पुरानी पेंशन कर्मचारियों के लिए सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का कवच हैं: जनक सिंह रावत, शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से कर्मचारी डर मैं, पुरानी पेंशन मिले

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पुरानी पेंशन कर्मचारियों के लिए सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का कवच हैं: जनक सिंह रावत

शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से कर्मचारी डर मैं, पुरानी पेंशन मिले

– न्यू मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन संघ के राष्ट्रीय संयोजक जनक सिंह रावत ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी 30-35 वर्षों तक सेवा करता है और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के आधार पर जीवन व्यतीत करता है। प्रत्येक निर्वाचित सरकार का यह कर्तव्य है कि यह सुनिश्चित करें कि उसके कर्मचारी आर्थिक, सामाजिक सुरक्षा की भावना के साथ जीवन निर्वाह करें ताकि वे भी सुशासन में मूल्यवान योगदान दे सके।

न्यू पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के सामाजिक, आर्थिक आधार को पारिवारिक पेशन, ग्रेच्युटी एवं वर्तमान और सेवानिवृत्ति बाद की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही हैंद्य सेवानिवृत्ति का कोष शेयर बाजार के हवाले हैं।

शेयर बाजार जब आधे मुह गिरता है, तो कर्मचारियों की धड़कने बढ़ जाती हैं और उनकी सामाजिक सुरक्षा पर जोखिम के बादल मंडराने लगते हैं। सेवानिवृत्ति के पश्चात कर्मचारी को देय पेंशन की राशि पर कोई ध्यान नहीं दिया पेंशन बहाल करे।

इस कारण पूरे देश में कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना है। यदि नवीन पेंशन प्रणाली इतनी ही अच्छी और पवित्र है तो फिर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ने फरवरी 2020 की अपनी रिपोर्ट में न्यायिक सेवाओं में एन. पी. एस. लागू नहीं करने की अनुसंशा क्यों की गई। कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए पेंशन अधिनियम 1972 लागू किया गया, न्यू पेंशन स्कीम इसके विपरीत हैं एवं सीएजी की रिपोर्ट के पैरा 3.9 में लिखा है कि न्यू पेंशन योजना लागू होने के 15 वर्षों के बावजूद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने 20 दिसम्बर, 2021 को केंद्र सरकार से समिति गठित करने के लिए कहा है। लेकिन सरकार की मंशा साफ नहीं है द्य संघ केन्द्र सरकार, एवं मध्यप्रदेश सरकार से मांग करता हैं कर्मचारियों के आर्थिक, सामाजिक समानता के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए।

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