#Rotary Eye Hospital पर शिकंजा कसे सरकार, सरकारीकरण की ओर अग्रसर, मेला मल सूद रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा बना पुलिस प्रशासन के लिए भयंकर सिरदर्द, अस्पताल के बाहर नेशनल हाईवे पर वाहनों की अवैध पार्किंग की वजह से रोज हो रहीं दुर्घटनाएं और लग रहा ट्रैफिक जाम, चैरिटी के नाम पर महीने का करोड़ों रुपया कूट रहा अस्पताल और अस्पताल में पार्किंग ना होने की सजा भुगत रहा पुलिस प्रशासन और आम परेशान जनता, डॉ. शिवकुमार के प्राण त्यागते ही चरमराई अस्पताल की पार्किंग व्यवस्था, आई फॉउंडेशन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही,
PALAMPUR : IRT
मेला मल सूद रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा बना पुलिस प्रशासन के लिए भयंकर सिरदर्द,
अस्पताल के बाहर नेशनल हाईवे पर वाहनों की अवैध पार्किंग की वजह से रोज हो रहीं दुर्घटनाएं और लग रहा ट्रैफिक जाम,
महीने का करोड़ों रुपया कूट रहा अस्पताल और अस्पताल में पार्किंग ना होने की सजा भुगत रहा पुलिस प्रशासन और आम परेशान जनता,
डॉ. शिवकुमार के प्राण त्यागते ही चरमराई अस्पताल की पार्किंग व्यवस्था
आई फॉउंडेशन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही
मेला मल सूद रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा में पार्किंग की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है जिसका खामियाजा अनावश्यक रूप से स्थानीय पुलिस और प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है।
यदि एक दिन की बात हो तो भी कोई सहन कर लेता है लेकिन यहां तो प्रतिदिन का यही हाल है। इसी वजह से पुलिस को रोजाना यहां पुलिस कर्मियों की तैनाती करनी पड़ती है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। वे बेचारे कड़कती धूप में, भयंकर सर्दी और भारी बरसात में यहां-वहां नेशनल हाईवे पर अवैध रूप से पार्क किये वाहनों को नियंत्रित करने में लगे रहते हैं नतीजतन सरकार का लाखों रुपए का नुकसान यहां अस्पताल की अवैध पार्किंग को नियंत्रित करने में हो रहा है जबकि कसूरवार है अस्पताल की प्रबंधकारिणी और खामियाजा भुगत रहा है बेचारा निर्दोष पुलिस-प्रशासन और निरीज जनता।
हां, यहां आपको बताते चलें कि जब तक तो इस हॉस्पिटल के जन्मदाता अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सनाजसेवी डॉ. शिवकुमार जीवित थे तब तक तो वह अस्पताल की पार्किंग में ही रोगियों व उनके अभिभावकों के वाहन पार्क करवाते रहे ताकि लोगों की जेब न कटे और 20 रुपये में ही लोग अपनी आंखों का चेकअप करवा सकें। उनके दिल में सबके लिए हमदर्दी थी क्योंकि उन्होनें दानी सज्जनों से एक-एक रुपये का दान लेकर इस अस्पताल का निर्माण करवाया था। उन्हें इस दौर में कई उतार-चढ़ाव देखे थे इसलिए उनके दिल में रोगियों के प्रति हमदर्दी थी। वह लोगों का एक भी पैसा जाया नहीं होने देते थे लेकिन जैसे ही डॉ शिव ने इस ब
नश्वर संसार को अलविदा कह वैसे ही इस अस्पताल के बुरे दिन शुरू हो गए।
यहां आने वाले रोगियों व उनके अभिभावकों के लिए आई चेकअप करवाना टेढी खीर साबित हो रहा है। अस्पताल प्रशासन लोगों को अपनी पार्किंग में वाहनों की पार्किंग करने नहीं देता उन्हें साफ शब्दों में ठोक कर इनकार कर दिया जाता है। उन्हें मजबूरन 50 से 100 रुपए देकर पार्किंग का जुगाड़ करना पड़ता है। यहां प्राइवेट पेड पार्किंग भी जब भर जाती है तो बाहर parking full का बोर्ड लटका दिया जाता है। रोगी जाएं भाड़ में।
दूसरी ओर अस्पताल द्वारा उन्हें यह कह कर भगा दिया जाता है कि गाड़ी जहां मर्ज़ी पार्क करो। हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं।
मजबूरन सैंकड़ों मील दूर से आए हुए लोग जोकि पहले ही रात को जाग कर, वाहन चला कर परेशान अवस्था में यहां होते हैं, पार्किंग न होने के परिणामस्वरूप और अधिक दुखी होकर यहां वहां भटकने हेतु मजबूर हो जाते हैं।
पुलिस भी ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने हेतु मजबूरन चालान करने का सहारा लेती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि पुलिसकर्मी चालान करने से पहले इतनी शालीनता और मानवता बरतते हैं कि पहले तो नेशनल हाइवे पर पार्क, ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे वाहन मालिकों को अस्पताल में जाकर ढूंढते हैं। जिनके नंबरों का ज्ञान हो जाए उन्हें बार बार फोन करते हैं कि गाड़ी को सड़क पर से हटा लो। लेकिन जब पुलिस लाचार हो जाती है तभी चालान करती है। वरना चालान से बचने का पूरा मौका देती है।
दूसरी तरफ अस्पताल जो रोगियों से प्रति माह करोड़ों रुपया कमा रहा है, वह रोगियों की तरफ से पूरी तरह बेखबर होकर अपनी जान छुड़ा कर लोगों को उनके हाल पर छोड़ देता है जबकि पार्किंग की पूरी जिम्मेवारी कानूनी रूप से अस्पताल की बनती है।
भगवन आ शुक्र है कि कुछ दयावान लोगों ने यहां दो पार्किंग स्थलों का निर्माण किया हुआ है। अस्पताल को उनका शुक्रगुजार होना चाहिये। अग्र्र यह न होते तो पूरा मारंडा नीचे से ऊपर तक ट्रैफिक जाम और अवैध पार्किंग से परेशान होता।
आज भी जब इन पार्किंग स्थलो की एंट्री पर पार्किंग फुल का बोर्ड़ लटका दिया जाता है तो लोगों की क्या हाल होती है इसका अंदाज़ा आप सहज ही लगा सकते हैं। पूरे नेशनल हाईवे के दोबों ओर अवैध पार्किंग का नज़ारा देखा जा सकता है। पुलिस भी चालान कर कर के और लोगों को समझा-समझा इर तंग हो जाती है।
जाम लगने पर जब बड़े बड़े वाहन wrong side से कट मारते हैं तो जानलेवा दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। कई जानलेवा दुर्घटनाएं घट भी चुकी हैं।