रवीना टंडन को यूं मिले गोविंदा बनकर ‘दूल्हे राजा’

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गोविंदा जब तक ‘विरार के छोकरे’ रहे, खूब चले। फिर लोगों को पता चलने लगा कि ये झूठे संघर्ष की असली कहानी क्या है? वह तो स्टार किड निकले। डेविड धवन ने उनकी इस इमोशनल कहानी को फिल्मों में भी खूब भुनाया। और, डेविड के खेमे से छिटककर जो गिनती की कॉमेडी फिल्में गोविंदा की हिट हुई, उनमें से सबसे बड़ी सरप्राइज हिट रही फिल्म ‘दूल्हे राजा’। फिल्म ‘दूल्हे राजा’ उन गिनती की हिंदी कॉमेडी फिल्मों में से है, जिनका दक्षिण भारतीय भाषा में रीमेक हुआ।

‘दूल्हे राजा’ के हिट होने की तमाम वजहों में से सबसे बड़ी वजह थी फिल्म के पहले इसके गानों का हिट हो जाना। टेलीविजन पर नए गाने उन दिनों खूब देखे जाते थे और टीवी के हिट कार्यक्रमों के बीच में आने वाले फिल्म ट्रेलर्स के कैपसूल की टीआरपी भी उन दिनों जबर्दस्त होती थी। फिल्म का एक गाना ‘अंखियों से गोली मारे..’ का मुखड़ा उन दिनों टीवी पर खूब बजा। ये उन दिनों की बात है जब रवीना टंडन और अक्षय कुमार की करीबी दोस्ती उफान पर थी और फिल्मी दुनिया की हर गॉसिप मैगजीन में दोनों के किस्से चटखारे ले लेकर लिखे जाते थे। रवीना टंडन को अगर आप इस फिल्म में फिर से देखेंगे तो उनका रंग रूप देखकर समझ आता है कि वह इस फिल्म की शूटिंग के दौरान अपने करियर और अपने निजी जीवन दोनों में शबाब पर थीं। फिल्म के खास इस गाने में जितनी खूबसूरत, मोहक और मादक रवीना दिखती हैं, उतनी शायद ही फिर किसी दूसरी फिल्म के गाने में दिखी हों।

इधर गोविंदा के साथ रवीना टंडन की जोड़ी हिट हुई, उधर अक्षय कुमार इस स्टेशन से आगे बढ़ लिए। रवीना ने फिल्म पत्रिका ‘स्टारडस्ट’ को और साथ ही ‘स्टार वर्ल्ड’ को दिए अपने इंटरव्यूज में अक्षय कुमार की इस हरकत की जमकर बखिया उधेड़ी थी। रवीना टंडन अपना दिल टूटने के बाद अपना करियर संभाल नहीं पाईं। ‘दूल्हे राजा’ के बाद रवीना ने गोविंदा के साथ ‘परदेसी बाबू’, ‘ऑन्टी नंबर वन’, ‘राजाजी’, ‘अनाड़ी नंबर वन’, ‘अंखियों से गोली मारे’ और ‘वाह तेरा क्या कहना’ जैसी तमाम सोलो फिल्में की लेकिन न गोविंदा की किस्मत चमक पाई और न ही उनके बेचैन दिल को किसी तरह का करार आ सका। दोनों की जोड़ी ‘दूल्हे राजा’ के बाद सिर्फ ‘बड़े मियां छोटे मियां’ में ही कमाल दिखा सकी, इसके अलावा दोनों की सारी फिल्में फ्लॉप रही। गोविंदा के केस में तो ‘दूल्हे राजा’ ही बतौर सोलो हीरो उनकी आखिरी हिट फिल्म साबित हुई।

‘दूल्हे राजा’ के हिट होने के पीछे सबसे बड़ा कमाल रहा इसके संवादों और कादर खान व गोविंदा के बीच रचे गए हर सीन में दोनों के संवादों की टाइमिंग का। दोनों के चेहरे पर आने वाले भाव और उसके चलते आसपास के कलाकारों पर होने वाले रिपल इफेक्ट के चर्चे गली गली हुए तो लोग भर भर कर फिल्म देखने आने लगे। रिपीट ऑडियंस का दौर तब तक जारी ही था और फिल्म ने टिकट खिड़की पर ताबड़तोड़ कमाई करनी शुरू कर दी। साल 1998 को हिंदी सिनेमा में ‘कुछ कुछ होता है’, ‘प्यार तो होना ही था’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’ और ‘सोल्जर’ के अलावा ‘दूल्हे राजा’ की कामयाबी के लिए भी हिंदी सिनेमा के शौकीन याद करते हैं।

