पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा इस संकट की घड़ी में आलोचना की जगह एक दूसरे को सकारात्मक सहयोग दें

वैश्विक बीमारी बहुत भयानक रूप धारण कर चुकी है

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पालमपुर : बी के सूद सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर ,एवं राजेश सूर्यवंशी एडिटर इन चीफ

हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शान्‍ता कुमार ने कहा है कि इतिहास की किसी भी बड़ी से बड़ी विपत्ति के मुकाबले आज का कोरोना संकट सबसे बड़ा है। पूरे विश्‍व में हा-हा कार मची है। टी.वी. देखना और अख्बार पढ़ना कठिन हो गया है। दिल दहल जाता है।

उन्होंने कहा इस प्रकार की भयंकर परिस्थिति में राजनैतिक नेताओं की एक दूसरे पर तीखी कड़वी अलोचना मुझे कोरोना से भी अधिक दुखी करती है।

यह आलोचना का समय नही, सहयोग का समय है। गलतियां हुई होगी। सबसे होती है। परन्तु उन पर कड़वी आलोचना बहुत बड़ा पाप है। इससे जनता का मनोबल टूटता है। आज की स्थिति में मनोबल सबसे अधिक आवष्यक है।

शान्‍ता कुमार ने सभी दलों के नेताओं से आग्रहपूर्वक निवेदन किया है कि परस्पर आलोचना बिलकुल बन्द कर दीजिए। यदि सरकार में कोई कमी है तो उसे एक सुझाव के रूप में सरकार को बताये। वही बात भाषा बदलेगी तो भाव बदल जाएगा। मिठास आयेगी कड़वाहट समाप्त हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि राजनीति में मेरे आदर्श अटल बिहारी वाजपेयी जी रहे है। वे बार-बार कहते थे – ‘दलों की दीवारें बहुत छोटी होती है – परन्तु राश्ट्र का मन्दिर बहुत ऊॅचा होता हैं।’ बगंलादेश के युद्ध में भाजपा ने खुल कर सरकार की मदद की। यहां तक कि अटल ने श्रीमति इन्दिरा गांधी को दुर्गा तक कह दिया। बाद में पार्टी के भीतर इस पर आलोचना भी हुई थी। आज का कोरोना संकट बंगला युद्ध से कम नही है। उससे बहुत अधिक बड़ा है।

शान्‍ता कुमार ने सभी से आग्रहपूर्वक निवदेन किया है कि कोई किसी की आलोचना न करे, सहयोग दें। सरकार पर जिम्मेदारी अधिक है। वे सावधान रहे। कोई ऐसा काम न करे कि विपक्ष को आलोचना का मौका मिले और मेरे जैसे लोग चुप रह कर दुखी होते रहे। जयराम ठाकुर बहुत अच्छे तरीके से सरकार का संचालन कर रहे है। सरकार को साधन चाहिए। मुझे विश्‍वास है प्रदेश के सभी कर्मचारियों ने कटौती पर बिलकुल बुरा नही मनाया होगा। विधायकों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने प्रदेश की जनता से भी अपील की है कि अपनी सामर्थ्य अनुसार सरकार को आर्थिक सहयोग अवश्‍य दें।

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