पालमपुर मे स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिया जा रहा है निर्णय क्या सही है?
शहर के बीचोबीच स्थित अस्पताल मे एहतियात बरतना जरूरी
प्रवीण अरोड़ा नगर संवादाता
कोरोना महामारी के दौरान नागरिक अस्पताल पालमपुर में हो रही लापरवाही से संक्रमण के फैलने का खतरा हो सकता है। ऐसी आशंका कुछ लोग जता रहे हैं ,क्योंकि जहां पर कोरोना के टेस्ट किए जा रहे हैं वह बाजार से एकदम साथ लगती जगह है। और वहां पर आजकल काफी भीड़ हो जाती है जिसके चलते वहां से मरीज अपनी बारी का इंतजार करने के बजाय बाजार में घूमना और चाय पीना पसंद करते हैं। क्योंकि टेस्ट मेन से बाजार केवल चार कदम की दूरी पर है इस लिए कोरोना टेस्ट बूथ को कहीं ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां पर मरीज की प्रॉपर एंट्री हो और टेस्ट होने के बाद ही वह वहां से निकले। जगह भी काफी तंग है तथा टेस्ट करवाने वाली एक दूसरे के संपर्क में आराम से आसानी से आते हैं ।जिससे खतरा और बढ़ जाता है। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि यहां पर (सारी ) कोरोना वार्ड को चलाने की अनुमति भी ली जा रही है जिससे अन्य मरीजों में संकरण के फैलने का अंदेशा बढ़ जाएगा ।क्योंकि सारी वार्ड के प्रोटोकॉल के हिसाब से उस वार्ड मे आने जाने का रास्ता तथा उसकी एंट्री अलग से होनी चाहिए । वहां पर कोई भी कर्मचारी या सामान्य नागरिक की एंट्री बंद होती है तथा वहां पर कोई भी सामान्य मरीज ,सामान्य नागरिक की एंट्री बैन होती है ।परंतु यहां पर ऐसा कुछ नहीं देखा जा रहा है ।जिससे संक्रमण के फैलने का अंदेशा बना रह रहाहै ।
सारी वार्ड के बनने से यहां पर अन्य मरीजों को बहुत तकलीफ और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि महिला वार्ड, डिलीवरी केसेज़ बच्चों का बाढ़ ,तथा सर्जरी वार्ड बंद पड़े हैं। इनडोर मरीजों की एंट्री बहुत कम हो रही है ।तथा जो सीरियस मरीज हैं उन्हें बहुत खतरा मंडरा रहा है ,क्योंकि उनकी एडमिशन नहीं हो रही है ।विश्वसनीय सूत्रों से यह भी पता चला है कि परौर में 256 बेड का हॉस्पिटल शुरू हो गया है। दाढ़ में भी कोविड मरीजों को रखा जा रहा है और वहां पर भी काफी जगह कोविद पेशेंट के लिए खाली पड़ी है, फिर पालमपुर के अस्पताल को क्यों कोविड या सारी अस्पताल बनाया गया है जो शहर के बीचोबीच घनी आबादी में स्थित है जबकि विवेकानंद में भी कोविड मरीजों का दाखिला हो रहा है।
क्या अस्पताल प्रशासन को कोविड के अलावा अन्य मरीजों को हो रही परेशानी को ध्यान में नहीं रखना चाहिए था ।अगर किसी का एक्सीडेंट हो जाता है या कोई दिल का मरीज को दिल का दौरा पड़ता है तो सारी वार्ड चलाने के कारण वहां पर इमरजेंसी केस भी नहीं लिए जा सकते क्योंकि अगर इस छोटे से अस्पताल में कोविड पेशेंट है तो इस तरह के हाई रिस्क वाले मरीजों को कोविड होने की पूरी संभावना बनी रहेगी और एक ही बिल्डिंग में टेस्ट होते हैं एक ही बिल्डिंग मे कोविड पेशेंट रहते हैं तो इमरजेंसी वाले मरीजों को संक्रमण या को कोविड नहीं होगा इस बात की क्या गारंटी है। जबकि परौर में बेड खाली पड़े हैं।अब इसे अब अस्पताल प्रशासन की लापरवाही कहें या इसके पीछे कोई अन्य कारण है जिसका प्रत्युत्तर तो वे लोग ही आसानी से दे पाएंगे।
सरकार द्वारा किए जा रहे ऐसे निर्णय क्या सही है या गलत है यह तो समय की कसौटी पर भविष्य के गर्भ में छुपे हुए है परंतु सरकारों को दूरअंदेशी से काम लेना चाहिए तथा वही निर्णय लेने चाहिए जिससे जनता जनता का हित हो और संकर्मण जैसी बीमारी ना फैल पाए
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