क्या त्रिपुरा के आईएएस शैलेश कुमार व्यवहार सही था या गलत

प्रशासन में शासन की दखलअंदाजी बंद होनी चाहिए

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बी के सूद सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर एंड राजेश सूर्यवंशी एडिटर इन चीफ

West Tripura District Magistrate (DM) Shailesh Kumar Yadav has reportedly been suspended.

West Tripura DM Shailesh Kumar Yadav has reportedly been suspended for manhandling people including a groom at a wedding ceremony in Agartala, a couple of days back.

In several videos of the incident, that went viral in the social media, the DM was heard hurling abuses at the people present at the wedding party.

The IAS officer had entered the marriage halls and asked people to vacate the premises immediately for allegedly violating COVID-19 restrictions.
Everybody in social media and other channels people are criticizing the DM for his unruly behaviour but India reporter today is of the view that he has performed his duty honestly .Although his way of dealing the matter was totally wrong ,our political system is responsible for such incidents. The political interferences into the duty channels of of all the accountable officer is also responsible for such type of incidences….
It is learnt that the officer has been suspended
if true, its wrong decision by the government and undoubhtly wrong action by the officer {DM} at that particular time.

कर्तव्य निर्वहन में कुछ कोताही भी हो जाती हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि कर्तव्य निर्वहन करने वाले ऑफिसर्स को सजा मिले डीसी का एक्शन बहुत एग्रेसिव था जो नहीं होना चाहिए था परंतु था तो genral public के इंटरेस्ट में ही ना! उसे वार्निंग देकर छोड़ना चाहिए था।
वरना डीसी को क्या पड़ी है कि वह रात को 11:00 बजे किसी की शादी में जाकर हंगामा करें क्योंकि उसे जनता की फिक्र थी कि बीमारी ना फैले इसलिए वह गया वरना 11:00 आराम सेे अपने घर में सो रहा होता ।उसे क्या लेना देना था!!
उसने वहां भी कहा कि हम सारा दिन अनाउंसमेंट कर रहे हैं और आप उसी की धज्जियां उड़ा रहे हैं । डीसी को बहुत मेहनत करनी पड़ती है अपना कर्तव्य निर्वहन करने के लिए और उस पर बहुत ज्यादा प्रेशर भी होता है जनता का और शासकों का! ऊपर बैठे लोग सबसे अधिक pressure डालते हैं उनसे उल्टा सीधा काम करवाने के लिए!
डीसी बेचारा क्या करें ?नेताओं के पास जनता जाती है  कुछ अपनी शिकायत लेकर जिसमेंं शिकायतें सही होती हैं तो कुछ गलत किसी भी अधिकारी को सही काम करने में कोई दिक्कत नहीं परंतु गलत को सही करके करना बहुत मुश्किल होता है । जनता जनार्दन हैै  वह  अपनाााा हर सही और गलत काम करवाना चाहते हैं गलत मांग  मनवाने की कोशिश करते हैं और शासक फिर DC को कहते हैं कि है यह काम कीजिए ।
जब डीसी उन्हें कहता है कि सर यह नही हो सकता यह गलत हो जाएगा ,तो शायद जवाब होता होगा कि गलत को सही करना आपका काम है मेरा नहीं !!
आप देखिए इसे कैसे करना है! अगर वह काम आराम से निकल गया और किसी ने उस पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया फिर तो ठीक है, और अगर किसी ने प्रश्नचिन्ह लगा दिया या विपक्ष ने  मुद्दा उठा दिया तो शासक लोग झट से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और कहते हैं कि यह तो DC को ही देखना था, कि सही है क्या है गलत क्या है ,तर्कसंगत क्या है ,!और यह कार्य होना चाहिए था या नहीं होना चाहिए था !उसे तनख्वाह इसी बात की मिलती है ।अब आप बताइए अगर वह कार्य करता है तो फंसता है नहीं करता है तो फ़सता है। उसका जीवन तो एक दोहरी धार वाली तलवार पे चलने जैसा है। अगर इसी शादी का उदाहरण लें तो अगर विपक्ष के लोग इस शादी में कोरोना के s.o.p. के उल्लंघन का आरोप लगाते तो सत्ता पक्ष के लोग कहते कि यह DC निकम्मा है इसे सस्पेंड करो ।अगर DC रात को 11:00 बजे अपनी नींद खराब करके छापेमारी करता है तो सत्ता पक्ष के लोग उसे सस्पेंड करने को कह रहे हैं ।हालांकि DC का बोलने का और व्यवहार करने का तरीका ठीक नहीं था फिर भी आप ही सोचिए आप DC होते तो आपके दिल पर क्या बीतती।
या आप क्या करते ।
हमारा एक छोटा सा चालान हो जाए हम उसी बात को इतना तूल देते हैं जबकि गलती भी हमारी ही होती है तो यह तो DC साहब थे इनको अगर गुस्सा आ गया जो नहीं आना चाहिए था ,तो इसे एक माननीय स्वभाव के तत्वरित प्रतिक्रिया के रूप में लेना चाहिए था। और वह भी इस महामारी के दौर में।
एमएलए लोगों को उन शादी वालों को समझाना चाहिए था कि कोई बात नहीं जो हो गया सो हो गया गलती आपकी भी थी गलती उनकी भी थी जो एक त्वरित प्रतिक्रिया के रूप में उजागर हो गई और इसे दुःस्वप्न समझकर भूल जाइए।
परन्तु राजनीति तो वोट बैंक की है और लोकप्रियता की भी है।

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