शर्मनाक! रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा के सामने PNB के बाहर की सड़क बयान कर रही नेशनल हाइवे (NHAI) अधिकारियों के निकम्मेपन, लापरवाही और बेशर्मी की दास्तान, अत्यन्त व्यस्त स्थान होने के बावज़ूद खड्डनुमा सड़क बनी मौत का कुआं, अधिकारी बजा रहे चैन की बंसी, कर रहे किसी भयंकर दुर्घटना का इंतजार
कौन सुनेगा, किसको सुनाएं, इसलिए चुप रहते हैं
रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा के सामने PNB के बाहर की सड़क बयान कर रही नेशनल हाइवे (NHAI) अधिकारियों के निकम्मेपन, लापरवाही और बेशर्मी की दास्तान, अत्यन्त व्यस्त स्थान होने के बावज़ूद खड्डनुमा सड़क बनी मौत का कुआं, अधिकारी बजा रहे चैन की बंसी
मारंडा (पालमपुर)
रोटरी आई हॉस्पिटल के सामने, पंजाब नेशनल बैंक और पोस्ट आफिस के बाहर की सड़क वाहन चालकों के लिए मौत का कुआं बन चुकी है।
टू व्हीलर, थ्री व्हीलर वाहनों की बात छोड़िये, फोर व्हीलर गाड़ियों के पूरे टायर सड़क के गड्ढों में धंसे जा रहे हैं। अत्यंत धीरे से गड्ढों से टायर बाहर निकालते के बावजूद वाहनों के महंगे पार्ट्स का नुकसान हो रहा है। दुर्घटनाओं का दौर जारी है, खासकर स्कूटर और बाइक सवारों का।
यह स्थिति उस समय भयावह रूप धारण कर लेती है जब बारिश के कारण गड्ढों में पानी भरा हो।
प्रतिदिन यहां 10-15 टू-थ्री व्हीलर वाहनों की दुर्घटनाएं हो रही हैं। बैंक, पोस्ट आफिस, ATM के बाहर हो रही अचैध पार्किंग नित नई दुर्घटनाओं को जन्म दे रही है।
अब सवाल उठता है कि यहां जो नाली (Road side drain) हुआ करती थी वह कहां गई? क्या विभागीय अधिकारी हिम्मत जुटाएँगे इस राज़ का पर्दाफ़ाश करने की?
आश्चर्यजनक बात है कि रोज़ाना इस नेशनल हाईवे से हज़ारों वाहन गुज़र रहे हैं जिनमें नेतागण व बड़े अधिकारी भी शामिल हैं, लेकिन सब आंखें मूंद कर यहां से गुज़र जाते हैं। कोई पूछने वाला नहीं।
ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो पालमपुर और सुलाह विधानसभा क्षेत्रों का स्वागतद्वार मारंडा बाजार लंबे समय से सौतेलेपन का शिकार है।
सम्बंधित अधिकारियों की ऐसी वेशर्मी शायद पहली बार यहां देखने को मिल रही है जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
लोगों का कथित आरोप है कि NHAI के अधिकारियों ने बेशर्मी, लापरवाही और निकम्मेपन की सभी हदें लांघ दी हैं।
हम यही सोचते रहे कि शायद विभाग को थोड़ी शर्म आएगी और वे सड़क की कुछ रिपेयर करके लोगों के जानमाल की रक्षा करेंगे लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।
लोगों के इस आरोप को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी यह दलील देकर सिरे से खारिज करने की जुर्रत नहीं कर सकते कि बरसात बहुत हो रही है और ये बदतर हालात उसी का नतीजा है क्योंकि यह सड़क पिछले कई महीने से धीरे-धीरे टूटती रही लेकिन किसी अधिकारी ने इसकी मरम्मत करने की कोई जरूरत नहीं समझी अब यह सड़क इतने बुरे हाल से टूट चुकी है कि सड़क कहीं नजर नहीं आ रही। नजर आ रहे हैँ तो सिर्फ गहरे गड्ढे जिनमें वाहनों के टायर धंसते जा रहे हैं और वाहन पलटने तक की नौबत आ जा रही है। लंबे समय तक विभागीय कार्यवाही न होने के कारण ही यह समाचार लिखने की जरूरत आन पड़ी है।
अब तो ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो विभाग के अधिकारी किसी बड़ी दुर्घटना का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं लोगों का मानना है लोगों का मानना है कि अगर किसी बड़े जान माल का नुकसान हुआ तुलसी पूरी जिम्मेदारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के अधिकारियों की होगी।
आप तस्वीरों में भलीभांति देख सकते हैं कि कितनी मुश्किल से उस नेशनल हाईवे पर जहां तेज रफ्तार से गाड़ियां दौड़ती नजर आती है आजकल मात्र रेंगने को मजबूर है।
विभाग का निकम्मापन तो देखिए छोटी-मोटी रिपेयर तक करके सड़क को चलने के काबिल भी नहीं बना सकता। NHAI को मैने कभी इतना लाचार नहीं पाया।
किसी भी विभाग की इतनी बदतर हालत मैंने आज तक के अपने तीन दशक के पत्रकारिता के करियर में नहीं देखी और न ही किसी विभाग की इतनी बेशर्मी देखी जो खुली आंखों से हालात को बद से बदतर होते हुए खामोशी से देख रहा है। क्या यह टैक्सपेयर्स के गाढ़े खून पसीने की कमाई का घोर दुरुपयोग नहीं है?