जिस साल गोविंदा की फिल्म ‘दूल्हे राजा’ हिट हुई, उसी साल शाहरुख खान की बहुचर्चित फिल्में ‘डुप्लीकेट’ और ‘दिल से’ सुपरफ्लॉप हुई थी। फिल्म ‘दूल्हे राजा’ का नाम भी पहले ‘दूल्हे राजा’ नहीं बल्कि ‘तू हसीं में जवां’ रखा गया था और तब फिल्म की हीरोइन थीं ममता कुलकर्णी। ममता को तब तक फिल्मों में काम करने से ज्यादा इन्हें बनाने के लिए पैसा मुहैया कराने वालों के साथ रिश्ते बनाने में फायदा नजर आने लगा था और उन्होंने एक दिन ‘दूल्हे राजा’ के निर्माता निर्देशक हरमेश मल्होत्रा को फोन करके इसके लिए सॉरी बोल दिया। ये अलग बात है कि अपने इस फैसले पर ममता को फिर अरसे तक पछतावा होता रहा क्योंकि फिल्म ने जो कारोबार किया, उसने बड़े बड़े फिल्मी पंडितों के आंकलन को फेल कर दिया। ‘दूल्हे राजा’ को गोविंदा की 90 के दशक की ऐसी इकलौती हिट फिल्म माना जाता है जिसे डेविड धवन ने निर्देशित नहीं किया।

हरमेश मल्होत्रा हिंदी सिनेमा के नामचीन निर्माता निर्देशक रहे। फिल्मों में उनकी शुरूआत पिछली सदी के सातवें दशक के आखिर साल यानी 1969 में फिल्म ‘बेटी’ से हुई। उसके बाद 15 साल में 13 फिल्में और बनाने के बाद उनकी श्रीदेवी के साथ फिल्म आई ‘नगीना’। इस फिल्म ने निर्माता हरमेश मल्होत्रा का नाम नंबर वन प्रोड्यूसर्स की लिस्ट में ला दिया। बाद में उन्होंने इसकी सीक्वेल निगाहें भी बनाई। उस दौर में किसी फिल्म का दूसरा पार्ट बनाना ही लोगों को अचरज में डाल देता था। हरमेश मल्होत्रा ने इसके बाद श्रीदेवी और अनिल कपूर के साथ ‘हीर रांझा’ भी बनाई। ‘दूल्हे राजा’ उनकी भी आखिरी हिट फिल्म रही। ‘दूल्हे राजा’ के हिट गाने ‘अंखियों से गोली मारे’ को उन्होंने अपनी एक फिल्म का टाइटल भी बनाया लेकिन फिल्म चल नहीं पाई।

फिल्म ‘दूल्हे राजा’ की कहानी गरीब लड़के अमीर लड़की वाले ट्रैक की कहानी है। एक फाइव स्टार होटल के मालिक और उसी कैंपस में चलते चले आ रहे ढाबे को चलाने वाले युवक के अहं के टकराव की फिल्म है ‘दूल्हे राजा’। होटल मालिक की बिटिया जिसे चाहती है वह फांदेबाज है। बाप समझाता है पर बेटी मानती नहीं। अपने पिता को चलाने के चक्कर में बिटिया ढाबा चलाने वाले से इश्क रचती है और जा फंसती है अपने फांदेबाज दोस्त के चंगुल में। समीकरण बदलते हैं। होटल मालिक और ढाबा संचालक एक पाले में आ जाते हैं। दोनों किसिम किसिम के गुल खिलाते हैं और घर की बिटिया को वापस लाकर अपनी बगिया में बहार ले आते हैं। राजीव कौल की लिखी फिल्म ‘दूल्हे राजा’ की पटकथा इतनी चुस्त रही कि दर्शक एक बार भी कहीं चहलकदमी करने भर को भी हॉल के बाहर नहीं जा पाता। जब कादर खान और गोविंदा की कॉमेडी नहीं चल रही होती और रवीना टंडन भी अपनी शोखियों के साथ कैमरे के सामने नहीं होतीं तो फिल्म की कमान संभालते जॉनी लीवर, प्रेम चोपड़ा और मोहनीश बहल जैसे दमदार कलाकार। हरमेश मल्होत्रा का निर्देशन हर कलाकार एक सीन को दूसरे सीन से कड़ी दर कड़ी जोड़ता चला गया। जॉनी लीवर को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला।

कहानी, निर्देशन और अदाकारी के बाद फिल्म ‘दूल्हे राजा’ को सबसे मजबूत सहारा मिला इसके संगीत से। आनंद मिलिंद के कंपोज किए गानों पर चर्चा से पहले जिक्र फिल्म के सिनेमैटोग्राफर श्याम राव शिपोस्कर और एडीटर गोविंद दलवाडी का भी जरूरी है। दोनों ने अपने हुनर के करतब दिखाकर फिल्म को नयनाभिराम बनाने में मदद की। आनंद मिलिंद के संगीतबद्ध किए सोनू निगम और जसपिंदर नरूला के जिस गाने ने ‘दूल्हे राजा’ को फिल्म से पहले ही खूब चर्चा दिलाई, उसका जिक्र तो मैं पहले कर ही चुका हूं। फिल्म में समीर के लिखे सात गानों में दूसरा सबसे हिट गाना रहा फिल्म का टाइटल सॉन्ग यानी विनोद राठौड़ और अनुराधा पौडवाल का गाया गाना, ‘सुनो ससुरजी अब जिद छोड़ो मान लो मेरी बात, दुल्हन तो जाएगी ‘दूल्हे राजा’ के साथ….’

 

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