बहुत नाइंसाफी है…जनप्रतिनिधि टैक्स क्यों नहीं देते जब देश का हर व्यक्ति अपनी आय पर इनकम टैक्स देता है
जब देश का हर व्यक्ति अपनी आय पर इनकम टैक्स देता है तो जनप्रतिनिधि टैक्स क्यों नही देते । क्या वे भारतीय संविधान के दायरे में नही आते ।
हिमाचल की बात करें तो हर वर्ष ,हर व्यापारी ,हर कर्मचारी अरबों – खरबों के टैक्स देकर भारतीय अर्थव्यवस्था को चलाते हैं परन्तु देश को चलाने वाले नेता एक रुपये का टैक्स भी नही देते जबकि सबसे ज्यादा सैलरी व अन्य प्रकार के भत्ते जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि लेते हैं ।
न्यू मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन संघ हिमाचल प्रदेश राज्य अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि आम व्यक्ति चाहे वह व्यापारी हो या फिर कर्मचारी हो हर वर्ष पांच लाख से ऊपर की आय पर 20 फीसदी टैक्स देकर भारतीय अर्थव्यवस्था को चला रहा है । परन्तु उस टैक्स से होने वाली आय को खर्चने वाले जनता के प्रतिनिधि अपनी आय पर किसी प्रकार का टैक्स नही देते बल्कि आम लोगों द्वारा दिये गए टैक्स का भी दुरुपयोग करते हैं ।
भारतीय संविधान में हर नागरिक के कर्तव्य लिखित हैं और जनसेवक भी उसी दायरे में आते हैं परन्तु भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कुछ नही करते पांच साल जनता के टैक्स पर सैर सपाटे करने के बाद उसी जनता के टैक्स से लाखों की पेंशन लेकर आराम से हारने के बाद सुख सुविधा लेते हैं । जनता जो कि मात्र अपने हित तक सीमित है कुछ नही बोलती । 15 अगस्त 1947 की आजादी वाले दिन तिरंगे को नमन कर भूल जाते है कि हमारे भी कुछ कर्तव्य हैं ।
जनप्रतिनिधि जानते हैं कि आम जन सिर्फ फ्री सुविधाओं तक सीमित हैं । जनप्रतिनिधियों को पता रहता है कि लोग हमारे गुलाम हैं और इसलिए एक फीसदी जनता को देकर बाकि अपने ऐशोआराम पर लगाते हैं ।
इस तरह का लेख हर व्यक्ति को लिखना चाहिए क्योंकि ज्वलन्त मुद्दों में नेताओं का टैक्स देना भी आता है । कर्मचारियों को बोझ मानने वाले जनता के वोट से