डॉ. राजेश सूद : TB उन्मूलन में समाजसेवी संस्थाओं की अहम भूमिका, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान* में रोटरी क्लब पालमपुर ने 25 टीबी रोगियों* को *नि-क्षय मित्र* बना कर गोद लेने का लिया निर्णय
2 सप्ताह से अधिक खाँसी वाले व्यक्ति तुरन्त नजदीकी संस्थान मे सम्पर्क करें
टीबी उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे *प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान* में रोटरी क्लब पालमपुर ने जन भागीदारी निभाने का संकल्प लेते हुए पालमपुर क्षेत्र के *25 टीबी रोगियों* को *नि-क्षय मित्र* बनकर उन्हें गोद लेने का निर्णय लिया है और इस अभियान की शुरुआत रोटरी क्लब पालमपुर 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर इन रोगियों के पोषण हेतु फ़ूड बास्केट उपलब्ध करवा कर करेगी जोकि लगातार 6 महीने तक दिए जाएंगे।
यह जानकारी रोटरी क्लब पालमपुर द्वारा आयोजित प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान कार्यशाला दौरान रोटरी क्लब पालमपुर के प्रधान विकास वासुदेवा व सचिव नितिका जम्वाल ने दी।
रोटरी भवन पालमपुर में आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला टीबी अधिकारी डॉ आरके सूद ने बताया कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में समाजसेवी संस्थाओं की अहम भूमिका है ।
उन्होंने कहा कि 21वी शताब्दी में जहाँ हम डिजिटल भारत की और अग्रसर हैं, वहीँ एक हकीकत यह भी है कि कई लोग जवानी में टी.बी. के कारण जान से हाथ धो बैठते है।
डॉ सूद ने कहा कि इसका मुख्य कारण जागरूकता का आभाव व् इलाज में देरी पाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रति वर्ष दुनिया भर में एक करोड़ टी.बी. रोग के नए मामले आ रहे हैं और विश्व में प्रतिवर्ष 15 लाख लोगों की टी.बी. रोग से अकाल मृत्यु हो रही है। वही भारत में प्रतिवर्ष 26 लाख टी.बी. रोग के नए मामले आ रहे हैं।
डॉ सूद ने जानकारी दी कि दुनिया में टी. बी. के सबसे ज्यादा मरीज भारतवर्ष में पाये जाते हैं। विश्व में टी. बी. का हर चौथा मरीज भारत का है। 4 लाख 50 हजार लोगों की टी.बी. रोग से अकाल मृत्यु हो रही है। और यह आंकड़ा भी दुनिया में सर्वाधिक है। भारत में करीब 1 लाख 30 हज़ार लोगो को बिगड़ी टी.बी. की बीमारी हो रही है। टी.बी. रोग न सिर्फ दुनिया भर में, बल्कि हमारे देश में, हमारे प्रदेश में, हमारे जिले में, में एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
डॉ सूद ने कहा कि हालांकि भारत सरकार द्वारा हिमाचल को क्षय (टीबी) रोग उन्मूलन में अव्वल आँका गया है, परन्तु टी.बी. रोग का जड़ से खात्मा करना हम सब के लिए एक बड़ी चुनौत्ती है।
उन्होंने बताया कि यह एक संक्रामक रोग है यह बीमारी हवा के जरिये एक संक्रमित व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति को फैलती है यह रोग आनुवांशिक नहीं होता है।
संक्रमित व्यक्ति के कपड़े छूने या उससे हाथ मिलाने से टी.बी. रोग नहीं फैलता। डॉक्टर आरके सूद ने इस बात पर बल दिया कि मरीजों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव ना किया जाए और मरीज का कमरा, बर्तन आदि अलग करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि दवाई शुरू होने के बाद मरीज संक्रामक नहीं रहता है ।
उन्होंने सभी प्रतिभागियों से मरीजों का मनोबल बढ़ाने हेतु आह्वान किया ताकि वे पूर्ण रूप से अपना दवाई का कोर्स पूरा कर सकें ।
डॉ सूद ने टीबी उन्मूलन हेतु कई पहलुओं पर विशेष चर्चा करते हुए बताया कि सरकार ने इसी कड़ी में सामुदायिक सहायता कार्यक्रम शुरू किया है ।
इस कार्यक्रम के तहत टीबी रोगियों को किसी व्यक्ति, किसी प्रतिनिधियों या संस्थानों द्वारा गोद लिया जा सकता है और गोद लिए रोगियों की देखभाल की जाएगी।
