पालमपुर के बुद्धिजीवियो, अब तो होश में आओ, अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाओ” वरना कल आपका भी यही हश्र होगा

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“पालमपुर के बुद्धिजीवियो, अब तो होश में आओ, अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाओ” वरना कल आपका भी यही हश्र होगा

PALAMPUR

SHANTI SHARMA

पालमपुर के ईमानदार, दीन-दुखियों के मसीहा, हमेशा सच्चाई का साथ देने वाले, बिना स्वार्थ – भेदभाव के निडरता पूर्वक निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले
हमारे पत्रकारिता के स्तम्भ पालमपुर के English समाचार पत्र The Tribune  के सम्माननीय पत्रकार आदरणीय रविन्द्र सूद जी हमेशा बिना भेदभाव के बड़े नेताओं की चाटुकारिता का कभी समर्थन न करते हुए अंग्रेजी में बेहतरीन समाचार लिख कर जनहित में अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाते रहे हैं।
लेकिन अत्यन्त दुख की बात है कि विशेष रूप से जब उन्होंने खनन माफ़िया के विरुद्ध जनहित में अपनी पुरज़ोर आवाज़ उठाई तो कुछ तथाकथित भ्रष्टाचार में लिप्त भ्रष्ट नेताओं को यह रास नहीं आया।

परिणामस्वरूप उन मठाधीश नेताओं ने हिमाचल प्रदेश सरकार से रविन्द्र सूद जी की Accreditation यानि मान्यता समाप्त करवा दी और उन्हें इस कार्यवाही का न तो कारण बताया और न ही सूचित किया।

लेकिन रविन्द्र सूद जी तो ठहरे कलम के सच्चे सिपाही। मान्यता से उन्हें क्या सरोकार। Accreditation से पत्रकारिता न तो चलती है और न ही रुकती है, यही बात समझ नहीं पाए ये बेचारे राजनेता और आनन-फानन में आccreditation से सम्बंधित वह घातक निर्णय ले बैठें जो इतिहास में किसी सरकार ने लेने की हिमाकत नहीं की।

ईनाम की जगह अन्याय मिलने पर उनकी कलम और अधिक पैनी हो गई। अन्याय के विरुद्ध उन्होंने और अधिक ज़ोरदार तरीके से अपनी आवाज़ बुलन्द कर दी। बिना डरे-बिना रुके-बिना ठहरे।

जिस निडरता से उनकी कलम चलती है वह वास्तव में प्रशंसनीय है। पत्रकार जगत में हज़ारों में से ऐसे कुछेक चुनिन्दा पत्रकार ही देखने को मिलेंगे जो निस्वार्थ भाव से जनता की निष्काम सेवा में तत्पर हैं और जनता उन्हें जो सम्मान देती है, जो ईनाम देती है वह कोई भी सरकार नहीं दे सकती। जनता का प्रेम व विश्वास सर्वोपरि होता है।

उल्लेखनीय है कि ऐसे कर्मठ महानुभावों को सम्मान की दरकार नहीं होती लेकिन औपचारिकता के नाते ही सही पर सरकार की ओर से उनकी समाजसेवा के लिए उनकी निष्पक्ष कलम, उनके मान-सम्मान और वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए उचित पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाना चाहिए था लेकिन हुआ इसका एकदम उलट। सरकार को उनकी कलम रास नहीं आई।

Accreditation Committee Himachal Pradesh के पूर्व मनोनीत माननीय सदस्य के साथ सरकार ने इतना बड़ा अन्याय कर डाला तो आम पत्रकारों का क्या हश्र होगा इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है।

नेताओं के प्रिय खनन माफिया व नशे के सौदागरों के दवाब में आकर, उन्हें व स्वयं को  लाभान्वित करने हेतु कुछ प्रभावशाली व भ्रष्ट नेताओं ने अपनी आत्मा को गिरवी रखते हुए श्री रविन्द्र सूद की सरकारी मान्यता धोखे से रद्द करवा दी रॉकी उन्हें डराया-धमकाया जा सके तथा अन्य पत्रकारों को भी मान्यता कैंसल करने का डण्डा दिख कर उनके मुंह को बंद किया जा सके ताकि उनका गोरखधंधा लगातार चलता रहे।

हुआ भी कुछ ऐसा हो। जब रविन्द्र जी की accreditation रद्द की गई तो सबने अपने हितों को protect करते हुये नेताओं की जी-हजूरी में अपना मुंह बंद रखा।किसी ने उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई। जिससे उन नेताओं के हौंसले और बढ़ गए। वे अपनी योजना में कामयाब रहे।

UNION is STRENGTH लेकिन जहां यूनियन ही कई हिस्सों में बंटी हो तो किया ही क्या जा सकता है।

होना तो यह चाहिए था कि गुटों में बंटा पत्रकार जगत पूरी तरह से एकजुट हो जाता और अपने स्वार्थों को ताक पर रख कर अपने भीष्मपितामह के साथ हुए अन्याय के विरुद्ध कम के कम एक शब्द तो बोलते और पत्रकार यूनियन की सकारात्मकता और यूनियन नामक शब्द की सार्थकता को बरकरार रखते हुए सरकार से न्याय लेने हेतु संघर्ष का बिगुल बजाते। लेकिन बदकिस्मती से यूनियन का बंटवारा ऐसा कुछ नहीं कर सका। यूनियन का मतलब होता है एकजुटता लेकिन जहां यूनियन ही टूटी हुई हो तो एकजुटता का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। ज़रूरत है एक होने की। वरना सब काटते रहेंगे-बांटते रहेंगे और अपना स्वार्थ साधते रहेंगे।

कितना बेहतर और हितकर होता यदि सभी पत्रकार अपने हितों, स्वार्थों को दरकिनार करते हुये ज़ोरदार तरीके से पत्रकारों के भीष्म पितामह श्री रविन्द्र सूद के हित में अन्याय के विरुद्ध एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठाते तो सरकार को अपना अनुचित निर्णय वापिस लेना पड़ना था।

जो यूनियन अपने साथियों के सम्मान को बचाने, उनके हितों को बचाने में कामयाब न हो सके उसकी क्या सार्थकता! ज़रूरत है समय रहते एकजुट होने की वरन अगला शिकार कोई भी सजग पत्रकार हो सकता है।

हम हिमाचल प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री ठाकुर जयराम जी से विरोध स्वरूप मांग करते हैं कि रविन्द्र सूद जी को मान्यता शीध्र अति शीध्र वापिस दी जाए।

इस अन्याय को हुये लगभग 3 साल होने को हैं लेकिन दूसरों के साथ हुए अन्याय को उजागर करने और न्याय दिलाने हेतु अपनी कलम चलाने वाले महान पत्रकार आज भी अपना खोया सम्मान वापिस नहीं ले पाए हैं।

हम हिमाचल प्रदेश सरकार से यह भी अनुरोध करते हैं कि जो समाचार पत्र बन्द हो गये है, उन समाचारपत्रों के पत्रकारों की भी मान्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त ‌कर दी जाए।

* शान्ति स्वरूप शर्मा.
* अध्यक्ष ब्राह्मण सभा जिला कांगड़ा।

रमेश भाऊ – पूर्व चैयरमैन, पंचायत समिति पंचरूखी,

* रमेश चोधरी ‌
समाज सेवक‌ एवं कलाकार
मारण्ड़ा।

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