कत्लेआम मुख्यमंत्री सुक्खू के आदेशों की उड़ाई जा रही सरेआम धज्जियां, रातों-रात 50 से अधिक बेजुबानों की छाती पर चली आरी, अवैध कटान होता रहा, वन विभाग सोता रहा, मुख्यमंत्री और जिलाधीश कांगड़ा से की कार्यवाही की मांग

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रानीताल के पास खैर के पेड़ों का बेरहमी से कत्ल, वन विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत से लाखों रुपये का बड़ा अवैध कटान

RAJESH SURYAVANSHI, Editor-in-Chief, HR Media Group, Founder Chairman Mission Against Corruption Society, H.P. Mob 9418130904
INDIA REPORTER TODAY (IRT)

बीती रात जिला कांगड़ा के रानीताल के पास अपर भंगवार गाँव के जंगल में रात के अंधेरे का फायदा उठाकर कुछ वन माफियाओं ने खैर के कीमती और विशालकाय पेड़ों पर बेरहमी से कुल्हाड़ी चला दी। लगभग 50 से अधिक खैर के पेड़ों को जड़ से काट दिया गया। इस घिनौने अपराध की भनक तक किसी को नहीं लगी, और स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए।

घटना की सूचना मिलते ही इंडिया रिपोर्टर टुडे की टीम मौके पर पहुंची और हालात का जायजा लिया। टीम ने पाया कि अधिकतर पेड़ समूल नष्ट कर दिए गए हैं। इन पेड़ों की अनुमानित कीमत लाखों रुपये आंकी जा रही है। घटनास्थल पर कटान के निशान स्पष्ट रूप से यह दर्शाते हैं कि यह कार्य सिर्फ वन माफियाओं का नहीं हो सकता, बल्कि इसमें वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

वनरक्षक बने विनाशक

वन विभाग के जिन रक्षकों को वनों की सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये की तनख्वाह दी जाती है, उन्हीं पर इन पेड़ों की कटाई करवाने और इसके बदले मोटी कमीशन लेने के आरोप लग रहे हैं। वनरक्षक ही अब वन के सबसे बड़े विनाशक बनते जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां

हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आदेश दिया था कि सभी कटिंग मशीनों के लाइसेंस बनाए जाएंगे और अवैध कटान पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। लेकिन इस घटना ने इन आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं। वनों का अवैध कटान दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

किसानों और पर्यावरण को हो रहा है भारी नुकसान

कटान से न केवल वनों को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय किसानों को भी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। ठेकेदार सस्ती कीमत पर अवैध तरीके से काटे गए पेड़ खरीद रहे हैं, जिससे किसानों के वर्षों की मेहनत पर पानी फिर रहा है। खैर के पेड़ों की फसल को तैयार होने में 10 साल लगते हैं, और एक बार कटान के बाद फिर से इतनी ही अवधि तक इंतजार करना पड़ता है।

वन विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला

यह घटना हिमाचल प्रदेश के वन विभाग में गहराते भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। जल शक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग से भी अधिक भ्रष्टाचार वन विभाग में देखा जा रहा है। करोड़ों रुपये की तनख्वाह लेने वाले अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं और माफियाओं से मिलीभगत कर रहे हैं।

जनता ने की कड़ी कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोगों ने सरकार से आग्रह किया है कि इस अवैध कटान की गहराई से जांच करवाई जाए। दोषी कर्मचारियों, अधिकारियों, वन माफियाओं और ठेकेदारों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। केवल सख्त कदम उठाने से ही हिमाचल प्रदेश में अवैध कटान को रोका जा सकता है और वनों की रक्षा की जा सकती है।

वन विभाग और सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि अगर समय रहते इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं की गई, तो पर्यावरण को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, जिसका असर आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।

डिप्टी कमिश्नर से हस्तक्षेप की मांग

स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों ने जिला कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर श्री हेमराज बैरवा से निवेदन किया है कि वह इस गंभीर स्थिति का स्वयं संज्ञान लें और मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लें।

डिप्टी कमिश्नर से यह उम्मीद की जा रही है कि जिला प्रमुख होने के नाते वह इस अवैध कटान के मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। साथ ही, वन विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारियों को तय करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाएंगे।

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