अन्याय की आग में जल रहे आउटसोर्स कर्मचारियों का दर्द : निजी अस्पताल कर रहे मजबूर कर्मचारियों का शोषण, सिक्योरिटी एजेंसियों की मिलीभगत से
निजी अस्पताल व अन्य संस्थान प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों की मिलीभगत से हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों का कर रहे शोषण, सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग
शिमला, 27 अगस्त 2023 – निजी आउटसोर्स एजेंसियां अनुबंध कर्मचारियों का घोर शोषण कर रही हैं, उन्हें कम वेतन दे रही हैं, वित्तीय लाभ रोक रही हैं और उन्हें बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए मजबूर कर रही हैं।
इसमें केवल आउटसोर्स सेक्युरिटी एजेंसियां ही मोटा धन नहीं कूट रही हैं बल्कि कुछ निजी अस्पताल भी कर्मचारियों का जम कर शोषण कर रहे हैं।
वर्तमान हालात यह है कि यह अस्पताल अपने चाटुकार सिक्योरिटी एजेंसियों के मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाने और खुद भी लाभान्वित होने के चक्कर में मासूम अनुबंध (outsource) कर्मचारियों के हितों से खिलवाड़ करते हैं तथा उनका अंधाधुंध शोषण कर रहे हैं ।
वे बेचारे नौकरी खोने के दर से इन बेलगाम सिक्योरिटी एजेंसियों के मालिकों और अस्पताल के मालिकों के खिलाफ किसी भी कीमत पर आवाज बुलंद नहीं कर पाते जिसका अनुचित लाभ यह लोग खूब उठा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार मान लीजिए एक निजी अस्पताल इन सिक्योरिटी एजेंसी के मालिक को ₹15000 प्रति कर्मचारी दे रहा है तो यह एजेंसी वाले लगभग 50% स्वयं का जाते हैं तथा बचा-खुचा इन मजबूर कर्मचारियों को देते हैं।
इतना ही नहीं उनके कई वित्तीय लाभ भी यह गोल कर जाते हैं ।
कई लोग जो थोड़ी हिम्मत करते हैं वे न्यायालयों की शरण में भी जा चुके हैं लेकिन दुख की बात है कि न तो प्रदेश का प्रशासन और न ही सरकार इन प्रभाबशाली सिक्योरिटी एजेंसियों के मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई करते हैं और ना ही अनुबंध कर्मचारियों को उनका हक दिलाने की चेष्टा करते हैं जिससे इन गरीब कर्मचारियों में भारी रोष पनप रहा है। इन कर्मचारियों का आरोप है कि सेक्युरिटी एजेंसी और लेबर कोर्ट के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के बेहतर संबंधों के चलते कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है।
कर्मचारी इन शोषणकारी प्रथाओं को रोकने के लिए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, क्योंकि निजी नौकरी एजेंसियां अक्सर रोजगार सुरक्षा का वादा करती हैं, लेकिन फिर वे कम वेतन देती हैं और अनिवार्य लाभ रोकती हैं, जैसे कि ईपीएफ, बोनस और अन्य लाभ। यह कर्मचारियों को वित्तीय भेद्यता के एक चक्र में छोड़ देता है।
कई अनुबंध कर्मचारी समय पर भुगतान पाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। कुछ मामलों में, एजेंसियां संबंधित निजी बीमा फर्मों से बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए कर्मचारियों को मजबूर कर रही हैं। इससे कर्मचारियों की पहले से ही मिल रही मम कमाई और कम हो जाती है।
कर्मचारी अधिकारों के कार्यकर्ता सरकार से इन शोषणकारी प्रथाओं को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकारों की निष्क्रियता के कारण ये प्रथाएं जारी हैं।
कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार निजी नौकरी एजेंसियों पर कड़े नियम लागू करे। इनमें शामिल हैं:
अनुबंध कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन और अन्य लाभ प्रदान करना
अनुबंध कर्मचारियों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना
निजी नौकरी एजेंसियों को अनुबंध कर्मचारियों को बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए मजबूर करने से रोकना
सरकार को इन मांगों पर गंभीरता से विचार करने और अनुबंध कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है।
बताते चलें कि बहुत जल्द हिमाचल रिपोर्टर की सशक्त टीम इन संस्थानों के नंगे सच को आम जनता के सामने उजागर करेगी ताकि गरीब मेहनतकश कर्मचारियों को न्याय मिल सके और उनके परिवारों पर कोई आंच न आए। सरकार को भी इस मामले में अपनी स्थिति जल्द स्पष्ट करनी चाहिए और दूध का दूध और पानी का पानी करने की दिशा में फौरी कदम उठाना चाहिए ताकि मालिक और नौकर तथा अमीर और गरीब की खाई को किसी हद तक तो पाटा जा सके।