वैक्सीनेशन सेंटर पर उमड़ रही भीड़ से संक्रमण के फैलने का खतरा मंडरा रहा है

टीकाकरण अभियान में अगर इसी तरह से भीड़ उमड़ती रही तो उसका अंजाम क्या होगा यह किसी को भी मालूम नहीं

0

Palampur BK Sood chief editor

अगर थाने में ही हो जाए चोरी हो जावे तो थानेदार कहां रिपोर्ट करवावे 😪
अगर रहा यही हाल!
तो कैसे थमेगी  कोरोना की चाल!!

जी इस तस्वीर में जो आप देख रहे हैं वह किसी मेले की या फ्री टिकट शो कि नहीं है ना ही यहां पर यहां पर कोई फ्री गिफ्ट नहीं मिल रहे हैं ।

यह पालमपुर का वैक्सीनेशन सेंटर है, जो रोटरी भवन पालमपुर में स्थित है इन तस्वीरों में आप आज वैक्सीनेशन करवाने के लिए उमड़ी भीड़ का नजारा देख रहे हैं ।वैक्सीनेशन सेंटर पर ही अगर इतनी भीड़ होगी, और वह भी लापरवाह तथा अवस्थित रूप मे ,,तो फिर जहां पर sop  फॉलो नही किए जाते वहां पर क्या हाल होता होगा? यह आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं। 😢क्योंकि वैक्सीनेशन सेंटर एक ऐसा सेंटर होता है जहां पर हेल्थ डिपार्टमेंट की पूरी निगाह होती है तथा वह उस जगह पर SOP को फॉलो करवाने की हर संभव कोशिश भी करते हैं, परंतु जब तक भीड़ तंत्र अपनी जिम्मेवारी नहीं समझेगी किसी को कोई दोष नहीं दिया जा सकता। चाहे आप जितने मर्जी गोले लगा लो। 

अगर पालमपुर की बात करें तो वैक्सीनेशन सेंटर रोटरी भवन पालमपुर से मे जितनी भीड़ आज देखी गई उसे  अगर 2 गज की दूरी के हिसाब से मैनेज किया जाए तो यह लाइन कम से कम भी सिविल हॉस्पिटल या पुलिस थाने तक लगती ।
मुझे कुछ ऐसे लोग भी मिले जो भीड़ देख कर बाहर ही खड़े थे तथा कह रहे थे कि ऐसा इंजेक्शन लगवाने से तो इंजेक्शन ना लगवाना ठीक है क्योंकि इस भीड़ में घुसकर अगर हम संक्रमित हो गए तो वैक्सीन करवाने का क्या फायदा।


आप इस के लिए ना तो शासन प्रशासन को दोषी ठहरा सकते हैं और ना ही वहां पर भीड़ इकट्ठे किए हुए लोगों को दोषी मान सकते हैं ।क्योंकि सभी को वैक्सीनेशन करवानी है,तथा शासन प्रशासन ने अन्य कार्य भी देखने हैं उनके पास केवल वैक्सीनेशन का ही काम नहीं है।

लगता है इस सारी समस्या का मूल कारण है हमारी अनियंत्रित जनसंख्या। जब तक जनसंख्या नियंत्रित नहीं होती हमें किसी भी बीमारी आपदा या आक्रमण से निपटने में बहुत मुश्किल होती रही है और भविष्य में भी होगी । परंतु शायद जनसंख्या नियंत्रण कानून अगले सभी पार्टियों के चुनावी एजेंडे में होगा और वह भी जरूरी नहीं की आने वाले 5 सालों में वह लागू करेंगे या नहीं क्योंकि राजनीतिक मजबूरियां है ,वोट बैंक की जी हजूरीयां है।

राजेश सूर्यवंशी editor-in-chief

Leave A Reply

Your email address will not be published.