महान पुण्य आत्मा थे स्व. लेख राज महाजन
पालमपुर निवासी डॉ विनय महाजन, जॉइंट डायरेक्टर (से.) के पूज्य पिता जी श्री लेखराज महाजन जी का 27 जनवरी को दुःखद निधन हो गया। वह अपने जीवन के 88 सावन पूरे करने ही वाले थे कि हंसते-खेलते कुछ ही क्षणों में परम पिता परमात्मा की गोद में समा गए। ऐसी सहज मृत्यु भाग्यवानों को ही नसीब होती है।
11 अगस्त 1935 को जन्मे स्व. लेखराज बहुत ही हँसमुख और सौम्य व्यक्तित्व के स्वामी थे। समाजसेवा में अग्रणी रहते थे।
नगर के कई गणमान्य लोगों जैसे कैबिनेट मिनिस्टर गोकुल बुटेल, पूर्व विधानसभा स्पीकर बीबीएल बुटेल, गोयल जी, कटोच जी, सवी सचदेवा जी, सुरेश वासुदेवा जी आदि ने विला कामेलिया में आयोजित शोकसभा में दिवंगत आत्मा को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके गुणगान गाए। उनके साथ बिताए सुनहरी पलों को याद किया।
श्री गोकुल बुटेल, कैबिनेट मिनिस्टर ने डॉ. विनय महाजन से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया।
गोकुल बुटेल ने कहा कि आज स्व लेखराज को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए जिस भारी तादाद में जनसमूह शोकसभा में उमड़ा है उसी से पता चलता है कि स्व लेखराज की समाज में कितनी जान-पहचान थी। वह सबसे मिलजुल कर सस्नेह रहते थे। सबकी मदद करते थे। सर्वद का भला करने में दृढ़ विश्वास रखते थे।
गोकुल ने कहा कि ऐसे महानुभावों की कमी समाज को सदा खलती रहेगी। उनकी कमी को पूरा करना असंभव है। जो शून्य वह समाज में छोड़ गए हैं उसे पूर्ण करना सहज नहीं।उनके सहयोगपूर्ण और मधुर स्वभाव के लिए उन्हें सदा याद किया जाता रहेगा। वह सिद्ध कर गए कि…. *ऐसी करनी कर चले, आप हंसे जग रोये*
उन्होंने कहा कि कितने भाग्यशाली लोग होते हैं वे लोग जिन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने की लिए हज़ारों की संख्या में जनसमूह उमड़ कर आता है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की तथा शोक संतप्त परिवार को गहरे दुःख से उबरने हेतु शक्ति प्रदान करने की अरदास की।
बुटेल ने कहा कि भले ही वह केंद्रीय सरकार की नॉकरी में रहे अथवा निजी जिंदगी में, दोनों ही तरह से वह एक कामयाब इंसान साबित हुए। उन्होनें अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाया।
उनके पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए उनके काबिल बच्चों ने भी समाज में वह ऊंचा स्थान हासिल करने में सफलता हासिल की जिसकी कल्पना करना आसान नहीं।
ईश्वर दिवंगत पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।