ईनाम एक लाख! औलाद न होने पर एक लाख रुपये ईनाम, हमीरपुर में जुड़वा बच्चों का जन्म 14 साल बाद, शर्तिया संतान प्राप्ति का चमत्कार, बिना एक पैसा खर्च किये, मां कमरू कामख्या महामायी भीमाकाली दुर्गा के आशीर्वाद से विवाह के 25 साल बाद भी निसंतान लोगों की भर रही गोद, मात्र तीन डोरियों के चमत्कार से
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Dr Shiv Kumar, Father (founder) of Rotary Eye Hospital MARANDA, Internationally acclaimed Social Worker & Founder CHAIRMAN, Rotary Eye Foundation
आँखिन देखी…..
मात्र तीन डोरियों के माध्यम से महामाई कमरू कामख्या भीमा काली दुर्गा के पावन आशीर्वाद से 19 साल बाद बेऔलाद दम्पत्ति की भरी गोद
20 नवंबर को मां मनु शर्मा की खुशी और उसके पति मनीष शर्मा की खुशी का ठिकाना ना रहा जब उनके घर दो जुड़वा बच्चों ने जन्म दिया. मां कामरु कामाख्या महामाई भीमां काली दुर्गा के आशीर्वाद से दोनों बच्चे पूर्ण स्वस्थ हैं व पूरा परिवार माता रानी का गुणगान कर रहा है.यह चमत्कार भक्त रामचंद्र जी द्वारा दी गई तीन डोरियों के कारण ही संभव हुआ है. जुड़वा लड़कों का जन्म हमीरपुर के सिविल अस्पताल में हुआ है, दोनों बच्चे अभी अस्पताल में ही है तथा माता रानी के दर्शनों के लिए जल्द ही बाजे-गाजों के साथ गांव भंगवार में माता रानी के मंदिर में पधारेंगे आशीर्वाद देने के लिए.
कमरू कामख्या महामायी भीमा काली दुर्गा के आशीर्वाद से दौलतपुर चौक ऊना के एक निःसंतान दम्पत्ति के घर 19 साल बाद खुशियां लौट आईं।
दम्पत्ति विजय कपूर (51) और सुदेश कपूर (45) ने बताया कि वे लगभग तीन वर्ष पूर्व किसी से सुनकर दुर्गा भक्त बाबा रामचंद गिरी के पास माता रानी के मंदिर में हर तरफ़ से निराश होकर औलाद की कामना लेकर आशीर्वाद लेने आए थे। उस समय उनकी शादी को 19 वर्ष बीत चुके थे।
माता सुदेश कपूर अध्यापिका व पिता इंजीनियर विजय कपूर हर जगह से ईलाज करवाकर धक्के खाकर पूरी तरह नाउम्मीद होकर बाबा रामचंद गिरी के महामायी के मंदिर में सुखना करके गए थे कि अगर उनके घर में संतान होगी तो वे बच्चे को माता के चरणों में आशीर्वाद दिलवाने के लिए अवश्य आएंगे।
सुदेश कपूर को मात्र तीन डोरियों के माध्यम से माता रानी के आशीर्वाद से चमत्कारिक रूप से दो वच्चे हुए और दोनों ही पुत्र। उनका घर खुशियों से भर गया।
माता-पिता ने बताया कि वे इतने अधिक खुश हुए कि बच्चों को माता का आशीर्वाद लेने के लिए दुनियादारी की भागदौड़ में मंदिर में आना भूल गए। वैसे भी जब वक्त बीत जाता है, दुख दूर हो जाता है तो इंसान माता की कृपा को किस्मत की देन समझ कर आलस्यवश माता को भूल जाता है। तब मां उसे स्वयं याद दिलाती है।
दो साल बाद जब बच्चों को माता निकली तो उन्होनें चारों ओर ईलाज करवाया, झाड़-फूंक करवाई, लेकिन समस्या बढ़ती गई।
अंत में किसी ने बताया कि वे माता कज सुखना करके भूल गए हैं। यह उसी भूल का परिणाम है जो दो साल वाद देखने को मिल रहा है।
तब उन्हें औलाद रहित अपना पुराना दुखी जीवन याद आया और वे माता रानी के मंदिर में दोनों बच्चों को लेकर बाजे- गाजे के साथ माता का आशीर्वाद लेने पहुंचे और अपनी भूल के लिए नाक रगड़-रगड़ के माफ़ी मांगी।
उन्होंने बताया कि इस दौरान वे मंदिर में रहे और बच्चे स्वस्थ स्वस्थ हो गए। वे खुशी-खुशी ऊनी भूल का पश्चाताप करते हुए घर वापिस लौट गए।
इस घटना को शाब्दिक रूप देने का एक मात्र अभिप्राय यह है कि जिन लोगों के घर में बरसों से औलाद नहीं हो पा रही है वे यहां ज़िला कांगड़ा के रानीताल-ज्वालाजी रोड पर रानीताल के पास फोरलेन सड़क के किनारे गांव भंगवार में मां दुर्गा के अनन्य भक्त बाबा रामचंद गिरी अपने मंदिर में विराजित महामायी दुर्गा की कृपादृष्टि से मात्र तीन चमत्कारी डोरियों के माध्यम से संतानप्राप्ति कर खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकें। संतान पुत्री अथवा पुत्र हो सकता है। मात्र पुत्र की इच्छा लेकर आने वाले पति-पत्नी का मंदिर में आना निषेध है। माता रानी बिना भेदभाव के गोद भरती हैं। यहां विवाह के 25-25 साल बाद भी लोगों को संतान की प्राप्ति हो रही है।
श्रद्धालुओं को चाहिए कि आने से पूर्व भक्त बाबा रामचंद गिरी जी से मोबाइल फोन 9805131258 पर वार्तालाप कर लें ताकि निर्धारित दिन-बार पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके व असुविधा से बचा जा सके।
उल्लेखनीय है कि शरीर से 80 प्रतिशत अपंग भक्त बाबा रामचंद ने 30 साल तक मां कमरू कामख्या महामायी भीमाकाली दुर्गा की कठोर तपस्या की है जिसके उपरान्त उन्हें माता रानी की बख्श प्राप्त हुई है तथा उनके मुख से निकली बात सत्य सिद्ध होती है। जय माता दी।
नोट : यहां आना किसी के लिए बाध्य नहीं है। केवल माता रानी की कृपा पर श्रद्धा रखने वालों का ही स्वागत है।
–संपादक