ज़िला कुल्लू में प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम्म हो रही आवश्यक दवाईयों की कालाबाज़ारी

चौगुने दामों पर बेची जा रही हैं मासूम जनता को दवाईयां, रुपए प्रिंट रेट वाली सैनिटाइजर की कैन होलसेल में बिक रही 900 रुपये की

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ज़िला कुल्लू में प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम्म हो रही आवश्यक दवाईयों की कालाबाज़ारी

250 रुपए प्रिंट रेट वाली सैनिटाइजर की कैन होलसेल में बिक रही 900 रुपये की

होलसेल दवा विक्रेता एजेंसियों की पहुंच ऊपर तक होने से मासूम गरीब जनता की नींद हराम

ज़रूरी दवाएं मार्किट से गायब, एक ही माह में 50 रुपये प्रिंट रेट वाले सैनिटाइजर के रेट हुए डबल यानि 100 रुपये, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद में।

India Reporter Today
Kullu : Vijay Sood
Senior Reporter

एक ओर जहां असहाय जनता वैश्विक महामारी के नुकीले पंजों में जकड़ी हुई अपनी जान गंवा रही है वहीं दूसरी ओर ज़िला कुल्लू के मौत के सौदागर दवाओं के कुछ होलसेलर और रिटेलर बेरोकटोक लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम्म आवश्यक दवाओं की कालाबाज़ारी कर चार गुणा दामों पर दवाईयां बेच कर मोटी कमाई कर रहे हैं। दवाईयों की कालाबाज़ारी की अवैध कमाई का एक बड़ा हिस्सा ऊपर तक कथित रूप से कुछ सम्बंधित कमीशनखोर आकाओं में बंट रहा है। लोगों का आरोप है कि इसी मुनाफ़ाखोरी की वजह से कालाबाजारी करने वाले कसाइयों पर कोई नकेल नहीं कस रहा।

गौरतलब है कि एक माह के भीतर ही दवाईयां मार्किट से गायब हो गई हैं। दवाओं के स्टॉक गायब हो चुके हैं। सप्लाई न आने का भी रोना कुछ दावा विक्रेता रो रहे हैं लेकिन उनके दावे सच्चाई से बिल्कुल परे हैं। क्योंकि अगर आपको ब्लैक में कोई भी दावा लेनी हो तो सभी होलसेल और रिटेल दावा विक्रेताओं के दरवाजे हमेशा खुले हैं।
250 रुपये प्रिंट रेट वाली सेनेटाइजर की कैन अगर 900 रुपये की चाहिए तो जितनी मर्ज़ी ले जाइए लेकिन 250 में चाहिए तो स्टॉक खत्म। जनता जाए भाड़ में।
“सइयां भये कोतवाल, फिर दर काहे का”

जब जनता के हितों के रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो कालाबाज़ारियों की हिम्मत तो सातवें आसमान को छुएगी ही।

लोगों का मानना है कि संबंधित विभाग के उच्चाधिकारी आंखों में धूल झोंकने हेतु छोटी-मोटी छानबीन या छापेमारी करने का ढोंग रच रहे हैं लेकिन अंदरखाते कालाबाज़ारियों से मिल कर गरीब जनता की खाल नोच रहे हैं।

इन मौत के सौदागरो में इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं बची है। एक तो लोगों के सिर पर मौत का साया मंडरा रहा है, काम-धंधे चौपट पड़े हुए है, लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही दवाइयों की खरीद तो दूर की बात है दूसरी ओर इंसानियत के दुश्मन मजबूर जनता की एक एक बोटी नोचने और खून निचोड़ने में लगे हुए हैं। लेकिन उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। जनता जाए तो जाए कहाँ।

“हर साख पे उल्लू बैठा है,
अंजामे गुलिस्तां क्या होगा।”

यही कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है कुल्लू ज़िला में। लिक्विड डेटोल, लिमसी, थर्मामीटर, पेरासिटामोल और कोविड के ईलाज में काम आने वाली कई ज़रूरी आम दवाईयां मार्किट से गायब कर दी गई हैं लेकिन अगर ब्लैक में चाहिए तो माल 24 घंटे उपलब्ध है।
क्या कर रहा है ज़िला प्रशासन?
क्या कर रहे हैं ज़िला के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जिनके सिर पर जनता के हितों की सुरक्षा करने का जिम्मा सरकार ने सौंप रखा है?
जब माली ही बाग का दुश्मन बन जायेगा तो बाग को कौन बचायेगा, यही प्रश्न लोगों को अंदर तक झकझोर रहा है। उन्हें बेचैन कर रहा है।
लोगों ने प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर से प्रार्थना की है कि कुल्लू जिले में दवाओं की कालाबाज़ारी करने वाले राक्षसों और उन्हें अवैध संरक्षण देने वाले कुछ आला अधिकारियों पर नकेल कसें और मासूम जनता को उनके खूनी पंजों से छुड़ाएं।

लोग घर का ज़रूरी सामान वेच कर और यहां-वहां से उधार मांग कर चौगुने दामों पर ज़रूरी दवाएं खरीदने को विवश हैं। अब मुख्यमंत्री महोदय से ही उन्हें अंतिम उम्मीद है जो उन्हें अंधेरे से बाहर निकाल कर उजाले की ओर ले जा सकते हैं।

लोगों ने मुख्यमंत्री से यह भी अपील की है कि कालाबाज़ारियों और उनसे मिले हुए आकाओं पर जबरदस्त फ़ौरी कानूनी कार्यवाही करते हुए जनता को राहत पहुंचाएं।

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