बुटेल की कुर्सी खतरे में, कई दावेदारों की पैनी नज़र, फाउंडेशन में असंतोष और नेतृत्व की अनिश्चितता, बुटेल के खिलाफ 9 चेयरमैन दावेदार तैयार!

दावेदारों में मची हलचल, कौन बनेगा अगला सेनापति

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के.जी. बुटेल की चेयरमैनशिप खतरे में, दावेदारों की कतार लंबी

INDIA REPORTER TODAY (IRT)

जून 2022 से *दी पालमपुर रोटरी आई फाउंडेशन* के चेयरमैन पद पर आसीन 85 वर्षीय केजी बुटेल का कार्यकाल अब मुश्किलों में घिरा हुआ नज़र आ रहा है।

पिछले दो वर्षों से आई हॉस्पिटल के संस्थापक चेयरमैन स्व.डॉ शिव कुमार के दुःखद आकस्मिक निधन के फलस्वरूप बुटेल चेयरमैन की कुर्सी पर बिना इलेक्शन जैसे-तैसे काबिज़ हुए थे, उसके एक महीने बाद से ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनमें प्रमुख हार्ट सर्जरी और अन्य बीमारियां शामिल हैं।

K.G. Butail

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार उनकी सेहत में लगातार गिरावट ने फाउंडेशन के संचालन पर गहरा असर डाला है, जिससे कई अहम परियोजनाएं और फैसले ठप हो चुके हैं। अस्प्ताल पीछे की ओर सरक रहा है। ऐसे में नेतृत्व परिवर्तन की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है जिसे फाउंडेशन अधिक समय तक दबा नहीं पाएगी। इस मामले में अतिशीघ्र फाउंडेशन को निर्णय लेना ही होगा क्योंकि दानी सज्जनों का करोड़ों रुपया इस अस्पताल के संचालन में लगा हुआ है। उन्हीं के प्रयासों से यह अस्प्ताल एक चैरिटेबल अस्प्ताल की हैसियत से नेत्र रोगियों की भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ है। कोई भी नहीं चाहता कि अस्प्ताल कक नुकसान हो और उनका करोड़ों रुपया मिट्टी में मिल जाए। इस दान राशि में न जाने कितने दिवंगत महानुभावों की भी श्रद्धा जुड़ी हुई है। 

दानी सज्जन भी चुपचाप टकटकी लगाए देख रहे

Dr Shiv Kumar, Father of Rotary Eye Hospital, Internationally acclaimed Social Worker & Founder CHAIRMAN, Rotary Eye Foundation
ROTARY EYE HOSPITAL MARANDA
अगर गाहे-बगाहे अस्प्ताल की प्रतिष्ठा पर सवाल उठते हैं तो इसके लिए पूरी फाउंडेशन पर उंगलियां उठनी लाज़मी हैं क्योंकि उनके सिर पर संयुक्त रूप से अस्प्ताल के कुशल संचालन की ज़िम्मेदारी है और वह मात्र केजी के ऊपर सारा जिम्मा डालकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते। खामियाजे के अधिकारी तो सभी समान रूप से होंगे, ऐसा दानी सज्जनों का मानना है। जंगें दानी सज्जनों के कोपभाजन का बुरी तरह शिकार होना पड़ सकता है जोकि ऊंचाइयों को छू रहे उत्तरी भारत के इस अग्रणी अस्प्ताल और इसके कर्मचारियों के लिए अत्यन्त घातक साबित हो सकता है।

सूत्रों के अनुसार फाउंडेशन के प्रमुख संस्थान, रोटरी आई हॉस्पिटल, सहित अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों के कई कार्य स्थगित पड़े हैं। इससे न केवल फाउंडेशन की कार्यप्रणाली पर असर पड़ा है, बल्कि वहां काम करने वाले वरिष्ठ पदाधिकारी और सदस्य भी असहाय महसूस कर रहे हैं।

अनिश्चितता के इस दौर में, फाउंडेशन के कई महत्वपूर्ण कार्यों में देरी हो रही है, जो कि संस्थान के भविष्य के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

बुटेल के अनिश्चित स्वास्थ्य के चलते कुर्सी की स्थिरता डगमगा रही है, और इसे देखते हुए चेयरमैन पद के लिए दावेदारों की कतार लंबी होती जा रही है।

सूत्रों की मानें तो वर्तमान परिस्थितियों के चलते ऐसा लगता है कि केजी का फाउंडेशन अब और इंतजार करने के मूड में नहीं है। बुटेल का गुस्सैल और कठोर व्यवहार भी उनके लिए बड़ी चुनौती बन गया है। अधिकांश पदाधिकारी और सदस्य उनके इस रवैये से असंतुष्ट हैं, जिसके चलते उनका 36 का आंकड़ा चल रहा है।

फाउंडेशन के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बदकिस्मती से बुटेल का गुस्से व अहंकार से भरा नेतृत्व कई लोगों के साथ टकराव का कारण बना है, जिससे उनके खिलाफ असंतोष और तेजी से बढ़ रहा है।

जैसे-जैसे बुटेल की पकड़ कुर्सी पर कमजोर हो रही है, चेयरमैन पद के लिए करीब 9 दावेदार पूरी तरह तैयार होकर अब तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सामने आ चुके हैं, जो इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभालने का सपना देख रहे हैं और स्व डॉ शिव के करीबी व विश्वसनीय भी हैं।

फाउंडेशन के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इन दावेदारों के बीच कुर्सी पर काबिज होने के लिए अंदरूनी राजनीति और शक्ति संघर्ष बढ़ता जा रहा है। लेकिन यह स्पष्ट है कि कुर्सी पर वही बैठेगा जिसे चुनाव में बहुमत मिलेगा।

फाउंडेशन के अधिकांश सीनियर सदस्य इस बदलाव के दौर में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

बुटेल की पिछले दो साल से लगातार चल रही खराब सेहत और संस्थान के ठप्प कार्यों को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि फाउंडेशन के अगले चेयरमैन के रूप में किसका चयन होता है। उम्र के तकाज़े से इनकार नहीं किया जा सकता।

बेचारे बुटेल साहिब को मलाल सिर्फ इसी बात का रहेगा कि जबसे वह देवतुल्य युगपुरुष डॉ शिव कुमार की कुर्सी पर विराजे हैं, उनकी सेहत पर निरंतर विपरीत प्रभाव पड़ता गया और वह मात्र चंद दिन ही इस कुर्सी की शोभा बढ़ा पाए। उनका अधिकांश समय ईलाज में ही गुज़रा। ईश्वर उन्हें दीर्घायु दें।

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Sumit Nanda
Press Correspondent

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