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श्रीमती प्रवीण शर्मा: मानव सेवा को समर्पित एक प्रेरणास्रोत

श्रीमती प्रवीण शर्मा एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और सेवानिवृत्त प्राचार्या हैं, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन शिक्षा और समाज सेवा को समर्पित किया है। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय रहा है, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने सक्रिय रूप से मानव सेवा और समाज कल्याण के कार्यों में खुद को संलग्न किया। उनका जीवन आज समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
श्रीमती शर्मा का मानना है कि “सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति को संवेदनशील, उत्तरदायी और सेवा भाव से युक्त बनाए।”
यही कारण है कि उन्होंने न केवल विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी, बल्कि उन्हें नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों से भी जोड़ा। उनकी नेतृत्व क्षमता, अनुशासनप्रियता और स्नेहपूर्ण व्यवहार ने विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच उन्हें अत्यंत सम्मानित बना दिया।
सेवानिवृत्ति के पश्चात भी श्रीमती प्रवीण शर्मा ने विश्राम का रास्ता नहीं चुना। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर शिक्षा के प्रचार-प्रसार में योगदान देना शुरू किया।
विशेषकर निर्धन और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए उन्होंने निशुल्क ट्यूशन सेंटर आरंभ किए। इसके साथ ही वे वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और जरूरतमंदों की सहायता के लिए नियमित रूप से राशन वितरण, स्वास्थ्य जांच शिविर और कपड़ा वितरण जैसी गतिविधियाँ आयोजित करती रही हैं। वह सफलतापूर्वक एक निजी स्कूल NEW धौलाधर् पब्लिक स्कूल खलेट PALAMPUR के माध्यम से शहरी और ग्रामीण दोनों स्तर पर भी शिक्षा केआ प्रचार- प्रसार कर रही हैं।
उनकी समाज सेवा में महिला सशक्तिकरण भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया। उनके प्रयासों से अनेक महिलाएं आज स्वरोजगार से जुड़कर अपने परिवार का सहारा बनी हैं।
#Mrs. Praveen Sharma की सोच यह है कि सेवा भाव केवल दान या चंदे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दूसरों के दुख को महसूस करके, उनके साथ खड़े होकर मदद करने की भावना है। उनका जीवन इस विचार का सजीव उदाहरण है।
ऐसी विभूतियाँ समाज के लिए एक दीपस्तंभ की तरह होती हैं, जो न केवल राह दिखाती हैं, बल्कि प्रेरणा भी देती हैं। उनके द्वारा शिक्षित बच्चे आज बड़े-बड़े ऊंचे ओहदों पर कार्यरत है और देश-प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं।
श्रीमती प्रवीण शर्मा का कार्य यह सिद्ध करता है कि सेवानिवृत्ति किसी कार्य का अंत नहीं, बल्कि समाज के लिए कुछ और करने का नया आरंभ हो सकता है।





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