पालमपुर की उन्नति व पत्रकारिता जगत के उत्थान के लिए वरदान सिद्ध हुए हैं पत्रकार श्री रविन्द्र सूद व श्रीमती नीलम सूद
Journalists Ravinder Sood and Neelam Sood : Rising STARS of PALAMPUR
पालमपुर की उन्नति व पत्रकारिता जगत के उत्थान के लिए
वरदान सिद्ध हुए हैं पत्रकार श्री रविन्द्र सूद व श्रीमती नीलम सूद
INDIA REPORTER NEWS
PALAMPUR : B.K. SOOD, EXECUTIVE EDITOR
ऐसा समझा जाता है कि राष्ट्रपति-साथ एक सजग प्रहरी के रूप में भी कार्य करेगाI अगर 3 खंभों में कहीं पर कोई संभावना नहीं रह जाए तो यह प्रहरी एक चौकीदार के रूप में उठेगा और हुंकार भर कर तीनों खंभों को जागते रहें की अलख जगायगा। पिछले कई दशकों में जब से भारत आजाद हुआ है भारत में केवल मात्र प्रिंट मीडिया ही एक प्रहरी के रूप में कार्य करता था और उसकी पहुंच बहुत ही सीमित दायरे तक होती थी और पढ़े-लिखे लोग भी उस दायरे में सीमित होते थे लेकिन हाल ही में के दशक में विज्ञान ने इतनी तरकी की है कि अब केवल केवल हमारी निर्भरता प्रिंट मीडिया पर ही नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हमारी निर्भरता अधिक बढ़ गई है और यह इतना तेज ठीक और त्रुटिरहित है कि कोई भी घटना या वास्तविकता कहीं भी घट रही हो उसकी सूचना हमें चंद मिनटों में ही मिल जाती हैi
पहले हम एक दिन बाद की खबरों को पढ़ते थे
पहले हम एक दिन बाद की खबरों को पढ़ते थे, लेकिन अब हमें एक घंटे पहले की घटना भी पुरानी लगती है। बहुत तेजी से मीडिया का विस्तार हुआ हैI मिनटों में ही मिल जाती है पहले हम एक दिन बाद की खबरों को पढ़ते थेI, लेकिन अब हमें एक घंटे पहले की घटना भी लगती है। बहुत तेजी से मीडिया का विस्तार हुआ है उ मिनटों में ही मिल जाती है पहले हम एक दिन बाद की खबरों को पढ़ते थे, लेकिन अब हमें एक घंटे पहले की घटना भी लगती है। बहुत तेजी से मीडिया का विस्तार हुआ है उसी तेजी से लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है और वह सही और गलत की पहचान करने लगे हैं, लेकिन आज भी हमारे सिस्टम में बहुत त्राुटियां हैं जिनको दुरुस्त करने के लिए किसी साहसी पत्रकार की आवश्यकता रहती है।
भ्रष्टाचार या विरोधाभासों को उजागर करना कोई मुश्किल कार्य नहीं
आज यह जरूरी नहीं है कि लोगों की समस्याओं को उजागर करने के लिए सिस्टम को जगाने के लिए या उसकी लाशें गिनाने के लिए केवल केवल पत्रकारों पर ही हमारी निर्भरता है, लेकिन आज आमजन भी सिस्टम की स्थितियों को और सिस्टम में हो रहे हैं भ्रष्टाचार या विरोधाभासों को उजागर करना कोई मुश्किल कार्य नहीं है, लेकिन इसके लिए साहस की आवश्यकता होती है। बड़े अल के साथ कहना पड़ रहा है कि आजकल हमारा मीडिया इतनी सटीक टिप्पणियाँ नहीं दे पाता जैसा कि वह देनी चाहिए। बहुत अधिक साहस नहीं जुटा पाता है कि सिस्टम को दुरुस्त किया जा सके या कि में हो रहा हूं। हमारे इस क्षेत्र में आज भी कुछ उपयोगकर्ता साहसिक कार्य करते हैं और वह शासन-प्रशासन की त्रुटियों और लोगों की परेशानियों को प्रमुखता से उजागर करते हैं। इसमें उनका कोई निजी हित नहीं होता है बल्कि वे जनहित में ऐसा कार्य करते हैं।
रविंद्र सूद जी एक बहुत ही वरिष्ठ पत्रकार हैं
पालमपुर की बात करें तो तो पालमपुर में श्री रविंद्र सूद जी एक बहुत ही वरिष्ठ पत्रकार हैं जो ट्रिब्यून सरीखे देश के प्रमुख समाचार पत्रों के लगभग पिछले चार दशकों से पत्रकारिता का निर्भीकता से निर्वहन कर रहे हैं हालांकि यह भी सत्य है कि ट्रिब्यून एक अंग्रेजी माध्यम का पत्र जिसे केवल पढ़े-लिखे लोग ही पढ़ते हैं लेकिन इतने उच्च लेवल की पाठकशिप होने के बावजूद भी श्री रविंद्र सूद जी आमजन, गरीबों, दलितों और अन्य लोगों की समस्याओं को उजागर करते रहते हैं और सरकार के शासन-प्रशासन पर झूठ बोल रहे हैं।
