Himachal में 35000 आउटसोर्स कर्मचारी सबसे ज़्यादा शोषित, तनख्वाह का 40% से अधिक हो जाता है ग़ायब, अथक मेहनत करने के बावज़ूद वेतन के नाम पर हमेशा रहती है झोली खाली, सरकार से न्याय की गुहार

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RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief
HR MEDIA GROUP
हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों की समय-समय पर अनेकों मांगे सरकार से रहती हैं। यदि इस समय कर्मचारियों की मांगो पर गौर करें तो सबसे शोषित समुह आउटसोर्स कर्मचारियों का है। ऐसे कर्मचारी जो किसी मैनपावर एजेंसी के माध्यम से सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डों तथा केन्द्र की योजनाओं में कार्य कर रहे है। ये कर्मचारी सरकारी कार्यालय के दूसरेे नियमित कर्मचारियों की भांति कंधा से कंधा मिलाकर काम करते है लेकिन वेतन के नाम पर इनकी झोली हमेशा से ही खाली रहती है क्योंकि वेतन का एक बडा हिस्सा तो मैनपावर एजेंसी की कमीशन, सर्विस चार्ज तथा जी0 एस0 टी के रूप में कर्मचारियों से छिन्न लिया जाता है।
उदाहरण के लिए एक 25000 रूपये वेतन का मैनपावर एजेंसी द्वारा केवल  15000 ही दिया जाता है। 30 दिन तक कार्यालय में लगातार काम करने के उपरांत 40 प्रतिशत वेतन कट जाता है।
आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्यांए यहीं खत्म नहीं होती एक ओर नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है कि कब तक है वहीं दूसरी ओर नाममात्र का वेतन वो भी कई कर्मचारियों को 2-3 महिने बाद मिन्नते करने के बाद मुश्किल से मिलता है।
ई0 पी0 एफ0 में भी अनियमिततांए बरती जा रही है जिसकी कटौती कई कर्मचारियों को 5 महीने देरी से भी चल रही है जिस वजह से कर्मचारी ब्याज से वंचित रह जाता है।
ई0 पी0 एफ0 का एक हिस्सा जो मैनपावर एजेंसी द्वारा जमा किया जाना होता है उसकी कटौती भी कर्मचारी के वेतन से ही की जाती है।
ई0 एस0 आई0 सी0 के नाम पर भी कटौती की जाती है लेकिन इसका नंबर सभी को नहीं दिया जाता। सालाना इंक्रीमैंट से भी बहुत से कर्मचारी वंचित है।
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए लगाातार काम कर रहा है चाहे हिमाचल प्रदेश के लगभग 35000 कर्मचारियों में से कोई भी कर्मचारी किसी समस्या से जुझ रहा हो।
हमेशा से ही सभी सरकारों द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगो को उनकी समस्याओं को मुख्य धारा से अलग समझा है।
गत दिनों भी आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष शैलेन्द्र शर्मा ने फतेहपूर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत हिमाचल सरकार में उद्योग मन्त्री विक्रम सिंह, पंचायती राज मन्त्री विरेन्द्र कंवर तथा स्वास्थ्य मन्त्री राजीव सहजल को कर्मचारी महासंघ की मांगो को लेकर मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में महासंघ ने कहा है कि कर्मचारियों के लिए एक स्थायी नीति बनाई जाए जिसमें उनकी नौकरी की सुरक्षा हो, सम्मानजनक तथा समय पर वेतन मिले, ई पी एफ को सही तरह के काटा जाए, वार्षिक वेतन वृद्धि मिले तथा सरकारी भर्तियों में आरक्षण मिले जिससे आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण रूक सके।
प्रदेश के मुख्यमन्त्री को इन मांगों को पूरा करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए क्योंकि से किसी व्यक्ति विशेष से नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 35000 परिवारों की मांग है।
यदि सरकार इन मांगों को मानती है तो यह हिमाचल के इतिहास में एक महत्वपुर्ण निर्णय होगा।
साथ ही साथ मुख्यमंन्त्री ने बज़ट सत्र में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए माड्ल टेंडर डाक्यूमेंट को तैयार करने की बात कही थी जो आज तक तैयार नहीं हुआ है कम से कम सरकार को बजट की घोषणाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि हजारों लोगों को इस डॉक्यूमेंट का इंतेज़ार है।

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