कृषि विश्वविद्यालय में टूरिजम विलेज को लेकर छपी खबरों का क्या शानदार तर्क संगत जवाब दिया है सुप्रसिद्ध आर टी आई एक्टिविस्ट एडवोकेट प्रवोद चन्द्र वाली ‌ने :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक….

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कृषि विश्वविद्यालय में टूरिज़्म विलेज को लेकर छपी खबरों का क्या शानदार तर्क संगत जवाब दिया है सुप्रसिद्ध आर टी आई एक्टिविस्ट एडवोकेट प्रवोद चन्द्र बाली ‌ने :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक….

Er. VARUN SHARMA, BUREAU CHIEF, PALAMPUR

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में टूरिजम विलेज के विरोध को लेकर अखबारों में छपी खबरों का भारत वर्ष के सुप्रसिद्ध आर टी आई एक्टिविस्ट एडवोकेट प्रवोद चन्द्र बाली जी ने क्या शानदार तर्कसंगत जवाब दिया है। समाज सेवा में समर्पित इन्साफ संस्था के अध्यक्ष , कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व सीनेटर एवं पालमपुर हल्के के निवर्तमान विधायक प्रवीन कुमार को लिखे पत्र में श्री बाली ने कहा है कृषि विश्वविद्यालय के लिए दान की गई यह भूमि ईमानदारी और जवाबदेही का आह्वान है ।

अपने विस्तृत जवाब में बाली जी ने कहा है कि स्थानीय परोपकारियों द्वारा उदारतापूर्वक ओर साथ ही केंद्र सरकार द्वारा उपहार में दी गई यह भूमि कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के महान उद्देश्य के लिए सौंपी गई थी।

यह भूमि वर्तमान में उपयोग में नहीं होने पर भी विश्वविद्यालय के नैतिक और कानूनी संरक्षण में हैं और राज्य सरकार को दानकर्ताओं की इच्छा के विरुद्ध इसे टूरिजम विलेज के प्रयोग में लाने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है।

उन्होंने ने कहा है ऐसी कोई भी कार्रवाई विश्वासघात, धोखाधड़ी , सौदेबाजी और दुराचार का मामला बनेगी ।

इस तरह प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को बहाने और अतार्किक औचित्य के साथ जनता को धोखा नहीं देना चाहिए ।

यह भूमि कृषि विश्वविद्यालय प्रबंधन के अधिकार क्षेत्र में किसी भी हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए । पत्र में बाली साहब ने लिखा है कि इस भूमि को टूरिजम विलेज के उपयोग के बजाय सरकार को कृषि अनुसंधान , शैक्षणिक कार्यक्रमों , उदाहरण के तोर पर कृषि इंजीनियरिंग कालेज , छात्रावासों, छात्रों की सुविधाओं के अतिरिक्त किसानों के लिए उन्नत किस्म के बीज तैयार करने के लिए जिसे बेकार पड़ी भूमि कहा जा रहा है इसके सदुपयोग के लिए पर्याप्त धन आवंटित करके विश्वविद्यालय की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

बाली जी का कहना है यदि पर्यटन की तरफ ध्यान केन्द्रित करना है तो पर्यटन विकास के लिए इसी हल्के में ओर उपयुक्त स्थल उपलब्ध होंगे। उन्होंने ने कहा हिमाचल प्रदेश का पर्यटन विभाग पहले से ही अकुशलता और दूरदर्शिता की कमी से जूझ रहा है मसलन के तोर पर इस विभाग की अधिकांश इकाईयां घाटे पर चल रही हैं तो फिर कैसे कहा जा सकता है कि यह प्रस्तावित टूरिजम विलेज पर्यटन विभाग के विकास में चार चांद लगाएगा ।

उन्होंने कहा है इस भूमि को अधिग्रहित करने के हालिया प्रयास दुबई स्थित निगमों के हितों की सेवा करते प्रतीत होते हैं, जिससे वे तो समृद्ध होंगे जबकि इस की व्यवसायिक सौदेबाजी के चलते राजनीतिक नेता सार्वजनिक कल्याण की दुहाई देकर व्यक्तिगत लाभ में लिप्त होंगे ।

यहाँ बाली जी का कहना है कि हालांकि, इतिहास ने दिखाया है कि इस तरह के लालच और भ्रष्टाचार को कभी भी दंडित नहीं किया जाता है। जो लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए इस भूमि का दोहन करना चाहते हैं उन्हें अंततः परिणाम भुगतने होंगे। प्रकृति का न्याय अपरिहार्य है और जो लोग खुद को अजेय मानते हैं वे अंततः उन्हीं शक्तियों के सामने गिरेंगे जिनकी वे उपेक्षा करते हैं।

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