Dr. Lekh Raj
PALAMPUR
राजेश जी! कहते हैं आंख है तो जहान है वरना दुनिया अंधकार है , क्या हो गया इस विश्व प्रसिद्ध आंखों के हस्पताल को , क्यों इसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं ?
डाक्टर साहिब के सपनो की उड़ान के पंखों को क्यों काटा जा रहा है ? ऐसी हिम्मत कोन और क्यों कर रहा है , जहां बड़े ही विश्वास से दूर दराज से लोग हर तरफ से निराश हो कर यहां आशा की किरण के साथ आते थे और बाकी तो छोड़ो अपनी खोई हुई दृष्टि को पुना प्राप्त कर गद गद होकर दुनिया देखते हुए बाहर निकलते थे , अब उसी हस्पताल से अपनी दृष्टि गंवा कर लोग मायूस होकर बाहर निकल रहे हैं, किसके कहने पर सब स्टैंडर्ड दवाइयां खरीदी जा रही है , अगर मैनेजमेंट और डॉक्टर्स की ओर से सब सही है तो ऐसी दवाई की जांच करवा कर कंपनी के ऊपर केस दायर करना चाहिए ताकि ऐसा और किसी से भी न हो और जिन्हो ने अपनी रोशनी खोई है कम्पनी द्वारा उनको भरपाई कराई जा सके और ऐसी कंपनी का लाइसेंस तुरंत प्रभाव से निरस्त हो , दवाइयां एक कमेटी द्वारा खरीदी जाती हैं न कि किसी एक के कहने पर , लगता तो ये है मैनेजमेंट हेड की पकड़ ही ढीली हो गई है, अगर ऐसा है तो किन्ही उचित और सुरक्षित हाथों में इसका जिम्मा सौंपा जाए ताकि हस्पताल की साख भी बनी रहे और लोग भी दुखी न हो, मेरे ख्याल में पहले हमारे देव तुल्य डाक्टर राम जी भी इसका हिस्सा होते थे और निर्माण में भी डाक्टर साहब जी का बहुत ही योगदान रहा है, अगर उनकी सेहत ठीक हो तो उनका उच्चित निर्देशन और अनुभव का लाभ अवश्य उठाना चाहिए , ताकि ऐसी कार्यप्रणाली से कहीं बंद होने की कगार से इस हस्पताल को बचाया जा सके।