पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने निदेशक आई एच वी टी व वन मण्डल अधिकारी पालमपुर से दोहराया चन्द्र शेखर वाटिका (पार्क ) एवं धोलाधार जैव विविधता संरक्षण संस्थान का मामला

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पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने निदेशक आई एच वी टी व वन मण्डल अधिकारी पालमपुर को पत्र लिखकर फिर दोहराया चन्द्र शेखर वाटिका( पार्क ) एवं धोलाधार जैव विविधता संरक्षण संस्थान का मामला .……. अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा राजकीय महाविद्यालय पालमपुर के मार्ग के साथ लगते पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर जी द्वारा रखी गई नींव पट्टिका के गायब हो जाने व चबूतरे की दुर्दशा को देखकर पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कडा रोष जताया है। इसी विषय को लेकर निदेशक सी एस आई आर व वन मण्डल अधिकारी पालमपुर को पत्र लिख कर पूर्व विधायक ने फिर दोहराया है कि लम्बा समय हो गया समाज सेवा में समर्पित ” इंसाफ संस्था ” ने उक्त स्थल की दुर्दशा को देखकर कड़ी मेहनत के साथ राजस्व अभिलेख को खंगाला । परिणामस्वरूप वर्षों से जिस बेशुमार कीमती जमीन पर किसी ओर ने अपना कब्जा जमाया था जिसकी कि निदेशक महोदय को जानकारी तक नहीं थी । ऐसे में तमाम तथ्यों सहित राजस्व दस्तावेज एकत्रित करके इस विषय को लेकर संस्था ने उचित दोनों विभागों से उचित एवं उपयुक्त कार्रवाई के लिए आग्रह किया था । इन्साफ संस्था के अध्यक्ष पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने बताया कि राजस्व अभिलेख में सरेआम नाम मालिक व ऎहवाल नैशनल वायोलिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट जबकी नाम काश्तकार व ऎहवाल धौलाधार चंगर परियोजना पौधशाला दर्ज है । इस तरह यह कुल रकबा 11-50- 12 हेक्टर जो कि लगभग तीन सो कनाल के करीब बनता है जबकि वर्तमान में भारत जर्मन चंगर धोलाधार परियोजना बन्द हो चुकी है और ना ही मौका पर किसी प्रकार की पौधशाला है । पूर्व विधायक ने पत्र में रोष प्रकट करते हुए कहा कि 29 – 05- 2018 को उन्होंने लिखित रूप में इस विषय को उपरोक्त दोनों विभागों के समक्ष उठाया था । तीन वर्ष से ऊपर समय हो गया इसी बीच तीन चार बार हम लोग इनसे मिले भी , अंततोगत्वा अब संस्था का आग्रह है कि वर्ष 1992 में इस स्थल पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शान्ता कुमार जी ने यहाँ ” वन लगाओ, रोजी कमाओ ” जैसी महत्वकांक्षी योजना का शुभारम्भ तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री चंद्रशेखर जी के कर कमलों से करवाया था । वर्तमान में इस स्थल की दुर्दशा के दृष्टिगत इस जगह को फिलहाल ” चंद्रशेखर वाटिका (पार्क ) के नाम से संवारा जाए या संस्था को इस स्थल को संबारने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने की कृपा की जाए । साथ ही संस्था ने निदेशक आई एच वी टी का ध्यान इस ओर भी आकर्षित करते हुए कहा है कि उस बक्त पता नहीं किन कारणों से इतना बड़ा नैशनल वायोलोजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट पालमपुर से लखनऊ चला गया था जिसका कि बहुत खेद है ऎसे में कुछ हद तक इसकी भरपाई के लिए इस इतने बड़े शानदार रकबे पर धोलाधार जैव विविधता संरक्षण संसथान खोलने की प्रस्तावना भारत सरकार को भेजी जाए ।

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