Cont. By : Tony
जनरल जाति वालो के साथ हो रहे जुल्म की इंतहा का बयान :-
मानयीय प्रधानमंत्री एवं देश के जिम्मेदार न्यायधीश इस व्यवस्था पर जोर दे जनरल जाति पर जुल्म ना हों :—-
नोट:-
सभी मित्रों से निवेदन है कि इसे पढ़ें अवश्य और संभव हो सके तो फॉरवर्ड भी करें*।
एक सज्जन से एक सवाल पूछा गया कि *भारत में जनरल कैटेगरी वाला होने पर आपका क्या अनुभव है तो उन्होंने जो जबाब दिया, उसे पढ़िए*
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*प्रवेश परीक्षा:*
मेरा स्कोर :192
उसका स्कोर :92
जी हाँ हम एक ही कॉलेज में पढ़े…..
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*College Fees,*
मेरी हर सेमिस्टर की फी 30200. (मेरे परिवार की आय 3 lacs से कम है..)
उसकी हर सेमिस्टर की फी 6600. (उसके माता और पिता दोनों अच्छा कमा रहे हैं…… उसके माता पिता दोनों की आय 6 lacs से अधिक)
जी हाँ हम दोनों एक ही होस्टल में रहते थे…
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*Mess Fees,*
मैंन 15000/- हर सेमिस्टर के देता था….
वो भी 15000 हर सेमिस्टर के देता था लेकिन सेमिस्टर के अंत में वो उसे रिफंड होते थे…..
जी हाँ हम एक ही मेस में खाते थे….
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*Pocket Money,*
मेरा खर्चा 5000 था जो कि मैं ट्यूशन और थोड़ा बहुत अपने पिता से लेता था…
वो10000 खर्चा करता था जो कि उसे स्कॉलरशिप के मिलते थे…
जी हाँ हम एक साथ पार्टी करते थे….
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*CAT 2015,*
*मेरा स्कोर : 99* percentile. (किसी IIM से एक मिसकॉल का इंतज़ार रहा.)
*उसका स्कोर : 63* percentile. ( IIM Ahemedabad के लिए सलेक्ट हुआ)
जी हाँ ऐप्टीट्यूड और रीजनिंग उसे मैंने पढ़ाया था….
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*OIL Campus recruitement,*
*मैं : Rejected*. (My OGPA 8.1)
*वो : selected*. (His OGPA 6.9)
जी हाँ हमने एक ही कोर्स पढ़ा था…
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*GATE Score,*
*मेरा स्कोर : 39.66* (डिसक्वालीफाईड सो INR 1,68,000 की स्कॉलरशिप भी हाथ से गई )
*उसका स्कोर : 26* (क्वालीफाईड और INR 1,68,000 के साथ-साथ अतिरिक्त स्कॉलरशिप भी) जी हाँ हमने एक जैसे नोट्स शेयर किये थे…
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*कौन हूँ मैं ????*
वोट के लालचियों से कुछ सवाल
मैं भारत में एक जनरल कैटेगरी का छात्र हूँ…
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*दिमाग में बस कुछ सवाल हैं…..*
*क्या उसके पास चलने के लिए दो पैर नहीं हैं??*
*क्या उसके पास लिखने या काम करने के लिए दो हाथ नहीं हैं??*
*क्या उसके पास बोलने के लिए मुंह नहीं है ??*
क्या उसके पास सोचने के लिए दिमाग नहीं है??
अगर हैं तो फिर हम दोनों को एक जैसा ट्रीटमेंट क्यों नहीं मिलता??? मेरे साथ हर कदम पर अन्याय क्यू जनरल कैटिगरी का होने की वजह से।??
ये बात राजनितिक पार्टीयो के बजाय देश के सम्माननीय. न्यायालय के सभी महानुभावों तक पहुंचे तब तक forward करे ताकि देश आरक्षण की दीमक से बरबाद होने से बच जाये। सहमत हो तो फॉरवर्ड करना वरना इसे यही पड़े रहने देना sahi kaha sir ji yahi hota hai or yahi hota ja raha hai🙏