वकीलों को इंसाफ कब मिलेगा ? कब तक होते रहेंगे वे नाइंसाफी के शिकार? कब सुनी जाएगी उनकी फ़रियाद

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आज भोपाल सिंधु भवन में अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता मंच का राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया गया जिसमें समस्त राष्ट्र से हजारों की संख्या में अधिवक्ता उपस्थित हुए।
प्रोग्राम की शुरुआत सरस्वती वंदना द्वारा की गई।


प्रोग्राम के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र कुमार बलेचा जी ने इस मंच के बारे में बताते हुए कहा कि यहां अधिवक्ता मंच पिछले 3 वर्षों से अधिवक्ताओं के प्रोटेक्शन एक्ट के लिए कार्य कर रहा है और इस मंच की टीम प्रत्यक्ष प्रदेश में अपने कार्य के लिए प्रयास कर रही है और राजस्थान की टीम ने अपने इस प्रयास में सफलता पा ली है । अब हमें यहां एक्ट नेशनल लेवल पर अधिवक्ताओं के लिए सरकार से लागू कराना है।

आज अधिवक्ता प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को एवं इस समाज को इंसाफ दिलाने में अपना संपूर्ण योगदान देता है परंतु सरकार उसके हित में एक भी कदम नहीं उठाती है सरकार को अपने इस नियम को बदलते हुए अधिवक्ताओं के हित में कदम उठाना ही होगा।

इसके बाद सभी प्रदेश के अध्यक्षों ने अपने अपने संबोधन में अधिवक्ता ऐड के लिए अपनी अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि आज अगर किसी अधिवक्ता के साथ कोर्ट बिल्डिंग के बाहर कुछ भी होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसी की भी नहीं होती यहां तक कि प्रशासन द्वारा अधिवक्ताओं की रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती एवं प्रशासन एवं अधिवक्ताओं को किसी भी क्षेत्र में प्राथमिकता नहीं मिलती सरकार को इस नियम को बदलते हुए अधिवक्ताओं को एक बराबर का अधिकार देना होगा जो अधिकार अन्य क्षेत्रों के लोगों को मिलता है वही अधिकार अधिवक्ताओं के लिए भी सरकार को लागू करना होगा। जिससे अधिवक्ता समाज में सिर उठाकर जी सके और एक निडर जिंदगी का यापन कर सकें।

इसके साथ ही कुछ अन्य वक्ताओं ने अपने संबोधन में अधिवक्ताओं के साथ होने वाले अन्याय के बारे में बताते हुए कहा कि अगर किसी अधिवक्ता को कोर्ट बिल्डिंग के बाहर मारा जाता है या फिर उसके साथ कुछ गलत किया जाता है तो कोई भी प्रशासन और शासन उसकी मदद नहीं करता, ना ही कोई भी ऐसा कानून है कि उसके लिए उसका मुआवजा मिले, ना ही अधिवक्ता की फैमिली को उसकी मृत्यु पश्चात कोई मुआवजा दिया जाता है जिससे उसकी फैमिली अपना जीवन यापन कर सकें।

अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता मंच का मुख्य उद्देश है कि अधिवक्ताओं के लिए एक ऐसा एक्टर बनना चाहिए या फिर एक्टर लागू होना चाहिए जिसमें अधिवक्ताओं को उनकी मृत्यु पश्चात उनके परिवार को मुआवजा दिया जाए, उनके रिटायरमेंट पश्चात उन्हें एक पेंशन दी जाए, टोल टैक्स में रियायत मिलना चाहिए, ट्रेन में एक आरक्षण होना चाहिएं, उन्हें हर किसी क्षेत्र में प्राथमिकता देने के लिए एक एक्ट बनाया जाए जिस तरह से अन्य क्षेत्र के लोगों के लिए होता है।

 

संबोधन के पश्चात सभी मंचासीन अधिवक्ता प्रदेश अध्यक्ष का स्वागत किया गया स्वागत की बेला में मंचासीन अतिथि थे।

रविंद्र संस्थापक संरक्षक राष्ट्रीय
राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र कुमार बलेजा
मनोहर चंचलानी प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान
जय शंकर प्रजापति प्रदेश अध्यक्ष गुजरात
गंगा प्रसाद यादव प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश
माधव मालवीय राष्ट्रीय प्रभारी
तरुण पटेल वरिष्ठ प्रदेश महामंत्री
वेद प्रकाश नेमा राष्ट्रीय महासचिव
शैलेंद्र सक्सेना प्रदेश अध्यक्ष मध्य प्रदेश
मोनिका जैन प्रदेश उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश
जमील कुरैशी राष्ट्रीय महासचिव
राजेश पंचवाली राष्ट्रीय महासचिव
पवन सक्सेना राष्ट्रीय सचिव
मनोज सनपाल राष्ट्रीय संगठन मंत्री
केके शर्मा राष्ट्रीय सचिव
जिनेंद्र जदवानी राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ।

अधिवक्ताओं का प्रयास है कि अधिवक्ताओं को एक समान अधिकार मिले, जो कि अन्य क्षेत्रों के लोगों को मिलता है उस अधिकार के साथ अपना जीवन यापन करने का अवसर मिले, जिससे जो युवा अधिवक्ता बनते हैं उन्हें अधिवक्ता बनने पर भी गर्व हो।

जया अग्रवाल
मीडिया प्रभारी
मध्य भारत प्रांत

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