केंद्रीय विश्व विद्यालय का 70 फ़ीसदी हिस्सा देहरा में खोलना कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के साथ अन्याय प्रवीण शर्मा पूर्व विधायक
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की अनदेखी से खफा
Bksood Chief Editor
केंद्रीय विश्वविद्यालय का मसला कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ऊपले ( गोठु ) की आग की तरह सुलग ( धूख ) रहा है । अगर समय रहते इस आग को नहीं बुलाया गया तो यह ढिंढोरा पीटने वालों के लिए मुक्त एवं बिना मतलब का मुद्दा है । यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समाज सेवा में समर्पित इंसाफ संस्था के अध्यक्ष एवं पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा कि स्वभाविक है केंद्रीय विश्वविद्यालय का 70 फीसदी हिस्सा देहरा चला जाना एक आक्रोश भरा निर्णय और कांगड़ा संसदीय हल्के के साथ सरासर वेइंसाफी है। प्रवीन कुमार ने कहा कि इस तरह जहां भी अन्याय के विरुद्ध आवाज उठेगी इंसाफ संस्था अपनी आवाज को बुलंद करेगी । इन्साफ संस्था का सुझाव है कि जहां सुप्रसिद्ध चामुण्डा नंदीकेश्वर धाम के साथ लगते जदरांगल मुहाल में केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम भूमि हस्तांतरण का मामला चला हुआ है जो कि एक लंबी प्रक्रिया । इस तरह जब तक भूमि केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम हंस्तातरित नहीं हो जाती तव तक मुहाल जदरांगल के परिसर में ही राजस्व अभिलेख के मुताबिक स्थानीय हिमाचल वासियों के नाम ली गई भूमि के ऊपर बाहरी प्रदेश वासियों द्वारा शानदार सरायें बनाई गई हैं। इन्हें सरकार अधिग्रहण करके वैकल्पिक व्यवस्था तक यहाँ से केंद्रीय विश्वविद्यालय का शुभारंभ किया जा सकता है जिससे कि इस मचे घमासान पर विराम भी लगेगा और कांगड़ा में सत्ताधारी दल को इसका बहुत लाभ भी मिलेगा ।