चंडीगढ़: नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को होली सिटी स्थित अपने निवास स्थान पर विधायकों के साथ बैठक कर राज्य की राजनीति पर चर्चा की। सिद्धू के स्टाफ के अनुसार, दो बसों में आए करीब 62 से अधिक विधायक सिद्धू की इस बैठक का हिस्सा बने।
बैठक के बाद सिद्धू ने तो कुछ नहीं कहा मगर पंजाब के सहकारिता और जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो भी नेता या मंत्री व विधायक पार्टी हाईकमान का आदेश नहीं मानता, तो सीधे तौर पर यह पार्टी में अनुशासनहीनता है। इसके बाद सिद्धू श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने पहुंचे। इस दौरान सिद्धू के समर्थन में हजारों लोग जुटे। मंदिर में माथा टेकते समय समर्थकों ने कोविड नियमों का भी पालन नहीं किया। सैकड़ों की संख्या में समर्थक बिना मास्क के नजर आ रहे हैं। यहां से वे श्री दुर्गयाणा मंदिर और श्री वाल्मीकि तीर्थ जाएंगे।
इससे पहले सिद्धू मंगलवार को लगातार चौथे दिन प्रदेश के कांग्रेसी मंत्रियों, विधायकों और सीनियर नेताओं के साथ मेल-मिलाप की अपनी मुहिम में जुटे रहे। इस मुहिम का ही असर है कि सोमवार को कैप्टन के आवास पर उन्हें समर्थन देने पहुंचे विधायक राजकुमार वेरका मंगलवार को अमृतसर में सिद्धू के साथ नजर आए। ऐसे में कैप्टन के खेमे में समर्थकों की गिनती घटती नजर आ रही है। प्रदेश के अधिकतर मंत्री और विधायक अब सिद्धू की नियुक्ति पर आलाकमान के फैसले को सही ठहरा रहे हैं। हालांकि, पार्टी की दिग्गज टकसाली नेता अभी भी खामोश हैं। उन्होंने सिद्धू की नियुक्ति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बीते चार दिनों में सिद्धू की सरगर्मी और कैप्टन की खामोशी ने साफ कर दिया है कि पंजाब में कांग्रेस दोफाड़ हो चुकी है। सिद्धू पूरी पार्टी को अपने पक्ष में एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं तो कैप्टन माफी वाली शर्त पूरी होने तक किसी भी कीमत पर आलाकमान के फैसले को मानने को तैयार नहीं दिख रहे। कैप्टन के प्रति सिद्ध के रवैये में भी कोई बदलाव नहीं आया है। सिद्धू अभी तक न तो कैप्टन से मिले और न ही किसी मौके पर उन्होंने कैप्टन का जिक्र किया। वहीं, कैप्टन की खामोशी को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं, क्योंकि पंजाब में कांग्रेस सरकार की कमान और विधायक दल की कमान उनके ही हाथ में है।
मंगलवार को सिद्धू के सबसे करीबी रहे विधायक परगट सिंह ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि सिद्धू को माफी मांगने की जरुरत नहीं है। कैप्टन को ही वादे पूरे न करने के लिए पंजाब की जनता से माफी मांगनी चाहिए। हालांकि माफी को लेकर नवजोत सिद्धू की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि सिद्धू को पार्टी और सरकार के बीच सामंजस्य बैठाने और कैप्टन के कद को देखते हुए कुछ झुकना ही पड़ेगा।