पेशे से शिशु अधिवक्ता
पेशे से शिशु अधिवक्ता होने के बावजूद भी वह अपने व्यस्तम कार्यक्रमों में से समय निकालकर लोगों की समस्याओं के प्रति सरकार और शासन प्रशासन को अवगत कराते रहते हैं,, उसका हल करवाने की कोशिश करते हैं। सामाजिक कार्य हो या विकास के कार्य हों इस पर वह अपनी बेबाक टिप्पणी रखते हैं और अपने व्यस्ततम प्रोफेशनल बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर इन सभी कार्यों के लिए समय देते हैं। पालमपुर में नगर निगम को बनाने का आंदोलन हो या पर्यावरण से जुड़ा हुआ कोई मामला या जिला बनाने की मुहिम हो यह सब साथ-साथ रहता है।
पति के हर नेक कार्य में अपनी सहभागिता निभाती है
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पत्नी पति के हर कार्य में सहभागि होती है या हो सकती है वह केवल चारदीवारी में ही रह कर स्त्री होने का होने का फर्ज नहीं खेलती बल्कि वह पति के हर नेक कार्य में अपनी सहभागिता निभाती है, श्री राम चंद्र सूद जी की पत्नी श्रीमती नीलम सूद भी ऐसी ही एक महिला हैं जो अपने पारिवारिक कार्यों के निर्वहन करने के पश्चात पत्रकारिता और इस क्षेत्र की उन्नति तरक्की और गरीबों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहते हैं। गरीबों की समस्याओं को उठाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है, उसके लिए उन्हें शासन-प्रशासन से ही क्यों न लड़ना पड़ जाए वह इसकी परवाह नहीं करता है।
कुछ लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है
गरीब लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है। उसके लिए उन्हें कुछ लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है लेकिन वह अपने पग से नहीं डगमगाती है। एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ वे एक जागरूक नागरिक भी हैं और सिस्टम में हो रही कमियों और त्रुटियों को अक्सर उजागर करती रहती हैं जिससे कि गरीबों का भला हो और अंतिम देश और प्रदेश की उन्नति हो।
जो तन लIगेे सो तन जाने
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि एक मुहावरा बहुत प्रसिद्ध है कि ‘जो तन लIगेे सो तन जाने और क्या जाने पीर पराई’ लेकिन श्री रविंद्र सूद व उनकी पत्नी श्रीमती नीलम सूद ने यह मुहावरा गलत साबित कर दिया क्योंकि यह और यह दोनों पति-पत्नी संपन्न परिवार से हैं और उन्हें गरीबों के दुख-दर्द से कोई खास वास्ता नहीं रहा है और ना ही उनके पास संसाधनों की कोई कमी है लेकिन ये दोनों कार में चलकर हवाई सफर करके भी बस में सफर करने वाले यात्रियों और रेल में छतों पर सफर करने वाले लोगों की मजबूरियों को दिल की गहरियों से समझते हैंI
उन्हें लगता है कि इसीलिए ये उनकी समस्याएं को उजागर करते हैं ताकि सिस्टम में कुछ सुधार हो सके और इन जरूरतमंद और गरीब लोगों को भी सुविधाएं मिल सकें। क्षेत्र की उन्नति हो या न हो,ये दोनों को साधुवाद! इनका भविष्य स्वर्णिम हो! जय हिन्द!
इन दोनों लोगों की जितनी भी तारीफ की जाए कम है क्योंकि है गरीबों के दुख दर्द को समझते हैं और उसके निवारण के लिए जितना भी हो सकते हैं करते हैं कुछ लोग केवल भाषण देकर निकल लेते हैं लेकिन यह व्यवहारिक रुप से लोगों की समस्याओं और गरीबों के दुख दर्द को बांटने की कोशिश करते हैं उनके निवारण के लिए प्रयासरत रहते हैं
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