सीनियर और निष्पक्ष जर्नलिस्ट देसराज बंटा जी ने शनि सेवा सदन में अपना आशीर्वाद दिया

निष्पक्ष और जनहित की पत्रकारिता करने वाले निर्भीक पत्रकार हैं देशराज बंटा जिनके लेख से सरकारें हिल जाया करती थी जनहित के मामले उठाना इनकी प्राथमिकता होती थी

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Bksood: Chief Editor

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अभी दो हफ्ते पहले श्री देशराज बंटा जी सीनियर जर्नलिस्ट वरिष्ठ समाज सेवक ने ₹11000 शनि सेवा सदन में भेंट किए ,ताकि गरीब और मजलूम लोगों की सहायता की जा सके।

श्री बंटा जी ने सदन के प्रमुख भाटिया जी को फोन करके बताया कि भविष्य में भी अगर उन्हें किसी चीज की आवश्यकता हो तो वे उन्हें बेझिझक बताएं ।श्री बंटा जी अक्सर शनि सेवा सदन में अपनी आशीर्वाद देते रहते हैं तथा शनि सेवा सदन के सभी सदस्यों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहते हैं।
श्री बंटा जी की सेहत हालांकि अभी इतनी अच्छी नहीं रही लेकिन फिर भी वह सदन की हर सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं 🙏उनका पूरा परिवार सदन से काफी वर्षों से जुड़ा हुआ है|
हम शनि सेवा सदन के सभी सदस्य श्री बंटा जी के अच्छे स्वास्थ्य तथा दीर्घायु की कामना करते हैं ,ताकि इसी तरह से वह समाज हित के कार्य करते रहें जय श्री राम जय जय श्री कृष्णा 🙏
🌹जय शनि देव 🌹
यहां यह कहना उल्लेखनीय है कि श्री देशराज बंटा एक निर्भीक पत्रकारिता के प्रतीक हैं ,तथा जनहित के मामले बड़े ही निर्भीकता से तथा निष्पक्षता से उठाते थे। किसी पार्टी विशेष की पत्रकारिता उन्होंने कभी स्वीकार नहीं की। ना ही उन्होंने सरकारी विज्ञप्ति को छापना कभी अपना उद्देश्य रखा क्योंकि सरकारी विज्ञप्तियों को छापना बहुत आसान होता है परंतु जन समस्याओं को उठाना उसके बारे में मनन करना, गहन विचार करना और फिर लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना एक बहुत बड़ा कार्य होता है और पत्रकारों का प्रथम धर्म भी यही होता है।
इस धर्म को निभाने के लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा परंतु उन्होंने अपने प्रोफेशन के साथ कभी समझौता नहीं किया और ना ही सरकार के आगे झुके और सरकार की कमियों को हमेशा उसका उजागर करते रहे ।तथा लोगों की दुख और तकलीफों को सरकार तक पहुंचाना उनका परम कर्तव्य होता था। यही कारण है कि उनके लेख से सरकारें हिल जाया करती थी तथा लोगों की समस्याओं का जो उनके लेख तथा समाचारों में होती यही पर तुरंत  संज्ञान लिया जाता था तथा समाधान  भी कर दिया जाता था।

उस जमाने की पत्रकारिता में हालांकि इतनी तीव्रता और सटिकता नहीं थी। क्योंकि टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस नहीं थी फिर भी कलम से लिख लिख कर तथा खबर को छपवाने के लिए उस समय बहुत मेहनत करनी पड़ती थी एक खबर को छपवाने के लिए  प्रेस रिपोर्टर को  प्रेस में कई फोन करने पड़ते थे क्योंकि अखबार और समाचार पत्र बहुत कम थे और खबरों की बहुत भरमार हुआ करती थी ,जिस किसी की भी खबर अखबार में आ जाती थी मैं खुद को खुशकिस्मत समझा करता था ।परंतु बंटा जी की खबरों में इतना वजन होता था कि उन्हें बाकी पत्रकारों से कम मेहनत करनी पड़ती थी ।और प्रेस में उनकी खबरों को बहुत महत्व दिया जाता था तथा बहुत ही कम अवसर आते थे जब उनके किसी समाचार या रिपोर्टिंग को अनदेखा किया गया हो क्योंकि जनहित के मामले वे  हमेशा प्राथमिकता के आधार पर उठाते थे आज भी वह काफी बड़े-बड़े लेख लिखते हैं तथा देश हित की बातें बड़े  सटीक  तरीके से रखते हैं।
Rajesh Suryavanshi
editor-in-chief

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