शांति के प्रकम्पनों के प्रवाह से मनाया गया ” विश्व शांति दिवस”

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शांति के प्रकम्पनों के प्रवाह से मनाया गया ” विश्व शांति दिवस”

मंडी:. अजय सहगल

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मंडी के सद्भावना भवन में 18 जनवरी को संस्था के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा की 52 वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया! पिता श्री ब्रह्मा बाबा के  जीवन पर प्रकाश डालते हुए राजयोगी भ्राता नरेंद्र जी ने बताया की 1876 में जन्मे दादा लेखराज जिन्हें पिता श्री ब्रह्मा बाबा के नाम से जाना जाता है उन्होंने अपने दिव्य विवेक श्रेष्ठ चरित्र और व्यवहार कुशलता के आधार पर अपना उच्च स्थान बनाया था! वे सिंध हैदराबाद के जाने-माने जौहरी थे जो अतुल धनसंपदा से संपन्न थे वह बहुत ही भक्ति भाव वाले थे और धार्मिक कार्यों को विशेष रुचि से किया करते थे! सन 1936 मैं 60 वर्ष की उम्र में परमात्मा से प्राप्त दिव्य साक्षात्कारों से उनके जीवन में अकल्पनीय परिवर्तन आया ये साक्षात्कार धरा पर होने वाले महा परिवर्तन के थे जिससे उन्हें स्पष्ट हुआ कि कैसे कलयुगी दुखदाई सृष्टि एक सुंदर देवी संस्कृति वाली श्रेष्ठ दुनिया में परिवर्तित हो जाती है! इस महा परिवर्तन में ईश्वर द्वारा प्रदत अपनी भूमिका को समझते हुए उन्होंने एक ही पल में अपना सर्वस्व इस महान कार्य के लिए स्वाहा कर दिया!
संस्थान की प्रभारी राजयोगिनी शीला दीदी जी ने पिता श्री ब्रह्मा बाबा के जीवन की विशेषताओं के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा की ब्रह्मा बाबा को आत्म स्थिति में टिकने का इतना अभ्यास था जो कोई भी उनसे मिलता तो सहज ही देह के भान को भूल आत्मिक सुख की अनुभूति में खो जाता! उन्होंने अपने त्याग तपस्या और सेवा द्वारा पवित्रता और दिव्यता की इतनी गहरी  नीव रखी जो लाखों लोगों ने इसे अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया व दूसरों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने!
इस कार्यक्रम में लोगों ने कोविड नियमों का पालन करते हुए भाग लिया व संगठित रूप से विश्व की दुखी आत्माओं के लिए योग का दान दिया

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