नई दिल्ली: देश के कई कोने से लोगों में कोविड-19 के टीके से कुछ साइड इफेक्ट्स होने की भी बातें सामने आ रही हैं। अभी बीते माह जून ही में देश की सरकार ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कुछ आकड़ें पेश किए थे। अब इसी कड़ी में एक बार फिर से स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को लेकर कुछ और आंकड़े जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी इस नए डाटा के अनुसार केवल 60 में 18 साइड इफेक्ट के केस ही कोरोना टीके से संबंधित हैं, जबकि बाकी के बचे 42 मामले किसी और वजह से हुए। विज्ञान की भाषा में ऐसे साइड इफेक्ट को एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) कहा जाता है। बता दें, इस तरह के डाटा की मदद से भविष्य में किसी भी वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट को कम करनेै की कोशिश की जाती है।
एईएफआई के इस डाटा के लिए 16 जनवरी 2021 से लेकर 19 मार्च 2021 तक के आंकड़े एकत्र किए गए। इस दौरान डाटा के लिए लोगों को रैंडमली चुना गया। यानी साइड इफ्केट वाले किसी भी उम्र या जगह से केस स्टडी के लिए डाटा लिए गए। डाटा में मौत के बारे में कहा गया है कि सभी मौतें आकस्मिक हुईं और इसे वैक्सीन से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर साइड इफेक्ट्स कोरोना वैक्सीनेशन के बाद चिंता से संबंधित थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एईएफआई रिपोर्ट में कहा गया है कि 60 में से 55 केस टीकाकरण से ऐसे ही जुड़े थे। इनमें से 36 केस वैक्सीन को लेकर चिंता संबंधी प्रतिक्रियाएं थीं और 18 वैक्सीन उत्पाद संबंधी प्रतिक्रियाएं थीं और एक को दोनों के रूप में वर्गीकृत किया गया था- वैक्सीन उत्पाद से संबंधित और चिंता संबंधित प्रतिक्रिया। पांच मामलों में टीकाकरण के लिए असंगत कारण संबंध पाए गए हैं (संयोग से टीकाकरण से जुड़ा नहीं) जिनमें से एक मौत का मामला था।
बता दें कि एईएफआई का डाटा पिछले महीने जारी हुआ था, जिसमें कहा गया था कि वैक्सीन लगने के बाद देशभर में 488 लोगों की मौत हुई है। जबकि इस दौरान 26 हजार लोग गंभीर रूप से बीमार हुए थे। यह डाटा 16 जनवरी से लेकर सात जून तक का था। इस दौरान 26,200 एईएफआई के केस आए हैं। यानी इसे अगर प्रतिशत में देखा जाए तो यह सिर्फ 0.01 फीसदी है। अन्य शब्दों में कहा जाए तो 143 दिनों में 10 हजार लोगों में से केवल एक इंसान पर वैक्सीन का ज्यादा साइड इफेक्ट देखने को मिला।