NPS खरबों का घोटाला है जो हर महीने एक करोड़ कर्मचारियों के नाम पर मुंबई की एनएसडीएल कम्पनी को सरकारी खजाने से हर महीने दिया जा रहा है : प्रवीण शर्मा
एनएसडीएल कम्पनी को क्यों दिया जा रहा है इतना धन?
एनपीएस खरबों का घोटाला है जो हर महीने एक करोड़ कर्मचारियों के नाम पर मुंबई की एनएसडीएल कम्पनी को सरकारी खजाने से हर महीने दिया जा रहा है । पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा राज्य अध्यक्ष प्रवीण शर्मा, न्यू मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन राष्ट्रीय संघ व के राष्ट्रीय सयोंजक जनक सिंह रावत व राजकीय अध्यापक संघ राज्य अध्यक्ष नरेश महाजन ने सयुंक्त जारी बयान में कहा कि इस समय 1 करोड़ एनपीएस कर्मी पूरे देश में कार्यरत हैं और औसतन 14 फीसदी के हिसाब से हर महीने डेढ़ खरब रुपया सरकारी खजाने से निजी कम्पनी को दिया जा रहा है और यह पैसा न तो कर्मचारियों के काम आता है और न ही देश के विकास कार्यों में लग पा रहा है जब कि यह डेढ़ खरब रुपया इस देश के नागरिकों के टैक्स से वसूला होता है । संघ पदाधिकारियों ने कहा कि जिस प्रकार से इतना रुपया एनएसडीएल कम्पनी को दिया जा रहा है तो इतने पैसे में तो सभी रिटायर एनपीएस कर्मियों को पुरानी पेंशन दी जा सकती है । पुराने सिस्टम के हिसाब से जिन रिटायर कर्मियों को पुरानी पेंशन मिल रही है उन्होंने अपने सेवाकाल में जीपीएफ सिस्टम के तहत खजानों को भरा है जबकि एनपीएस कर्मियों के नाम पर खजाने लुटवाए जा रहे है और रिटायर कर्मियों को नाममात्र भीख रूपी पेंशन देकर उनके अधिकार को छीना जा रहा है । एनपीएस को एक घोटाला करार देते हुए पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा व नयू मूवमेंट ओल्ड पेंशन राष्ट्रीय संघ ने सरकार से कहा कि एनपीएस रूपी घोटाले को बंद किया जाए क्योंकि अब आंदोलनों का दौर चल पड़ा है और अब जल्द ही कभी न खत्म होने वाली हंगर स्ट्राइक शुरू होगी। जिसका एलान पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा एनएमओ पीएस व अध्यापक संघ के बैनर तले हिमाचल प्रदेश में जल्द करने जा रहा है । तपोवन में कमेटी बनाने का एलान हुआ जिसका सभी संघ स्वागत करते हैं पर पुरानी पेंशन से कम पर समझौता नही होगा । पुरानी पेंशन बहाल करनी होगी और जिन जनप्रतिनिधियों ने पेंशन मुद्दे पर तपोवन में प्रश्न पूछे हैं वे सभी माननीय पेंशन मुद्दे पर उन सभी संगठनों का साथ दें जो पेंशन के लिए संघर्षरत हैं । पेंशन बहाली करना हर राज्य के अधिकार क्षेत्र में है परंतु राज्य सरकारें इसे केंद्रीय मुद्दा बता रही हैं जो कि सही नही है क्योंकि अगर यह केंद्रीय मुद्दा है तो फिर पश्चिम बंगाल में पुरानी पेंशन किस प्रकार दी जा रही है ।।