आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ सरकार के समक्ष अपनी मांगों को लेकर हुआ मुखर
बहुत जल्दी हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ का स्टेट पैनल शिमला में मुख्यमन्त्री जी से विस्तृत प्रैजेन्टेशन के साथ मिलेगा
आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ सरकार के समक्ष अपनी मांगों को लेकर हुआ मुखर
INDIA REPORTER NEWS
FATEHPUR : S.P. SHARMA
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष शैलेन्द्र शर्मा ने जिला कांगडा के फतेहपुर में मुख्यमन्त्री हिमाचल प्रदेश जय राम ठाकुर से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपाi आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ पिछले काफि समय से लगातार सरकार के समक्ष अपनी मांगों को लेकर मुखर हुआ है। इसी कडी में फलेहपुर विधानसभा में जयराम ठाकुर जी के दौरे के चलते प्रदेशाध्यक्ष शैलेन्द्र शर्मा ने अपनी मांगें पुनः सरकार के सामने रखीI
जैसा कि विदित है कि विधानसभा में बजट सत्र के दौरान मुख्यमन्त्री ने कर्मचारियों के लिए एक माॅडल टेंडर डाक्युमेंट बनाकर सभी विभागों को भेजने की भी बात कही थी और कहीं न कहीं यह भी मानते है कि आउटसोर्स प्रथा प्रदेश हित में नहीं है। जल शक्ति मन्त्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने विधानसभा में जल शक्ति विभाग के कुछ कर्मचारियों को विभाग में मर्ज करने की बात कही है जिससे प्रदेश में कार्यरत हजारों कर्मचारियों को एक आस नजर आयी है।
शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लगभग पिछले 10-15 साल से विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डों, योजनांओं एवं कार्यालयों में आउटसोर्स आधार पर हजारों कर्मचारी अपनी सेवांए दे रहे है। ये कर्मचारी सरकार के दूसरे नियमित कर्मचारियों के साथ बराबर काम करने के साथ-2 दिए गए पद के सभी कार्य संभालते है। जब बात वेतन एवं सुविधांओ की आती है तो हमेशा से ही हम सब सौतेला व्यवहार एवं शोषण झेल रहे है।
जहां उसी काम या पद को संभालने के लिए एक नियमित कर्मचारी को 40-50 हजार रू का वेतन मिलता है वहीं उसी काम तथा पद का कार्य संभालने के लिए आउटसोर्स कर्मचारियों को 6 से 8 हजार रू मिलते है उसके लिए भी आधा महिना तरसती निगाहों से इंतजार करना पड़ता है। इस समय अधिकतर कर्मचारियों का वेतन न्यूनतम वेतन दर से भी कम है।
उन्होने यह भी मुख्यमंन्त्री को बताया कि इन्सान के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण समय 21 वर्ष से शुरू होकर लगभग 35 वर्ष तक होता है। किसी भी व्यक्ति या परिवार का जीवन इन 10-15 वर्षों पर निर्भर करता है क्योंकि ये वह समय होता है जब हम अपनी शिक्षा के बाद स्वतंत्र रूप से ऐसा व्यवसाय या काम चुनते है जो हमें सामाजिक तथा आर्थिक रूप से सुदृड़ बनाकर सम्मानजनक जीवन देता है।
इतने महत्वपूर्ण साल बिताने के बाद में चयन आयोग से उसी पद को संभालने के लिए एक कर्मचारी नियुक्त होता है और पिछले 10-15 वर्षों से ईमानदारी से बिना किसी स्वार्थ के काम कर रहे कर्मचारी को घर बैठने पर मजबुर होना पड़ता है। उस वक्त न तो उसकी उम्र इस लायक होती है कि वो कुछ नया कर सके और न ही कोई दूसरा साधन मिलता है।
यह बात चिंतनिय है कि अपने जीवन के महत्वपूर्ण 5-10 वर्ष किसी कार्यालय या संस्था को देने के बाद भी व्यक्ति को एक सम्मानजनक जीवन नहीं मिलता फिर जीवनयापन के लिए दर-दर की ठोंकरे खानी पडती है।आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ ने सभी कर्मचारियों, उनके परिवारों तथा हिमाचल को युवाओं के हित को देखते हुए मांग की है कि आउटसोर्स प्रथा को बंद किया जा सके जिससे कोई भी युवा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण साल युं ही नाम मात्र के वेतन के लिए खर्च न करें। उन्होंने मांग की है कि जो कर्मचारी इस समय विभाग में है उनके लिए एक स्थायी नीति बनाकर उन्हें वरियता के आधार पर या आने वाली भर्तियों में कोटे के माध्यम से विभाग में लिया जाए। अन्य मांगों में समय पर वेतन, नौकरी की सुरक्षा, समान काम समान वेतन इत्यादि शामिल है।
साथ ही साथ यह भी तय हुआ है कि बहुत जल्दी हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ का स्टेट पैनल शिमला में मुख्यमन्त्री जी से विस्तृत प्रैजेन्टेशन के साथ मिलेगा जिसमें समस्त मांगों के साथ स्थायी निती की मांग मुख्य होगी।