सुक्खु सरकार चट्टान की तरह मज़बूत, कोई ख़तरा नहीं, बाल भी बांका नहीं होगा सुक्खू सरकार का ,विपक्ष के सत्ता पलट के मंसूबे रह जाएंगे धरे के धरे…यह आंकड़ों का गणित कहता है
“न काहू से दोस्ती,
न काहू से बैर”
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार चट्टान की तरह मज़बूत
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शिमला, 3 जून 2024
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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर
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सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी सरकार एक चट्टान की तरह मज़बूत है जिसका दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
हाल ही में हुए विभिन्न राजनैतिक चुनौतियों और विपक्ष के निराधार व तथ्यहीन आरोपों के बावजूद, सुक्खू सरकार ने अपनी कार्यक्षमता और स्थिरता को बरकरार रखा है। धोखे से सूक्खु सरकार का तख्ता पलट करके भाजपा की सरकार बनाने हेतु विपक्ष के ऑपरेशन लोटस की मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने धज्जियां उड़ा कर रख दीं तथा बड़ी बहादुरी और सूझबूझ से अपनी सरकार को बचाने में कामयाब रहे वरना भारत के 3 विशाल राज्यों में भाजपा ने ऑपरेशन लोटस चलाकर अलोकतांत्रिक तरीके से उन्हें तहस-नहस करके खुद अपनी सरकार बना डाली।
राजनैतिक स्थिरता
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मुख्यमंत्री सुक्खू की सरकार ने अपनी राजनैतिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए लगातार प्रभावशाली कदम उठाए हैं।
उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर के विभाजन और असंतोष को कुशलता से संभाला है।
उनके नेतृत्व में पार्टी के सभी विधायकों और मंत्रियों ने एकजुट होकर काम किया है, जिससे विपक्ष के मंसूबों पर पानी फिर गया है और मुख्यमंत्री सुक्कू और अधिक शक्तिशाली बनकर सामने आए हैं।
विकास कार्य
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सुक्खू सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं। सड़कों, बिजली, और पानी की सुविधाओं में सुधार के साथ-साथ, उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्राथमिकता दी है। ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से, उन्होंने कई विकास योजनाओं को लागू किया है, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिला है।
प्रशासनिक सुधार
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प्रशासनिक सुधारों के मामले में भी सुक्खू सरकार ने उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नए नियम और प्रक्रियाएं लागू की गई हैं।
ई-गवर्नेंस को प्रोत्साहन दिया गया है, जिससे लोगों को सरकारी सेवाओं का लाभ आसानी से मिल सके।
विपक्ष की चुनौतियाँ
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विपक्ष ने सुक्खू सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए, लेकिन मुख्यमंत्री ने हर बार साक्ष्यों और तर्कों के साथ अपने काम को सही ठहराया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उनकी सरकार का एकमात्र उद्देश्य प्रदेश का समग्र विकास और जनता की भलाई है।
अपना सर्वस्व दुखी जनता को सौंप कर पाया जन समर्थन
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मुख्यमंत्री सुक्खू को जनता का भी अपार समर्थन मिला है। उनके जन-संवाद कार्यक्रमों और जन-सुनवाई अभियानों ने जनता के दिलों में उनके प्रति विश्वास और सम्मान को और बढ़ाया है।
इतना ही नहीं जनता के सुख की खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले मुख्यमंत्री सुक्खू की विभिन्न सर्वेक्षणों में भी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, जिससे साफ होता है कि जनता उनके कामकाज से संतुष्ट है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने साबित कर दिया है कि उनकी सरकार किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है। विकास कार्य, प्रशासनिक सुधार, और जन समर्थन के मामले में उनकी सरकार ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। सुक्खू की सरकार की मज़बूती और स्थिरता हिमाचल प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य का संकेत देती है।
इस प्रकार, मुख्यमंत्री सुक्खू की सरकार को चट्टान की तरह मज़बूत कहना बिल्कुल उपयुक्त है। हिमाचल प्रदेश के विकास की दिशा में यह सरकार एक मजबूत कदम साबित हो रही है।
संघर्ष की भट्ठी में तप कर कुन्दन बन कर निकले हैं सुक्खू
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी सरकार को गिराने की कोशिशों के बावजूद मजबूती से खड़े रहने की मिसाल पेश की है।
पिछले 30 वर्षों से दिवंगत मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के साथ निस्वार्थ भाव से काम करते हुए सुक्खू संघर्ष की आग में तपते रहे हैं। राजनीतिक पदों की अनुपस्थिति में भी उन्होंने कभी पार्टी से गद्दारी नहीं की और ईमानदारी से मेहनत जारी रखी।
सुधीर शर्मा जैसे पूर्व मंत्री और कथित गद्दार विधायक, जो कभी राजा वीरभद्र सिंह के करीबी थे, सुक्खू पर व्यंग्य कसने और भद्दी टिप्पणियाँ करने से बाज नहीं आते थे। इसके बावजूद सुक्खू ने संयम बरता और अपनी पार्टी के प्रति वफादारी बनाए रखी।
वफा जिनसे की बेवफा हो गए…
सुधीर शर्मा के नेतृत्व में 5 कांग्रेसी और 3 निर्दलीय विधायक, कुल मिलाकर 9 शत्रु विपक्ष के लालच में आकर वोटरों और सरकार से गद्दारी करके सुक्खू सरकार को गिराने की साजिश में शामिल हो गए। भाजपा और इन 9 गद्दारों को अंततः मुंह की खानी पड़ी।
बड़ा मजेदार है सुक्खू सरकार का अंक गणित
कठिन से कठिन परिस्थिति में भी सरकार का बाल भी बांका नहीं होगा, यह पत्थर की लकीर है
आंकड़ों के खेल में मुख्यमंत्री सुक्खू की स्थिति बेहद सुखद है। हिमाचल प्रदेश सरकार में कुल 68 विधायकों की सीटें हैं। 3 निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्पीकर द्वारा मंजूर किया जाने वाला है, जिससे कुल बचे 65 विधायक। इनमें भाजपा के पास मात्र 25 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस की सुक्खू सरकार के पास 34 विधायक हैं। 6 कांग्रेस के गद्दार विधायकों को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर कांग्रेस के खिलाफ उपचुनाव लड़वाने की कोशिश की, लेकिन इस रणनीति के बावजूद, यदि भाजपा के 6 उम्मीदवार अगर जीत भी जाते हैं, तो उनके पास कुल 31 विधायक होंगे, जिससे सरकार का तख्तापलट असंभव है। वैसे इन 6 गद्दारों को तो जनता सबक सिखाने वाली है।
राजा नहीं फकीर है
हिमाचल की तकदीर है
इस परिस्थिति में, मुख्यमंत्री सुक्खू ने 6 गद्दार विधायकों को बाहर निकालकर अपनी सरकार को और मजबूत किया है। संघर्ष की अग्नि में तपकर और बागियों से निपटकर, उन्होंने एक चट्टान की तरह मजबूती हासिल की है। अब वह प्रदेश की तरक्की को गति प्रदान करने और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के अपने मिशन पर केंद्रित हैं। सुक्खू सरकार की मजबूती ने लोगों में खुशी की लहर दौड़ा दी है और प्रदेश की भविष्य की तरक्की के प्रति आशावान कर दिया है।