चरमराती कानून व्यवस्था विफल रही है पीड़ितों को न्याय दिलवाने में, उठता जा रहा है कानून से भरोसा : प्रवीण शर्मा
हम भारतीय हैं और हमें चाहिए कि हर भारतीय के अधिकारों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझे परन्तु हम कर्तव्य तो प्राप्त करना चाहते हैं परन्तु दूसरों के अधिकारों की रक्षा करना अपना कर्तव्य नही समझते ।
अधिकारों की रक्षा करने वाले लोगों को मात्र अधिकारों तक सीमित लोग उनका साथ नही देते और मरने के बाद हार लेकर कतारों में खड़े हो जाते हैं ।
ऐसा इसलिए है चूंकि हर व्यक्ति अपने तक सीमित होकर रह गया है उसे दूसरों की दुख तकलीफ से कोई लेना देना नही फिर भी हम कहते है हम उस देश के रहने वाले है जहां पावन गंगा बहती है जिसे वर्षों तपस्या कर भागीरथी ने शिव की जटाओं द्वारा धरती पर उतारा था ,राजा हरिश्चंद्र ने वचन के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया ।
श्री रामचन्द्र ने वचन की लाज रखने के लिए घर त्याग दिया । परन्तु आज के इस युग में इन बातों को नजरअंदाज कर सिर्फ यही सीखा है कि दूसरे के अधिकारों को खत्म कर अपने अधिकारों की रक्षा करो ।
हजारों लोगों को हिमाचल प्रदेश में रातों रात बेरोजगार कर दिया गया । अगर अम्बुजा सीमेंट फेक्ट्री को घाटा हुआ तो क्या यह घाटा इस कम्पनी के कर्मियों ने करवाया । उन्हें दर दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया ।
अब यह लोग क्या करेंगे । क्योंकि मेहनत की रोजी रोटी यहां नही मिलती।
छोटे दुकानदारों की आमदन घटी है फिर भी ग्राहक की आस में पूरा दिन बिता देते हैं फिर भी “सुख भरे दिन आयो रे भैया ” दिखते नही ।
बड़े बड़े व्यापारियों ने करोड़ो रूपये का टैक्स नही दिया जब रेड पड़ी तो अरबों का व्यापार बिना टैक्स दिए पाया गया । काली कमाई कोई भी कर्मचारी नही करता और अपनी शुद्ध आय पर टैक्स देता है परन्तु फिर भी कर्मचारियो पर ,जिन्हें सरकार की रीढ़ माना जाता है तरह तरह के फरमान डाल कर
पीड़ित किया जाता है ।
कानून इस लोकतंत्र की एक ऐसी व्यवस्था है जो पीड़ितों को न्याय दिलवाने में विफल रही है ।
वर्षों पीड़ित कोर्टों के चक्कर लगा कर थक हार कर मर जाते हैं परन्तु न्याय नही मिलता ।
बच्चियों के साथ गलत होता है और उन्हें मार दिया जाता है पर अत्याचारी खुले आम घूमते हैं ।
राजनीतिक दलों ने सत्ता लालच में आकर लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल डाली जो कि अपने भारत देश के साथ देशद्रोह है ।
सभी जन चाहे वे किसी भी राज्य से हो मिलकर एक देश बनाते हैं । राज्यों के कारण ही देश बना है तो सभी को दूसरे के अधिकार को अपना कर्तव्य समझना चाहिए ।
राजनेताओं को भी चाहिए कि वे देश के आम लोगों का जीवन समृद्ध करें क्योंकि समृद्धि में ही देश की शान है ।
लेखक : प्रवीण शर्मा
न्यू मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन संघ
राज्य अध्यक्ष ।।