Compiled by
RAJESH SURYAVANSHI
बॉलीवुड की खूबसूरत हसीना का ‘टीना मुनीम’ से ‘टीना अंबानी’ बनने तक का सफर – बॉलीवुड के आकाश में कभी एक चांद हुआ करती थीं, टीना मुनीम। रोशनी बिखेरतीं, मनमोह लेतीं, पर कभी धरती पर उतरने की ख्वाहिश नहीं जगी। उनकी ख़ामोशी उनकी ख़ासियत थी, पर्दे पर धमका तो आती थीं, मगर असल जिंदगी का शोर उन्हें रास नहीं आया। आइए, झांकते हैं उस दौर में, जब टीना चमकीं और फिर अचानक से ख़ुद को सिनेमाई पर्दे से दूर कर लिया।
फिल्मी दुनिया से दूर एक गुजराती परिवार में जन्मीं ‘निव्रुति मुनीम’ (1957) का फिल्मी सफर यूं ही अचानक शुरू हुआ। किसी सपने की तरह। एक अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में जीत ने उन्हें देव आनंद की नज़रों में ला खड़ा किया। बस फिर क्या था, 1978 में आई “देस परदेस” से टीना ने एंट्री मारी। भले ही फिल्म कुछ खास न चली, मगर टीना की खूबसूरती और अदाकारी पर सबकी निगाहें टिक गईं।
फिर शुरू हुआ सिलसिला हिट फिल्मों का। ऋषि कपूर के साथ “कर्ज़” (1979) ने उन्हें मजबूती से स्थापित कर दिया। पर्दे पर उनकी जोड़ी कमाल की जमती थी। राजेश खन्ना, जितेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती जैसे बड़े नामों के साथ भी उन्होंने काम किया। “रॉकी” (1981), “फिफ्टी फिफ्टी” (1981), “सौतन” (1983)) जैसी फिल्में उनकी यादगार फिल्मों में शुमार हैं।
टीना हीरोइन से ज़्यादा एक आइकॉन बनती जा रही थीं। मगर ये सब चकाचौंध उन्हें लुभा नहीं पाई। कैमरे के पीछे का ये जंजाल उन्हें पसंद नहीं आया। वह इंटरव्यू देने से कतराती थीं और यानी अफवाहों से दूर रहना पसंद करती थीं। वह बस एक बेहतरीन अदाकारा बनना चाहती थीं, जो उन्होंने बखूबी निभाया भी।
और फिर अचानक से एक सवाल खड़ा हो गया – टीना कहां गायब हो गईं? 1987 में कॉलेज की पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया जाने का फैसला कर उन्होंने सबको चौंका दिया। 31 साल की उम्र में, करियर के उच्तम पड़ाव पर पर ये फैसला किसी पहेली से कम नहीं था। कुछ का कहना है कि राजेश खन्ना के साथ रिश्ते में आई दरार ने उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर किया। कुछ का मानना है कि वह शांत और साधारण जिंदगी जीना चाहती थीं।
बाद में साल 1991 में टीना ने अनिल अंबानी से शादी कर पूरी तरह फिल्मों से दूर हो गईं। वह एक सफल बिजनेसमैन की पत्नी, दो बच्चों की माँ और समाजसेविका के रूप में जानी जाती हैं।
टीना मुनीम का फिल्मी सफर भले ही लंबा न रहा हो, मगर उनका जादू आज भी बरकरार है। वह एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्होंने शोहरत से दूरी बनाए रखी और अपनी शर्तों पर जिया। उनकी ख़ामोशी ही उनकी कहानी कहती है, एक चांदनी की कहानी, जो चमकती है, पर कभी पकड़ में नहीं आती।