प्रधानमंत्री मोदी जी, हिमाचल जैसे छोटे और आपदा पीड़ित प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार मत कीजिये… आखिर प्रदेशवासियों ने 4 लोकसभा और 2 राज्यसभा सीटों से आपकी झोली भरी है, कम से कम उसका तो सम्मान कीजिये
मोदी जी, प्रदेश की जनता आपको पूरा सम्मान देती है, कृपया दया कीजिये
EDITORIAL
हिमाचल प्रदेश: उपेक्षा का शिकार या राजनीतिक खेल का अखाड़ा?
हिमाचल प्रदेश, भारत का एक खूबसूरत पर्वतीय राज्य, आजकल उपेक्षा और भेदभाव के गहरे दलदल में फंसा हुआ प्रतीत होता है। केंद्र सरकार के कथित सौतेले व्यवहार ने राज्य के लोगों में रोष और निराशा की भावना पैदा कर दी है।
हिमाचल प्रदेश की यह दुर्दशा एक दिन में नहीं बनी है। कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद, उन्हें पिछली भाजपा सरकार से 85,000 करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज विरासत में मिला। प्राकृतिक आपदाओं से पहले से ही जूझ रहा राज्य इस आर्थिक बोझ के कारण और अधिक संकट में आ गया है।
यह विडंबना ही है कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी समर्थन देने के बावजूद, हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। आर्थिक सहायता की कमी ने राज्य की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है और विकास कार्यों पर विराम लग गया है।
विपक्ष द्वारा सुक्खू सरकार को गिराने के लिए चलाए गए “ऑपरेशन लोटस” ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश को विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस को चुनने की सजा दे रही है। राज्य की जनता राजनीतिक खेलों का शिकार बन रही है।
हिमाचल प्रदेश के लोग न्याय और समानता की मांग कर रहे हैं। वे केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह राज्य के योगदान को पहचाने और आर्थिक सहायता प्रदान करके राज्य के विकास में सहयोग करे। राज्य की आर्थिक समस्याओं का समाधान एक व्यापक आर्थिक पैकेज के माध्यम से ही संभव है।
हिमाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और इसका विकास देश के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। केंद्र सरकार को अपने पूर्वाग्रहों को त्यागकर राज्य के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। राजनीतिक वेंडेटा के कारण लोगों को पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि प्रदेशवासियों ने भाजपा और खासकर मोदी जी का दिल से सम्मान किया है। उन्होंने चारों लोकसभा की सीटें और दो राज्यसभा की सीटें आपकी प्रार्थना पर पूरे सम्मान के साथ आपकी झोली में डाल दीं। आपके उम्मीदवारों ने बड़े-बड़े वायदे जनता से वोट मांगते समय किये थे लेकिन वर्तमान हालात बयान कर रहे हैं कि वे सब कायदे खोखले साबित हो रहे हैं।
केंद्र सरकार की गोद में बैठे यह 6 विजेता दूर से तमाशा देख रहे हैं। क्या इनका कर्तव्य नहीं बनता की प्राकृतिक आपदा से पीड़ित, कर्ज़ के बोझ तले दबे इस देवभूमि के प्रदेश की आर्थिक स्थिति केंद्र के सामने रखे और सौतेलापन बंद करने के लिए कहें मोदी जी से। लेकिन अब ये 6 के 6 उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं, अब जनता और जनता का हित जाए भाड़ में। लेकिन इन्हें सोचना चाहिए कि चुनाव दोबारा भी आने हैं तब क्या मुंह दिखाओगे जनता जनार्दन को। यूपी से ही सबक सीख लो। हिमाचल ने तो आपके कहने पर आपकी झोली भर दी लेकिन आपकी सरकार उसका बदला सौतेला व्यवहार करके चुका रही है जोकि सही नहीं है। केंद्र की बदले की भावना से काम नहीं करना चाहिए क्योंकि काठ की हांडी, बार बार नहीं चढ़ती।
हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है।
राज्य प्राकृतिक आपदाओं और भारी कर्ज के बोझ से दबा हुआ है।
विपक्ष द्वारा सरकार को गिराने के प्रयासों ने स्थिति को और बिगाड़ा है।
राज्य की जनता न्याय और समानता की मांग कर रही है। केंद्र सरकार को राज्य के विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
हिमाचल प्रदेश के साथ हमेशा से ही सौतेला व्यवहार केंद्र की सरकारें करती रही हैं। हिमाचल में विपक्षी दलों की सरकार का शासन भी एक वड़ा कारण रहा है पिछड़ेपन का लेकिन केंद्र सरकार को मतदाताओं की इच्छा का मान रखना चाहिए क्योंकि जनता ने ही सुक्खु सरकार को स्वेच्छा से चुन कर भेजा है।
वैसे तो हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकूर की डबल इंजन की सरकार रही। आसानी से कर्ज़ मिलता रहा और सरकार 5 साल तक चलती रही। डबल इंजन की सरकार भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति की भारी कर्ज़ से उबार नहीं पाई थी। उस समय यदि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रधानमंत्री मोदी के सामने प्रदेश की स्थिति को बेहतरीन तरीके से स्पष्ट करते तो 85 हज़ार करोड़ का कर्ज माफ हो सकता था क्योंकि यह तो तय ही है कि सरकार अपनी कमाई से न तो सरकार चला सकती है और न ही कर्ज़ का एक रुपया चुका सकती है। सरकार चाहे किसी भी पार्टी की क्यों न हो।
प्रधानमंत्री का schedule बहुत व्यस्त होता है, कोई अगर उन्हें ढंग से समझाएगा तभी उन्हें वास्तविक स्थिति का ज्ञान होगा, उन्हें कोई सपना तो आएगा नहीं।
इसलिए केंद्र सरकार को सभी सीटें अच्छे मार्जिन से जीत कर देने वाले राज्य की मदद करनी चाहिए न कि मूक दर्शक बन कर तमाशा देखना चाहिए, खिल्ली उड़ानी चाहिए।
आज तक जहां तक देखने में आया है भाजपा प्रदेश हारने के बाद निरंतर सरकार के खिलाफ कोई न कोई अवरोध उत्पन्न करती आई है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है लोकतंत्र के लिए। अतः प्रधानमंत्री मोदी जी, प्रदेश पर कृपा फरमाएं और राहत पैकेज प्रदान करें क्योंकि जनता चुपचाप सब कुछ महसूस कर रही है। अपने जीते हुए 6 सांसदों को कुछ काम सौंपें जो आए दिन मात्र ऊल-जुलूल बयान दाग कर अपना टाइम पास कर रहे हैं। उन्हें कम से कम यह एहसास तो होना चाहिए की जनता जनार्दन ने किस मकसद के लिए उन्हें चुनकर भेजा है लोकसभा में भी और राज्यसभा में भी।