वन विभाग का रिश्वतखोर MD : वन विभाग का रिश्वतखोर MD रंगे हाथों गिरफ्तार, वन विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर, मिशन अगेंस्ट करप्शन के स्टेट चीफ राजेश सूर्यवंशी ने की घोर निंदा और भ्रष्ट अधिकारियों और वन रक्षकों के खिलाफ छानबीन करने की मांग उठाई
स्टेट विजिलेंस विभाग की एसपी अंजुमन आरा ने अपनी टीम के साथ राज्य वन निगम लिमिटेड के एमडी संदीप शर्मा, आईएफएस (वैकल्पिक नाम) पर छापा मारा और उसे 50,000 की रिश्वत के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की।
जानकारी के अनुसार एक ठेकेदार रमेश कुमार की 67 लाख की पेमेंट के बिल उक्त एमडी संदीप शर्मा ने अपने पास काफी समय से पेंडिंग रखे थे, अड़ा कर रखे थे, बार-बार आग्रेग करने पर भी नहीं दे रहा था जबकि ठेकेदार को जरूरत थी। एमडी संदीप शर्मा लगभग 2 लाख रुपया कमीशन के रूप में रिश्वत मांग रहा था बिल पास करने की।
जब कोई चारा नहीं बचा तो ठेकेदार रमेश ने मजबूर होकर विजिलेंस विभाग से संपर्क किया और एसपी अंजुमन आरा ने एमडी को 50,000 रुपये की पहली किश्त लेते हुए केमिकल ट्रीटेड नोटों सहित रंगे हाथों दबोच लिया। उसकी सारी इज़्ज़त एक पल में मिट्टी में मिल गई।
यह निंदनीय घटना सिरमौर जिले के पांवटा साहिब की है। बताया जाता है कि यह वन मंडलाधिकारी बहुत रिश्वतखोर है और बिना रिश्वत के ठेकेदारों के बिल पास नहीं करता था। हर काम में रिश्वत मांगता था लेकिन अब उसे अपने कर्मों की सजा बरबर मिलेगी।
यह अपने आप में रिश्वतखोरी की एक अकेली घटना नहीं है हिमाचल प्रदेश में न जाने कितने बड़े-बड़े अधिकारी करोड़ों रुपए की रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार के दलदल में पांव से सिर तक डूबे हुए हैं। अगर ईमानदारी से छानबीन की जाए तो उन लोगों के घरों से अरबो रुपए की धन-संपत्ति आसानी से मिल जाएगी जिससे सरकारी खजाने को भरने में मदद मिलेगी। बड़ी हैरानी की बात है कि वन विभाग में भ्रष्टाचार चरण सीमा पर है लेकिन इन पर कोई शक नहीं करता। लाखों रुपए तनख्वाह लेकर भी ईमानदारी की कमाई से इनका पेट नहीं भरता।
मिशन अगेंस्ट करप्शन के स्टेट चीफ राजेश सूर्यवंशी ने इन रिश्वतखोर अधिकारियों की कड़ी निंदा करते हुए सरकार से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश के वनों को सोना कहा जाता है, लेकिन वन विभाग व निगम भ्रष्टाचार का प्रमुख अड्डा बनकर रह गया है और सरकार आंखें मूंदे बैठी है।
अनेक कर्मचारी और अधिकारी दीमक की तरह इस विभाग को चाट रहे हैं।
वह मंत्री भी चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। अगर सरकार ने विभाग की नकेल नहीं कसी तो भ्रष्टाचार विरोधी प्रदेश स्तरीय अग्रणी संस्था मिशन अगेंस्ट करप्शन की टीम प्रदेश में जगह-जगह पर जाकर मौके का निरीक्षण करके दूध का दूध और पानी का पानी करेगी और भ्रष्टाचार की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएगी।
बड़े शर्म की बात है कि एक ओर सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है और दूसरी ओर विभाग भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है।
वनों के रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं यानी बाद ही खेत को खाए जा रहा है।
मिशन अगेंस्ट करप्शन के स्टेट चीफ राजेश सूर्यवंशी ने कहा कि यह मामला वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जो अपने पद का दुरुपयोग करके गरीब ठेकेदारों का शोषण करते हैं।
उन्होंने सरकार से मांग एक बार फिर दोहराई है कि वन विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और ऐसे अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए जो भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
सूर्यवंशी ने लोगों से अपील की है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं और उनकी टीम का सहयोग करें।