मोदी जी का नाम बदनाम न करो

अगर तेलों के दाम बढ़ रहे हैं तो इसमें सरकार का क्या कसूर ?

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मोदी जी का नाम बदनाम करने की सफ़ल साज़िश

पेट्रोल, डीज़ल और रसोई गैस में लगी आग तो क्या कसूर मोदी जी का है, न जी न?

INDIA REPORTER NEWS
NEW DELHI : RUCHITA
अगर तेलों के दाम बढ़ रहे हैं तो इसमें सरकार का क्या कसूर ? यह कसूर तो जनता का है या फिर विपक्षियों का है। अगर आपको विकास चाहिए तो तेल के दाम तो बढ़ाने पड़ेंगे। ऊपर से विकास को ढूंढना भी है,  उसका खर्चा अलग, विकास जी  पिछले कई बरसों से गायब हैं, उन्हें ढूंढना है  तो खर्च होगा होगा ही न?
 उस खर्चे को निकालने के लिए पैसा चाहिए जो तेल से निकलता है बदले में भले ही जनता का तेल निकल जाये। सरकार को रेवेन्यू की आवश्यकता रहती है और रेवेन्यू तो जनता पर बोझ डालकर ही आ सकता है । कोई अपनी तनख्वाह सरकार के खाते में डाल भी दे तो उससे कुछ काम चलने वाला नहीं क्योंकि बेचारों की तनख्वाह ही बहुत कम होती है।
लगता है किसी साजिश के तहत तेल कंपनियां सरकार को बिना बताए सरकार की बदनामी करने हेतु जनता को परेशान करने के लिए जानबूझकर तेल की कीमतें बढ़ा रही हैं ताकि आने वाले चुनाव में बीजेपी को जोर का झटका धीरे से लगे।  लगता है यह सब वामपंथियों की चाल है जो इतने बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गजों को भी धूल चटा रहे हैं।
इसमें केजरीवाल की साजिश भी हो सकती है कि वह भी तेल कंपनियों को अपने पक्ष में कर के तेल की कीमतें बढ़वा रहे हैं।ममता माया मुलायम भी इस साजिश का हिस्सा हो सकते हैं। परन्तु इनको यह समझ नहीं आ रहा है कि अगर विकास चाहिए तो उसकी कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी ,चाहे आपके घर का चूल्हा कितना ही महंगा क्यों ना हो जाए। यह समझ नहीं आ रहा है कि क्या टिकैत साहिब भी इस साजिश में हिस्सा बन रहे हैं या नही और शायद वह सिंघु बॉर्डर पर बैठे-बैठे ही तेल कंपनियों को आदेश पारित कर रहे है।
साफ प्रतीत होता है कि सभी बड़े बड़े नेता व नामी-गिरामी तेल/गैस कंपनियां न जाने किस के आशीर्वाद तले बेचारे मोदी जी को बदनाम करने की सफल साजिश रच रही हैं। अगर इनकी साज़िश यूं ही सफल होती रही और गरीब का पेट कटता रहा तो भाजपा की तो यह सफाई करवा के ही दम लेंगे। क्योंकि बेचारे मोदी तो जब विपक्ष में थे तो भी ढोल पीट-पीट कर कांग्रेस को 57 रुपए प्रति लीटर पर भी जम कर कोसते थे, व्यंग्य कसते थे तो भला मोदी जी तेल और गरीब की रसोई में आग कैसे लगा सकते हैं, यह तो सपने में भी नहीं सोचा जा सकता।
तो आप यह मान कर चलिए की बेचारे मोदी जी और उनकी टीम का तेल और गैस में आग लगा कर मारने का कोई प्लान नहीं है बल्कि यह तो विपक्ष और सरकार के दुश्मनों की चाल ही लगती है ताकि मोदी सरकार को बदनाम किया जा सके। मोदी जी तो जन-जन के चहेते नेता हैं। वोटरों ने उनके गरीबी और महंगाई दूर करने के नारे पर पक्का विश्वास करके उन्हें जी भर कर वोट देकर जिताया है। भला मोदी जी जनता के इस भारी-भरकम प्यार का सिला इतनी बेरहमी से थोड़ी न देंगे। उन्हें देश की जनता से बेइंतहा मोहब्बत है। उनका बुरा तो वोह भूल कर भी नहीं सोच सकते। यह तो दुश्मनों की पक्का कोई चाल है जिन्होंने मोदी जी को बदनाम करने के लिये तेल/गैस कंपनियों को अपने पक्ष में कर लिया है। मोदी जी संभवतः बेकसूर हैं, यह सारा भारत जानता है।
इसलिए जनता मोदी जी को कोई दोष न दे, यह उनके दुश्मनों की चाल है जो पूर्णतया सफल रही है। अब इस खतरनाक चाल का आगामी चुनावों पर कितना बुरा असर पड़ता है, यह तो वक्त ही बताएगा। तब तक आराम से बैठिए और सहते रहिये। जब तक आपके चुनाव आएंगे तब तक तो रेट कम हो ही जायेंगे। और उस समय तक तेल और गैस कंपनियों का खजाना पूरी तरह भर चुका होगा। लोग लुट चुके होंगे।
काश यह तेल और गैस कंपनियां मासूम मोदी जी के कंट्रोल में होतीं तो वह जनता को इतनी बेरहमी से किसी भी तेल/गैस कंपनी के हाथ लूटने नहीं देते। अब सहने के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं है। इसलिए नमो नमो के उच्चारण के साथ डाल-रोटी खाओ और सो जाओ। इसी में आप सब का भला है, वरना अगर मुंह खोलने की कोशिश की तो अंजाम …… हा… हा… हा…

खुदाकसम, आप अच्छी रारह जानते हैं।
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