आखिर क्या है सच्चाई? कौन है ज़िम्मेदार?
जब कुछ जानकारी लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया की सड़क के दोनों और गहरी नालियां हुआ करती थी जिनमें बारिश का पानी बहता हुआ नाले में निकल जाता था इससे सड़कों को जरा भी नुकसान नहीं होता था । लेकिन कुछ रसूखदारों, अमीरज़ादों और मंदबुद्धि लोगों ने सड़क के दोनों ओर की नालियां को मात्र अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया। नालियों का नामोनिशान तक मिट चुका है। कानून को अपनी रखेल समझने वाले यही कुछ एक लोग सड़क की इस दुर्दशा के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है जिन्हें इसकी भरपाई करनी होगी, ऐसा लोगों का कहना है।
यही वजह है कि बरसात का दनदनाता हुआ बाढ़ की तरह बह रहा पानी सड़कों को खड्ड का रूप बना दे रहा है। सड़क पर बह रहे पानी की रफ्तार इतनी तेज होती है कि लोगों का वहां से पैदल चलना भी नामुमकिन हो जाता है।
इतना ही नहीं इतनी तेजी से बहता हुआ यह पानी लोगों की दुकानों में भी घुस रहा है लेकिन सब बेहोश है किसी को जागने की फुर्सत नहीं।
हर कोई एक दूसरे के हाथ को देख रहा है कि यह आवाज उठाएगा, वह आवाज उठाएग और इसी आवाज उठाने के चक्कर में हालात बद से बदतर होते गए।
इस भयंकर स्थिति को हर रोज देखने वाले मीडिया कर्मी भी लंबी तान कर सो रहे हैं। अब जनता की आवाज कौन उठाएगा, यह सोचने का गूढ़ विषय है।
स्थिति का आकलन मौके पर पहुंचकर ही भली भांति लगाया जा सकता है कि खतरा कितना बड़ा है।
देखिये, सड़क के दोनों ओर की नालियों पर अवैध कब्ज़ा, नालियों का नामोनिशान तक गायब, कहां जाएगा पानी? सड़क तो स्वतः ही टूटेगी
क्या विभाग उसे समय कुंभकर्णी नींद में सो रहा होता है जब सड़क के दोनों और रहने वाले कुछ रईस लोग कानून को अपनी रखेल समझकर मनमाने तरीके से बेतरतीब निर्माण कार्य कर रहे होते हैं। उसी समय नेशनल हाईवे के अधिकारी या कर्मचारी उन्हें क्यों नहीं रोकते क्या छोटे-मोटे फायदे की वजह से सरकार का करोड़ों रुपए का नुकसान कर दिया जाता है लोगों की जान से खेला जाता है।
अब समय है की नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी गहरी नींद से जाग जाएं और सड़क के दोनों ओर गहरी नालियां बनाएं ताकि लोगों के जान -माल से होने वाले खिलवाड़ को रोका जा सके।
वर्तमान परिस्थितियों को देखकर तो सिर्फ यही सिद्ध हो रहा है कि NHAI नाम का कोई विभाग इस क्षेत्र में कार्यरत ही नहीं है। उनका नामो-निशान तक दूर-दूर तक नहीं है।
इससे भी भयानक मंज़र यहां से कुछ ही दूर स्थित एबीएम स्कूल के पास भी देखने को मिल रहा है जहां नगर निगम के कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं जिसकी चर्चा सुबूतों सहित में दूसरे आर्टिकल में अतिशीघ्र करूंगा जिसमें कई बड़े लोगों की असलियत खुलकर जनता के सामने आएगी और उनका नंगापन देखकर आप स्तब्ध रह जाएंगे।
माननीय राजनेताओं से भी जनता की अपील है की कम से कम एक बार तो इस मुद्दे को जनहित में उठाने का कष्ट करें क्योंकि हर नेता इस भयानक स्थिति से अवगत है।