एलपीए 54 क्या कोई मजाक था जिसे तीन साल बाद भी अमलीजामा नही पहनाया गया । हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ राज्य अध्यक्ष नरेश महाजन ने कहा कि 2008 में नियुक्त शिक्षक आज तक एलपीए 54 कोर्ट के फैसले के लागू न होने से 1500 शिक्षक हताश हैं निराश हैं कि क्यों उन्हें आज तक सरकार ने न्याय नही दिया । मामला इसप्रकार से है कि 2008 में 2003 के बाद लंबे समय के बाद शिक्षा विभाग में मेडिकल , नान मेडिकल व टीजीटी की भर्तियां बैच वाइज हुई । उस समय नियुक्ति तिथि से नियमित रखने के पुराने आर एन्ड पी रुलज थे । परन्तु उस समय की सरकार ने नियुक्तियां अनुबन्ध पर कर एक अलोकतांत्रिक प्रणाली का सबूत दिया । जो कि पहला तानाशाही वाला कदम था । लगभग अढाई साल पहले एलपीए 54 की याचिका को हाई कोर्ट की सभी बैंचों ने कर्मचारी हित में बताया । परन्तु सरकार ने इन आदेशों को आज तक नही माना । राज्य अध्यक्ष ने पूछा कि इन 1500 टीजीटी शिक्षकों का क्या कसूर है जो आज तक गलत नीति के तहत एक लोकतांत्रिक प्रणाली का शिकार हैं ।अध्यक्ष ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने हक के लिए लड़ने का अधिकार है और उसे किसी गलती की बजह से उसके अधिकार से बंचित रखा गया है तो राजनीतिक दलों को इस गलती को सुधारना चाहिए न कि उन्हें ज्यादा प्रताड़ना मिलनी चाहिए । नरेश महाजन ने कहा कि 2008 में नियुक्त अध्यापकों का बहुत समय तक शोषण हुआ है ।कहा कि दो साल में
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