उन्होंने ने बताया कि मरीजों की देखभाल के लिए आगे आने वाले लोगों और संस्थानों को ‘निक्षय मित्र’ कहा जाएगा। वे किसी गांव, शहर, वार्ड, या यहां तक कि एक रोगी को भी गोद ले सकते हैं और उन्हें ठीक होने में मदद करने के लिए पोषण और इलाज में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
NI-KSHAY 2.0 वेब पोर्टल टीबी का इलाज कर रहे रोगियों को विभिन्न प्रकार की सहायता करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
इसके तहत पोषण, अतिरिक्त निदान, अतिरिक्त पोषक तत्वों की खुराक और व्यावसायिक सहायता शामिल है। उन्होंने ने बताया कि इस अभियान में निर्वाचित प्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों से लेकर कारपोरेट, गैर सरकारी संगठनों, संस्थानों और व्यक्तियों को आगे आने के लिए आह्वान किया जाएगा।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जनभागीदारी को बढ़ाना है / जिला कांगड़ा में 1256 रोगितों ने सामुदायिक सहायता के लिए सहमति डी है उन्होंने अपील की कि वह इस अभियान में आगे आए और निश्चय -मित्र बनकर टीबी की रोगियों की मदद करें ताकि हम जिला कांगड़ा को टीबी रोग मुक्त बना सके ।
इस कार्यशाला में रोटरी अध्यक्ष विकास वासुदेवा, सचिव नितिका जम्वाल,पूर्व रोटरी प्रधान बीसी अवस्थी मनोज कुँवर,संजीव बाघला,डॉ जतिंदर पाल,सुरिंदर मोहन,विजय नागपाल,अजय सूद,पंकज जैन,ऋषि संग्राय,प्रदीप करोल,एस पी अवस्थी,अरुण व्यास,साहिल चित्रा,सुभाष जगोता व अन्य रोटरी सदस्य मौजूद रहे।
*निःशुल्क आधुनिक जाँच सुविधा*
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आरके सूद ने उपस्थित प्रतिभागियों को बताया कि उन्होंने बताया कि टी बी उन्मूलन हेतु ज़िला में सप्ताह के हर रविवार को आशा वर्कर्स द्वारा घर घर जाकर टी बी मरीजों का पता लगाया जा रहा है जिससे टी बी ग्रसित मरीजों का आसानी से और जल्दी पता लगाया जा सके।
2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार, वजन कम होना गांठों में सूजन की समस्या टीबी की बीमारी होने के संकेत हैं । उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत समीप के चिकित्सा केंद्र में जाकर परामर्श व जांच करवानी चाहिए ।
इसके साथ ही उन्होंने आधुनिक जाँच सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी जो स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क उपलब्ध हैं। सी बी नैट की मशीन से 2 घण्टे में ना केवल टीबी की बीमारी का पता लगता है, अपितु यह भी पता चल जाता है कि यह साधारण टीबी है या बिगड़ी हुई टीबी है।
मरीज को दूर नहीं जाना पड़ता व नजदीकी अस्पताल से ही आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से जांच के नमूने भिजवाने की व्यवस्था भी की गई है जिससे मरीज खर्चे और परेशानी से बच सकता है।
उन्होंने आहवान किया की 2 सप्ताह से अधिक खाँसी वाले व्यक्ति तुरन्त नजदीकी संस्थान मे सम्पर्क करें।
निष्क्रिय टी.बी.
हमारे आस-पास हवा में टी.बी. के जीवाणु कई बार मौजूद होते है, परन्तु रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) अच्छी होने के कारण कुछ लोगो में इसका संक्रमण नहीं होता है ! इन लोगो में यह जीवाणु निष्क्रिय रहते है और इस कारण न तो बीमारी होती है और न ही कोई लक्षण दिखाई देते है ! जब ऐसे लोगो में किसी कारणवश रोग प्रतिकार शक्ति कमजोर हो जाती है, तब यह निष्क्रिय जीवाणु सक्रिय होकर क्षय रोग का फैलाव करते है ! HIV संक्रमण, अनियंत्रित ब्लड शुगर, कुपोषण, स्टेरॉयड थेरेपी , तंबाकू उपयोग, खासकर धूम्रपान , गुर्दे की बीमारी , कैंसर रोग में रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है, तब यह निष्क्रिय जीवाणु सक्रिय होकर क्षय रोग का फैलाव करते है।