

काश डॉक्टर शिव के महान व्यक्तित्व का एक भी गुण नए चेयरमैन में होता तो आज अस्प्ताल नित नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हुआ होता, लेकिन अभी भी वक्त है संभलने का, इससे पहले कि नकारात्मक गतिविधियों में सब कुछ जल कर राख हो जाए। नेस्तनाबूद हो जाए।

ईश्वर करें वह समय कभी न आने पाए क्योंकि किसी भी चीज़ को बनाने में बरसों लग जाते हैं और उसे मिट्टी में मिलाने के लिए कुछ ही पल काफी होते हैं।

पालनपुर के समीप घटी इस घटना से लोगों में रोष की लहर है। पालनपुर के पास की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में चेयरमैन केसी अपने निजी स्वार्थों व निजी रंजिश का इंतकाम लेने हेतु न जाने इस प्रसिद्ध हॉस्पिटल को और कब तक अपना निशाना व अपनी ढाल बना कर अपनी रोटियां सेंकते रहेंगे?

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