हिमाचल प्रदेश में परम्परागत बीजों के संवर्धन की योजना

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वीरेन्द्र कंवर
ऊना: हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों द्वारा सदियों से प्रयोग किए जा रहे परम्परागत देशी प्रजातियों के बीजों की किस्मों के सरंक्षण और संवर्धन के लिए 550.00 लाख रुपये लागत की योजना शुरु करेगी।
राज्य के कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि राज्य सरकार सदियों से किसानों द्वारा उगाई जा रही देशी कृषि बीजों की प्रजातियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए बिलासपुर, चम्बा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लु, किन्नौर, मण्डी, शिमला, सोलन, सिरमौर, लाहौल स्पिति और ऊना जिले में एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू करेगी ताकि खाद्यान्न के पौषाहार तत्वों में बढ़ौतरी करके अनाज, दालों, सब्जियों को ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार वर्ष 2022-23 में स्वर्ण जयंती परंपरागत बीज सुरक्षा एवं संवर्धन योजना‘‘ के अन्र्तगत परम्परागत बीजों के उपयोग से 2100 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में गेहूं, अदरक, हल्दी, सब्जियों, दालों तथा आलू की फसल पैदा करेगी ताकि किसानों को परम्परागत खेती से जोड़ा जा सके तथा उनकी बीज की मांग को स्थानीय स्तर पर ही पूरा किया जा सके ध्
राज्य सरकार परम्परागत देशी बीजों के उत्पादन के लिए पंजीकृत किसानों सरकारी कृषि भूमि एवं कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मदद लेगी। कृषि मंत्री ने बताया कि इस समय राज्य के 40,000 हैक्टेयर क्षेत्र में परम्परागत फसलों का उत्पादन किया जा रहा है जिसके लिए 17,000 क्विंटल हल्दी, 4000 क्विंटल आलू, 1200 क्विंटल गेंहू तथा 800 क्विंटल सब्जियों के देशी प्रजाति के बीजों की जरूरत होती है जिसकी निजी कंपनियों द्वारा आपूर्ति की जाती है तथा कई बार विशेष भौगोलिक क्षेत्रों की विशिष्ट जरूरतों को बीज कम्पनियां उचित गुणवत्ता का बीज पैदा नहीं कर पाती जिसका खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है।
वीरेन्द्र कंवर कृषि मंत्री ने बताया कि इस समय प्रदेश की मुख्य फसलों के लिए 3,81,790 क्विंटल बीज की जरूरत है जबकि राज्य में पूरी जरूरत का मात्र केवल 1,50,000 क्विंटल बीज का ही उत्पादन किया जाता है तथा बाकी बीज की आपूर्ति हैदराबाद स्थित बीज कम्पनी, नैफेड, इफको, कृषको आदि के माध्यम से की जाती है तथा राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना से राज्य की कुल बीज की मांग को राज्य में ही पूरा किया जाएगा।
इस योजना के अन्तर्गत 2100 हैक्टेयर भूमि क्षेत्र में रबी, खरीफ सीजन में सब्जियों, मसालों, दालों की उच्च पैदावार किस्म की देसी प्रजाति के बीज प्रदान करने तथा किसानों को विभिन्न उपकरण सुविधाएं प्रदान करने आदि पर 265.00 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।
राज्य सरकार उच्च गुणवत्ता के देसी बीज को किसानों में लोकप्रिय बनाने के लिए 3880 मिनी किट मुफ्त वितरित करेगी। इन 38,800 मिनीकिट में से 22400 सब्जी मिनीकिट, 6000 दालों की मिनीकिट 1000 गेहूँ बीज मिनीकिट प्रदान करने पर सरकार 182.00 लाख रुपये खर्च करेगी। इस समय राज्य में 687.632 हैक्टेयर खरीफ सीजन तथा 3973.85 हैक्टेयर क्षेत्रफल में रबी सीजन के में बीज उत्पादन किया जा रहा है तथा कृषि विभाग ने बीज के अंकुरण तथा गुणवत्ता के लिए सोलन, पालमपुर तथा मण्डी में प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं।
इस समय आलू की चन्द्रमुखी बीज प्रजाति तथा गेहूँ की एच डी 3086, एच.पी. डब्लयू-360, डब्लयू एस-1080, पी.वी डब्लयू 725 प्रजातियों के बीज राज्य में उगाये जा रहे हैं। राज्य में गेहूं के बीज सोलन, सिरमौर, ऊना कांगड़ा में उगाये जा रहे हैं। आलू के बीज लाहौल स्पिति, राजमाह के बीज किन्नौर, अदरक के बीज सिरमौर तथा लहसून के बीज कुल्लू में उगाये जा रहे हैं। इस योजना के अन्र्तगत कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पैकिंग उत्पादन, कृषि प्रबन्धन, गुणवत्ता में सुधार तथा फसल के विभिन्न पहलूओं पर 12,000 किसानों को मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
इस समय राज्य के 87,485 हैक्टेयर क्षेत्र में 18.67 लाख टन सब्जियों का उत्पादन किया जाता है जबकि 18000 हैक्टेयर क्षेत्र में तिलहनों को उत्पादन किया जाता है।

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