कृषि विश्वविद्यालय के लिए टुकड़ों में बंटी हुई ज़मीन कतई मंज़ूर नहीं : हपौटा

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ज़मीन के बदले मुख्य परिसर से 12-15 किलोमीटर दूर टुकड़ों में ज़मीन विश्वविद्यालय को मंज़ूर नहीं

RAJESH SURYAVANSHI, CHAIRMAN MISSION AGAINST CORRUPTIONcum Editor-in-Chief, HR MEDIA GROUP

विभिन्न संगठनों के अध्यक्षों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय , पालमपुर की 112 हेक्टेयर भूमि का सरकार द्वारा जबरन हस्तांतरण पर्यटन गांव बसाने के लिये किया जा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षकों , गैर शिक्षकों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों द्वारा सरकार के इस चकित करने वाले निर्णय का विरोध भी किया जा रहा हैं । विभिन्न शिक्षकों , गैर शिक्षकों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के संगठनों ने २९ अगस्त को पालमपुर में सामूहिक विरोध प्रदर्शन भी किया । इसके साथ ही साथ एसडीएम पालमपुर के माध्यम से प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री जी को ज्ञापन भी सौपा । लेकिन प्रदेश सरकार ने अड़ियल रवैया अपना रखा है और ऐसे लग रहा है कि कृषि विश्वविद्यालय को ख़त्म ही कर देना हैं ।
अब प्रदेश सरकार ज़मीन के बदले ज़मीन विश्वविद्यालय को देने की बात कह रही है। यह ज़मीन एक 91 वर्षीय महिला ने सरकार को दान की है, जो 154 हेक्टेयर है। सरकार का कहना है कि इसमें से 112 हेक्टेयर कृषि विश्वविद्यालय को दी जाएगी जो सरा-सर न्यायसंगत नहीं है। दान की गई बंजर भूमि कृषि विश्वविद्यालय के परिसर से लगभग 12-15 किलोमीटर की दूरी पर है जहां कोई सड़क मार्ग भी नहीं है। इसके अतिरिक्त यह भूमि गांव थला व भगोटला में है जिनकी आपस में दूरी लगभग 4-5 किलोमीटर है। प्रदेश सरकार क्यों नहीं इस जगह में पर्यटन गांव स्थापित कर रहा है?

कृषि विश्वविद्यालय के परिसर को 3 खंडों में विभाजित करना विद्यार्थियों तथा किसानों के साथ अन्याय है। इसके अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय की ज़मीन जिसका हस्तांतरण किया जा रहा है, वह करोड़ों रूपये खर्च करके विकसित की गई है, जिसमें प्रकृतिक खेती फार्म, सब्जी बीज उत्पादन इकाई, उत्तम किस्म के घास का क्षेत्र जो डेयरी गाय के लिए विकसित किया गया है। इसी ज़मीन पर कृषि अभियांत्रिकीय महाविद्यालय बनाने का प्रस्ताव भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को भेजा गया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार की संभावना भी इसी ज़मीन पर निर्भर है। कृषि विश्वविद्यालय को विस्थापित कर पर्यटन गांव विश्वविद्यालय के परिसर के एकदम साथ होने से बच्चों के संस्कारों पर कैसा असर पड़गा वो सबको विदित है।
प्रदेश सरकार जो भूमि कृषि विश्वविद्यालय को देने की बात कह रही है, वो भूमि किसी नई परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिये उचित है, जिसमें हम पर्यटन गांव की कल्पना भी कर सकते हैं। इस प्रकार से पालमपुर में एक नया क्षेत्र विकसित होगा जो आस-पास के प्रदेशवासियों को रोजगार सृजन कर सकता है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि कृषि विश्वविद्यालय के ढांचे को और सूदृढ़ करे अपितु इसके संसाधनों को बार-बार सीमित किया जाय ।
कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में पर्यटन गांव स्थापित करने का निर्णय बिल्कुल गलत है। माननीय मुख्य मंत्री जी से हम सभी का आग्रह है कि इस निर्णय पर पुनः गंभीरता से विचार करें और कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित क्षेत्र तथा स्थापित संपत्तियों का व्यापारिकरण करने के फैसले से विद्यार्थियों एवं किसानों के हित के लिए फैसले को वापिस लें ।

अध्यक्ष हपौटा
9418927836

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